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पुतिन के भारत दौरे में SU 57 और S 400 डील, दुनिया भर में हलचल तेज

अमेरिका से इंजन का सौदा कर भारत की रक्षा तैयारियां पहले ही पिछड़ चुकी हैं. ऐसे में भारत अब अपने सबसे भरोसेमंद साथी के साथ आगे बढ़ना चाह रहा है. पुतिन भारत को इसके लिए डील भी काफी अच्छा दे रहे हैं.

पुतिन के भारत दौरे में SU 57 और S 400 डील, दुनिया भर में हलचल तेज
  • रूस के राष्ट्रपति पुतिन चार और पांच दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं, जहां वह पीएम मोदी से वार्ता करेंगे
  • पुतिन के इस दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच एसयू 57 लड़ाकू विमान और एस 400 मिसाइल सिस्टम की डील की संभावना है
  • सुखोई 57 विमान में स्टेल्थ तकनीक, दो इंजन, एडवांस्ड एवियोनिक्स और लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं
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रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत दौरे पर 4 दिसंबर पर आ रहे हैं. उनका दो दिवसीय दौरा है. 4-5 दिसंबर की इस यात्रा में वो पीएम मोदी के साथ कई दौर की वार्ता करेंगे. यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन का ये पहला भारत दौरा है. ऐसे में दुनिया भर की निगाहें इस दौरे पर टिकी हैं. हर बड़ी न्यूज एजेंसी से लेकर सभी बड़े देशों की खुफिया एजेंसियों की नजर इस दौरे पर है. धड़कने तो चीन और अमेरिका की भी बढ़ी हुई हैं. अटकलें लग रही हैं कि भारत और रूस के बीच कौन सी डील होने जा रही है. SU 57 और S 400 को लगभग सभी कंफर्म मान रहे हैं. मगर न तो भारत और न ही रूस इस पर एक शब्द बोल रहे हैं. यही कारण है कि हलचल और भी तेज है.

गुपचुप चल रहा मामला

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पुतिन के भारत दौरे की अटकलें तो काफी समय से लग रही थीं. मगर इसके समय को लेकर कोई भी पक्के तौर पर नहीं कह रहा था. इस दौरे की अहमियत इतनी है कि पुतिन के दौरे से महज कुछ दिन पहले ही दोनों देशों की तरफ से कंफर्म किया गया कि किस तारीख पर पुतिन भारत आ रहे हैं. इससे पहले दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री से लेकर सुरक्षा सलाहकार तक एक-दूसरे के देशों में लगातार दौरे कर रहे थे. जाहिर है यूक्रेन को लेकर चल रही अमेरिका से बातचीत के बीच पुतिन यूं ही तो भारत नहीं आ रहे. पिछले दिनों अमेरिका के टैरिफ के कारण भारत ने कथित तौर पर तेल खरीदना भी रूस से कम कर दिया है. इसके बावजूद पुतिन भारत आ रहे हैं तो कुछ तो डील होगी.

दुनिया क्या सोच रही

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और रूस बड़ी सैन्य डील करने जा रहे हैं. इनमें SU 57 और S 400 की डील तय है. रायटर्स भी कुछ ऐसा ही दावा कर रहा है. बताया जा रहा है कि रूस तकनीक के साथ भारत से ये सौदा करेगा. मतलब पूरी तरह मेक इन इंडिया के तहत ये डील होगी. हालांकि, ये डील कितनी बड़ी होगी इसका अंदाजा पूरी तरह अब तक कोई नहीं लगा पा रहा.

सु 57 की ताकत जान लीजिए

  • स्टेल्थ तकनीक: सुखोई 57 में स्टेल्थ तकनीक का उपयोग किया गया है, जो इसे रडार से बचने में मदद करता है.
  • इंजन: इसमें दो इंजन हैं, जो इसे उच्च गति और मैन्युवेरेबिलिटी प्रदान करते हैं.
  • एडवांस्ड एवियोनिक्स: इसमें एडवांस्ड एवियोनिक्स सिस्टम है, जो इसे विभिन्न प्रकार के मिशनों के लिए उपयुक्त बनाता है.
  • वायु से वायु मिसाइलें: इसमें विभिन्न प्रकार की वायु से वायु मिसाइलें हैं, जो इसे दुश्मन के विमानों को नष्ट करने में मदद करती हैं.
  • वायु से जमीन मिसाइलें: इसमें विभिन्न प्रकार की वायु से जमीन मिसाइलें हैं, जो इसे जमीन पर लक्ष्य को नष्ट करने में मदद करती हैं.
  • हाई-स्पीड: इसकी अधिकतम गति मैक 2 (2,450 किमी/घंटा) है.
  • रेंज: इसकी रेंज 3,500 किमी है.
  • सेवा सीमा: इसकी सेवा सीमा 20,000 मीटर है.
  • आर्मामेंट: इसमें एक 30mm ऑटोकैनन और विभिन्न प्रकार की मिसाइलें और बम हैं.
  • कॉकपिट: इसमें एक एडवांस्ड ग्लास कॉकपिट है, जो पायलट को विभिन्न प्रकार की जानकारी प्रदान करता है.

