सेना में अग्निपथ योजना (Agnipath Row) के जरिए शामिल होने वाले अग्निवीरों का अग्नि संग्राम जारी है. युवा 4 साल के कार्यकाल और पेंशन सहित कई मुद्दों पर सरकार से सवाल कर रहा है. इस बारे में खास बातचीत की वायुसेना के एयर ऑफिसर इंचार्ज पर्सनल एयर मार्शल सूरज कुमार झा से ...
सवाल- क्या बात रह गई कि इतना विरोध हो रहा है?
जवाब- देखिए जहां तक हमारा विचार है कुछ विरोध तो मोटिवेटेड है, कुछ विरोध उकसाया गया है और शायद एक नया तरीका है इसे लेने का. किसी भी चेंज में थोड़ी हिचकिचाहट तो होती है और हमें लग रहा है कि लोगों ने इस स्कीम को जिस तरीके से हम चाह रहे थे देखें कि ये उनको और सक्षम बनाने का जरिया है, शायद यह उतना अच्छे तरीके से नहीं हो पाया. आप देख रहे होंगे कि सारी बातचीत पेंशन की ओर मुड़ गई और इस ओर भी कि 4 साल के बाद क्या होगा.
सवाल- अब सेना ने मोर्चा संभाल लिया है लोगों को कन्वींस कर रहे हैं. यूथ कन्वींस नहीं हो रहा. वह अभी भी आशंकित है, उसकी आशंका बनी हुई है.
जवाब- मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि यूथ कन्वींस नहीं हुआ. पिछले तीन-चार दिनों में हमें जो फीडबैक मिले हैं, जितनी जानकारी मिल रही है, उस वजह से हमें अपना नोटिफिकेशन 4 दिन पहले जारी करना पड़ा. बहुत उत्साह है. तो मैं इससे सहमत नहीं हूं. यह मानता हूं कि पहले दो-तीन दिन कहीं-कहीं आक्रोश दिखा था, यूथ को बहुत सारी चीजें अच्छी तरह से समझायी नहीं जा सकी थीं.जो लोग समझे हैं, वहां से हमें कोई निगेटिव रिपोर्ट नहीं मिली.
सवाल- युवाओं की नाराजगी इस बात से लेकर भी है कि बहुत सालों ने किसी ने रिटेन क्वालीफाई कर रखा है तो किसी ने फिजिकल, किसी का मेडिकल हो गया है..लेकिन कॉल लेटर का इंतजार जारी है और उसके बाद वे अग्निपथ के रूप में एक और झटका मान रहे हैं.
जवाब -देखिए सिलेक्शन का एक पूरा प्रोसेस है. वह प्रोसेस कोविड-19 के कारण कंप्लीट नहीं हुआ था और सरकार ने अब 2 साल बढ़ा भी दिया है. इस साल की एंट्री के लिए 21 से 23 कर दिया है तो अब जो भी एलिजिबल हैं, उनको नए सिरे से ही आना पड़ेगा, क्योंकि वे सारी परीक्षाएं पास कर गए थे, उनको पहले से ही आइडिया है कि कैसे तैयारी करनी है, क्योंकि वे क्वालिफाई हुए थे, तो ऐसे युवा ये आसानी से कर पाएंगे.
सवाल-आपको नहीं लगता कि ये एक नेचुरल जस्टिस सिस्टम के खिलाफ है. युवा सालों तैयारी कर रहे हैं और उसके बाद उनको ऐसा झटका लग रहा है, क्या कसूर है उनका. आपको नहीं लगता कि उनको कुछ रियायत मिले?
जवाब- जी नहीं, जब भी नई स्कीम आएगी, उसे पूरी तरह लाना है और मैं यह भी बता दूं कि 3 से 4000 वैकेंसी के लिए छह लाख से अधिक आवेदन आते थे.हर सीट के लिए डेढ़ सौ के लगभग. बाकी लोग तो चूक ही जाते थे. कहीं न कही वे फिर कोशिश करते थे. वायुसेना में कई लोग सब क्लीयर हो चुके हैं, सब कुछ हो गया है.., कॉल लेटर का वेट कर रहे थे. जब सिस्टम बदलता है तो ये सब बदलता ही है. ये मान कर चलिए कि सिस्टम बदल गया है.
सवाल- वायु सेना में कितने अग्निवीर आएंगे और इनकी कहां तैनाती की जाएगी?
