चंडीगढ़: जालंधर पुलिस ने एक पुलिस अधिकारी के मर्डर की गुत्थी 48 घंटों के भीतर सुलझा ली. जिस पुलिस अधिकारी की हत्या की गई है, वह वेटलिफ्टिंग में अर्जुन पुरस्कार विजेता भी थे. डीएसपी दलबीर सिंह देओल बुधवार को रहस्यमय परिस्थितियों में जालंधर में मृत पाए गए थे. पुलिस अधिकारी के मर्डर की गुत्थी एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर की गिरफ्तारी के बाद सुलझी, उसी ने घर छोड़ने को लेकर हुए विवाद के बाद पुलिस अधिकारी को गोली मार दी थी.
नहर के पास मिला शव
एक पुलिस अधिकारी जुगल किशोर जब ड्यूटी से घर लौट रहे थे तो उन्हें नहर के पास देओल का शव दिखा. इसके बाद किशोर ने अपने सहयोगियों को कॉल किया और इसकी जानकारी दी. पुलिस ने इसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी.
CCTV से मिला सुराग
पुलिस ने कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, जिसमें एक में देओल को ऑटोरिक्शा लेते हुए देखा गया. पुलिस ने ऑटोरिक्शा के नंबर नोट किए और कई सारे सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद ऑटोरिक्शा को ढूंढ़ निकाला. पुलिस ने नहर के पास के क्षेत्र में एक्टिव मोबाइल सिग्नल चेक किए. आरोपी की पहचान विजय कुमार के रूप में हुई है, जिसने पुलिस अधिकारी की उसी की सर्विस पिस्टल से गोली मारी दी थी. शव के पास ही पिस्टल मिली थी.
जालंधर पुलिस प्रमुख स्पवन शर्मा ने कहा, "हमें दलबीर सिंह देओल का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला. शव जालंधर से 6-7 किमी दूर मिला है. इस मामले में एक ऑटोरिक्शा चालक विजय कुमार को गिरफ्तार किया गया है."
ड्रग्स लेता था आरोपी
ड्रग्स की लत से ग्रस्त ड्राइवर ने पुलिस अधिकारी को उनके गांव तक छोड़ने से इनकार कर दिया था, जिसकी वजह से दोनों के बीच झगड़ा हुआ था. बहस के बीच, ऑटो ड्राइवर विजय ने देओल से सर्विस पिस्तौल छीन ली और उनके सिर पर गोली मार दी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले इसे हिट एंड रन का मामला बताया था, लेकिन बाद में सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद यह मर्डर का मामला निकला.
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