एनडीटीवी सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने ही रूस की एक तकनीकी टीम ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का दौरा कर भारत में सुखोई-57 लड़ाकू विमान के निर्माण की संभावनाएं तलाशी हैं. यह टीम ने ये जानने एचएएल गई थी कि अगर भविष्य में भारत और रुस मिलकर भारत में ही पांचवीं पीढ़ी का एयरकाफ्ट बनाने का फैसला लें तो उसका आधारभूत ढांचा भी उसके पास मौजूद है या नहीं. इस टीम में शामिल सुखोई डिज़ाइन ब्यूरो व अन्य रक्षा संस्थानों से जुड़े लोगों ने अपने आकलन में पाया है कि एचएएल के पास इस विमान का स्वदेश में ही निर्माण करने के लिए करीब 50 प्रतिशत सुविधाएं मौजूद हैं.

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क्यों जरूरी ये डील

वहीं यूरेशियन टाइम्स में लिखे अपने कॉलम में एयर मार्शल अनिल चौपड़ा लिखते हैं कि चीन काफी संख्या में अपनी 5वीं पीढ़ी के जे 20 लड़ाकू विमान बना चुका है. अब वो 6ठी जेनरेशन के दो विमान बना रहा है. इनमें एक का नाम जे 35 है. पाकिस्तान अपने दोस्तों चीन और तुर्की की मदद से 5वी पीढ़ी के लड़ाकू विमान लेने की कोशिशों में लगा हुआ है. भारत में एमका लगभग 2035 तक सेना में शामिल हो पाएगा. ऐसे में भारत पर दबाव बढ़ रहा है. ट्रंप ने एफ 35 डील पीएम मोदी को दी थी, लेकिन अब तक दोनों देशों ने औपचारिक बात भी नहीं शुरू की है.

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एस-400 की खूबियां

  • लॉन्ग-रेंज डिटेक्शन: एस-400 की रडार प्रणाली 600 किमी तक के लक्ष्य का पता लगा सकती है और 400 किमी तक के लक्ष्य को नष्ट कर सकती है.
  • मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट: यह सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों को ट्रैक और नष्ट कर सकता है.
  • मल्टी-लेयर डिफेंस: एस-400 में चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलें हैं, जो 40 किमी से 400 किमी तक की रेंज में लक्ष्यों को नष्ट कर सकती हैं.
  • हाई-स्पीड इंटरसेप्शन: इसकी मिसाइलें 17,000 किमी/घंटा की गति से यात्रा कर सकती हैं, जो इसे हाई-स्पीड लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम बनाती है.
  • स्टेल्थ डिटेक्शन: एस-400 की रडार प्रणाली स्टेल्थ विमानों और मिसाइलों का पता लगा सकती है.
  • मोबिलिटी: यह सिस्टम मोबाइल है और जल्दी से तैनात किया जा सकता है.
  • इंटीग्रेशन: एस-400 को अन्य एयर डिफेंस सिस्टम के साथ एकीकृत किया जा सकता है, जिससे यह एक व्यापक एयर डिफेंस नेटवर्क का हिस्सा बन सकता है.

अमेरिका से इंजन का सौदा कर भारत की रक्षा तैयारियां पहले ही पिछड़ चुकी हैं. ऐसे में भारत अब अपने सबसे भरोसेमंद साथी के साथ आगे बढ़ना चाह रहा है. पुतिन भारत को इसके लिए डील भी काफी अच्छा दे रहे हैं. इसमें तकनीक ट्रांसफर से लेकर कीमतों को भी काफी कम रखा गया है. चौपड़ा के अनुसार, अभी भारतीय वायुसेना के पास 29 स्क्वाड्रन हैं. जल्द इनकी संख्या और कम होने वाली है. ऐसे में सु 57 एक शानदार मौका भारत के हाथ में है. अगर भारत सु 57 और एस 400 डील कर लेता है तो उसकी ताकत में कई गुना ज्यादा इजाफा हो जाएगा.

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