जवाब - पहले साल में 3000 आ रहे हैं, अगले साल 3500, तीसरे साल 4400 और चौथे साल 5300 और इनको तैनात किया जाएगा. वायुसेना में हर उस जगह पर जहां हम खुद मौजूद हैं पूरे भारतवर्ष में जहां भारतीय वायुसेना की यूनिट है, स्क्वाडर्न है, सब जगह इनकी तैनाती होगी.
सवाल- बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि 4 साल बाद क्या, जो 75 फीसदी फिर से निकल जाएंगे उनके लिए कहीं बातचीत चल रही है, क्या उनको गारंटी देने की स्थिति में है?
जवाब- गारंटी देने वाली स्थिति में सिर्फ एक ही चीज है आपकी जिंदगी अच्छे के लिए हमेशा के लिए बदल जाएगी, जो आप एक सरकारी नौकरी की तलाश में थे, अब आपको हम इतना कॉन्फिडेंस दे देंगे देशभर में कहीं भी किसी के साथ कंधा मिलाकर सिर ऊंचा करके कंप्लीट कर पाएंगे और हम यह भी गारंटी दे रहे हैं, जो उनकी सीवी बनेगा वह 4 साल के बाद वह काफी बेहतर होगा.
सवाल -मैं पूछना चाह रहा हूं कि नौकरी से 75 फीसदी निकलेंगे या फिर गांव में बैठ जाएंगे, फिर से उनको नौकरी के लिए भटकना पड़ेगा?
जवाब- बेझिझक नौकरी मिलेगी. वे इतने सक्षम रहेंगे कि उनको नौकरी मिलेगी. इस देश में नौकरी की कमी नहीं है,सक्षम लोगों की कमी है, जो इंडस्ट्री के लोगों से हमारी बातचीत हो रही है उनका एक ही मुद्दा है, क्वालिफिकेशन तो है, लेकिन जॉब रेडी नहीं हैं. अब हम इनके क्वालिफिकेशन को भी आगे बढ़ाएंगे और उनको टोटली जॉब रेडी भी करेंगे.
सवाल- कहा यह भी जा रहा है कि सेना अग्निवीरों को तैयार करेगी और वे कॉर्पोरेट घरानों के काम आएंगे?
जवाब- कॉर्पोरेट ही क्यों, आपने देखा पिछले एक हफ्ते में कितनी अनाउंसमेंट हुई हैं और कॉर्पोरेट भी तो देश का हिस्सा है. देश तो सबसे बनता है. यह क्यों मानें कि कॉर्पोरेट विदेशी है या फिर कुछ और है. देश बनाने में सब का हाथ है.
सवाल-मैं यह कह रहा हूं सेना कॉर्पोरेट के लिए अग्निविरो को तैयार करेगी कि उनके काम आएंगे, वे खुद ट्रेनिंग क्यों नहीं देते. कई पूर्व सैनिक तो उनसे जुड़े लोगों को ट्रेनिंग दे ही रहे हैं?
जवाब- जो बात को तोड़-मरोड़ कर कहना चाहते हैं, वे एक नजरिये को हाइलाइट कर रहे हैं. अब सीआरपीएफ ने बात की है, बहुत सारे गवर्नमेंट एजेंसी,कई डिपार्टमेंट ने बात की है, डीजी शिपिंग ने बात की है, सिविल एविएशन से हम बात कर रहे हैं. अब तो यूथ को फायदा हो रहा है कि 4 साल बाद वहां रहने के काबिल है तो यहां रहेंगे नहीं तो बाहर जाएंगे. उनके सामने तो सारे दरवाजे खुले हुए हैं.
सवाल- क्या अग्निवीर एक सैनिक रैंक है और यह रिटायरमेंट के बाद पूर्व सैनिक कहलाएंगे?
जवाब -अग्निवीर एक सैनिक रैंक है, जो हमारे अग्निवीर वायु हैं, वे एयरफोर्स एक्ट 1950 के तहत आएंगे. यह दर्जा तो है उनके लिए और एयरफोर्स की यूनिफॉर्म पहनेंगे तो कैसे कह सकते हैं कि यह सैनिक रैंक नहीं है.
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सवाल- लेकिन क्या रिटायर होने के बाद वे पूर्व सैनिक कहलाएंगे, उनको सारी सुविधाएं मिलेंगी?
जवाब- जी वे पूर्व सैनिक नहीं कहलाएंगे, क्योंकि इनकी टर्म और कंडीशन अलग हैं. देखिए वॉलिंटियरी फ़ोर्स रही है अभी भी और पहले भी रही है, जिनको ये टर्म्स एंड कंडीशन पसंद है, फौज पर भरोसा है, वे आएंगे.
