राफेल डील (Rafale deal) में रिव्यू पीटिशन दाखिल करने वाले याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जिस सीएजी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया उसमें कई खामियां हैं. सीबीआई ने कई बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद मामले की जांच नहीं की. सीएजी रिपोर्ट में बैंक गारंटी वेब ऑफ को लेकर कोई जिक्र नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि सरकार ने जानकारी छुपाई और कई जगह गलत बयानी कर मनमुताबिक फैसला लिया. उन्होंने कहा कि राफेल सौदे (Rafale deal) में समझौते का मसौदा तैयार करने में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के सुझाए आदर्श नियमों की अनदेखी की गई.
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याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस अनदेखी पर सरकार ने कोई वाजिब वजह भी नहीं बताई. न ही कानूनी आधार बताए गए जिनसे पता चले कि सौदा फाइनल करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया तर्कसंगत, व्यवहारिक और पारदर्शी थी. आपको बता दें कि इससे पहले14 दिसंबर 2018 को अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने माना था कि फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू जेट विमानों की खरीद में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह का कोई कारण नहीं बनता और कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.यह भी कहा कि इस बात का कोई पुख्ता सुबूत नहीं है कि मामले में किसी निजी संस्था को फायदा पहुंचाया गया.
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