राज्यसभा (Rajya Sabha) में एक ओर जहां आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल (Quota For Economically Weak Bill) को पेश किया गया, उसी वक्त एनडीए (NDA) की सहयोगी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने कहा है कि देश में नौकरियों की कमी हो रही है. इसके साथ ही उन्होंने प्राइवेट क्षेत्र में आरक्षण (Reservation In Private Sector) की मांग भी की. आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल का भी राम विलास पासवान ने समर्थन किया है.
कांग्रेस (Congress) ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की राम विलास पासवान की मांग का समर्थन किया है. कांग्रेस नेता पीएल पूनिया ने कहा, 'हम प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की पासवान की मांग का समर्थन करते हैं.' इसके अलावा इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा, 'मैं प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की राम विलास पासवान की मांग का समर्थन करता हूं. इससे गरीब पिछड़ों को फायदा होगा.'
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वहीं केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, 'मेरी मांग है कि ज्यूडिशरी में भी आरक्षण होना चाहिए. एससी, एसटी और ओबीसी को न्यायिक सेवाओं में 49.5 फीसदी आरक्षण की सुविधा मिलनी चाहिए. मैं प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग का भी समर्थन करता हूं.'
बता दें, नरेंद्र मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. आर्थिक आधार पर आरक्षण बिल को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया, जहां उसे बहुमत के साथ पारित कर दिया गया. इसके बाद बुधवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया गया. राज्यसभा में कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाए जाने के फैसले का विरोध किया. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने राज्यसभा में कहा, "जिस तरह सदन की कार्यवाही को विपक्षी पार्टियों की सहमति के बिना बढ़ाया गया, वह सही नहीं है... अब स्थिति ऐसी है कि सरकार और विपक्ष के बीच संवाद होता ही नहीं है... अगर सदन नहीं चल पा रहा है, तो उसके लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी सरकार की है..."
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केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि संविधान संशोधन विधेयक 2019 को भारी बहुमत से पास किया है. उम्मीद है कि राज्यसभा भी भारी बहुमत से पारित करेगी. सभी दलों और सांसद ऐसा सामान्य वर्ग जो गरीब जीवन बिताता है उसे भी आर्थिक और शैक्षणिक लाभ मिले, ऐसी मांग करती रही है. ये बिल जल्दबाजी में नहीं लाया गया. इस विषय में मंडल कमिशन ने भी अपना प्रतिवेदन दिया था और कहा था ऐसे वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण मिले. उसके बाद सिन्हो कमिशन ने भी ऐसा प्रतिवेदन दिया था.
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