सवाल-लेकिन कई देशों में जो कम अवधि के लिए जवान लिए गए हैं, उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा. रूस अभी भी यूक्रेन में जूझ रहा है, बहुत हद तक सफलता नहीं मिली है?
जवाब- मेरे विचार से ये गलत है. हमने भी ग्लोबल स्टडी किया है. सफलता मिलने और ना मिलने की कई सारी वजह होती हैं. उनका अपना तरीका था. हमें पता है कि किस तरह की ट्रेनिंग देते थे. हमने जो ठाना है, हमें उससे फायदा है, क्योंकि बहुत सारे देश हमसे पहले कर चुके हैं. उनकी गलतियों से भी हम सीखेंगे और उनसे तो हम बेहतर ही करेंगे. ट्रेनिंग भी 6 महीने बाद बंद नहीं होगी, ये तो शुरुआती ट्रेनिंग है, 4 साल के दौरान छोटे-छोटे कैप्सूल में लगातार ऑन द जॉब ट्रेनिंग होती रहेगी.
सवाल- लेकिन नौजवानों के अंदर नाराजगी है. उनका कहना है कि 4 साल तो हम करेंगे लेकिन उसके बाद क्या? नौकरी की जो बात कर रहे हैं, राज्य सरकार में कई जगहों पर वैकेंसी नहीं निकलती, पैरा मिलिट्री फोर्सेज में एक लाख से ज्यादा सीट खाली हैं, हर जगह कमोबेश यही हाल है?
जवाब- तो 4 साल बाद अपने पर भरोसा रखें और उन्हें अच्छी से अच्छी नौकरी मिलेगी, अभी आपने देखा होगा जो फौजी लोग बीच में छोड़ जाते थे, उन्हें अच्छे से अच्छे काम नौकरियां मिल रही हैं.
सवाल- पूर्व सैनिकों की बात करें जिस तरह का उनका लेवल है, सम्मान है, वेतन है, वह क्या बाहर मिल पाता है? अगर जवान के लेवल पर इस बात को करें तो?
जवाब- देखिए हम हर चीज को पुराने लेंस से देख रहे हैं. पुराना लेंस बहुत कुछ प्रिज्मसन करता है कि जो पहले होता था. इस नए ढांचे में कैसे फिट होगा. यह गलत सोच है. हमने तो इन लोगों को डालने का ढांचा ही अलग बताया है, तराशने का ढांचा ही अलग बताया है. मेरा तो अनुरोध है कि पुराने लेंस से इस नई स्कीम को ना देखें और मेरा यह भी अनुरोध है जिन तीनों सेनाओं पर आपने हमेशा भरोसा किया है, अभी भी रखें.
सवाल- तो क्या अग्निवीर पूरी तरह से अलग होंगे?
जवाब -पूरी तरह से अलग होंगे अग्निवीर, इसीलिए तो इसे लागू किया जा रहा है. इसके जरिए अगले 10-20 सालों में तीनों सेनाएं एक अलग आसमान को छूएंगे.
सवाल- क्या लगता है अगर इसमें कुछ खामियां मिलती हैं तो फिर क्या इसमें कुछ सुधार कर सकते हैं, मॉडिफाई कर सकते हैं जरूरत के मुताबिक या फिर तय कर लिया कि कुछ नहीं करेंगे?
जवाब- जी हां, ये पावर रक्षामंत्री जी को दी गई है और अगर सर्विस या फिर तीनों सर्विस लागू होने के बाद 1 या 2 साल, या 5 साल बाद कुछ कमियां हैं तो वह वित्त मंत्रालय के साथ बात करके इसमें बदलाव कर सकते हैं.
सवाल-लोग भी लगातार फीडबैक देते रहेंगे, क्या कमी है, इसमें बदलाव करें?
जवाब- इसका ढांचा आ गया है, यह फ्लैक्सिबल तो नहीं है बदलाव लाने के लिए. उसका मुद्दा होना चाहिए. आंकड़ा होना चाहिए. कुछ वजह होनी चाहिए. जो शंका वाले लोग हैं, उनको कहना चाहते हैं कि इसको पहले लागू तो होने दीजिए. वापस तो नहीं होगा, लेकिन सुधार तो हो सकता है, क्योंकि बहुत सोच समझ कर इसे बनाया गया है, ये क्यों वापस हो.
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