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पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए योजना शुरू की, किसानों को दी जाएगी सब्सिडी

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों से 'फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना' का लाभ उठाने की अपील की, दी जाएगी 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी

पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए योजना शुरू की, किसानों को दी जाएगी सब्सिडी
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

सर्दियों का मौसम शुरू होने और रबी की फसलों की बोवनी शुरू होने से पहले खेतों को तैयार करने के लिए किसान पराली जलाना (Stubble burning) शुरू कर देते हैं. इससे हर साल गंभीर प्रदूषण की समस्या सामने आती है. पंजाब (Punjab) सरकार ने पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 'फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना' शुरू की है. इसके तहत किसानों को मशीनें मुहैया कराने के लिए 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी. मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने किसानों से इस योजना का लाभ उठाने की अपील की है.

भगवंत मान ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है- ''पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है. पराली निपटाने के लिए किसानों को 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मशीनरी उपलब्ध करवाने के लिए सहकारी बैंकों द्वारा पूरे पंजाब में 'फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना' शुरू की गई है. सभी किसान भाईयों से अनुरोध है कि इस लाभकारी योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं.''

पराली जलाने से घट जाते हैं मिट्टी के पोषक तत्व

फसल अवशेष प्रबंधन से सिर्फ प्रदूषण ही नहीं नियंत्रित नहीं होता बल्कि इससे मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाने में भी मदद मिलती है. फसलों के अवशेषों का प्रबंधन करने से मिट्टी की भौतिक अवस्था में सुधार होता है. इससे मिट्टी में कार्बन और नाइट्रोजन का भंडार बढ़ता है. फसल अवशेषों से ईंधन और श्रम की बचत होती है. फसल अवशेषों के इस्तेमाल से विद्युत उत्पादन किया जा सकता है. फसलों के अवशेषों को जलाने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी आती है. 

दिल्ली में बायो-डिकंपोजर घोल का छिड़काव शुरू

पंजाब और हरियाणा सहित उत्तर प्रदेश के दिल्ली से सटे इलाकों में पराली जलाए जाने से राष्ट्रीय राजधानी को हर साल भीषण प्रदूषण के संकट का सामना करना पड़ता है. दिल्ली में भी पराली से होने वाले प्रदूषण से बचाव के लिए कोशिशें शुरू कर दी गई हैं. पराली जलाने से बचने के लिए बायो-डिकंपोजर घोल के छिड़काव का अभियान शुरू किया गया है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने तीन दिन पहले राष्ट्रीय राजधानी में पराली जलाने से बचने के लिए खेतों में जैविक रूप से अपघटित (बायो-डिकंपोजर) होने वाले घोल के छिड़काव का अभियान शुरू किया. इसका उद्देश्य सर्दियों के दौरान प्रदूषण के स्तर को कम करना है. यह अभियान नरेला विधानसभा क्षेत्र के पल्ला गांव में शुरू किया गया.

आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा है कि दिल्ली सरकार सर्दियों के प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए 5,000 एकड़ से अधिक कृषि भूमि पर बायो डि-कंपोजर का छिड़काव करेगी. इसके लिए 11 टीमें गठित की गई हैं और दिल्ली के सभी बासमती और गैर-बासमती चावल के खेतों में इसका छिड़काव किया जाएगा.

सिर्फ एक फॉर्म भरकर लाभ ले सकते हैं किसान  

दिल्ली सरकार ने इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए एक सरल प्रक्रिया सुनिश्चित की है, जिसके तहत किसानों को इसमें भाग लेने के लिए केवल एक फॉर्म भरना होगा. राजधानी के 841 किसान फॉर्म भर चुके हैं. 

गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली सरकार ने सर्दियों के मौसम में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए 21 सूत्रीय शीतकालीन कार्य योजना तैयार की है. उन्होंने कहा कि दिल्ली वासियों और संबंधित विभागों के प्रयासों की बदौलत राज्य में प्रदूषण के स्तर में लगभग 34.6 प्रतिशत की कमी देखी गई है. दिल्ली में में प्रदूषण वाले दिनों की संख्या 243 थी जो 2023 में घटकर 159 हो गई.

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