प्रतीकात्मक चित्र
मुंबई:
नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट ने ओबीसी समाज के आरक्षण को लेकर एक बड़ा प्रस्ताव दिया है। कमीशन ओबीसी समाज के संपन्न परिवारों के आरक्षण को हटाना चाहता है। आयोग की वेबसाइट पर इस प्रस्ताव को पढ़ा जा सकता है।
पिछड़ों के बाद आरक्षण का बड़ा तबका कहे जानेवाले ओबीसी समाज के आरक्षण में ढांचागत बदलाव की पेशकश हुई है। कमीशन के प्रस्ताव के अनुसार मंत्री, सांसद और सेक्रेटरी स्तर पर काम कर चुके ओबीसी के बच्चों को ओबीसी आरक्षण नहीं मिलना चाहिए, जबकि विधायकों पर यह नियम लागू नहीं होगा। इसके तहत संपन्न ओबीसी परिजनों की अगली पीढ़ी को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण नहीं मिलेगा।
इसके साथ कमीशन ने ओबीसी आरक्षण में सोशल स्टेट्स कैटेगिरी का समावेश कराने का प्रस्ताव दिया है। किसी भी आरक्षण में ऐसी कैटेगिरी पहली बार होगी। साथ ही, ओबीसी परिवार की सकल वार्षिक आमदनी 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख की जाने की बात भी कही गई है। प्रचलित भाषा में इसे क्रीमीलेयर की मर्यादा बढ़ाना कहा जाता है।
आयोग को भेजे गए प्रस्ताव पर महाराष्ट्र से सबसे पहले प्रतिक्रिया उभरी है। राज्य के ओबीसी नेता और एनसीपी विधायक छगन भुजबल ने NDTV से बात करते हुए सवाल पूछा है कि क्या ओबीसी समुदाय के लिए निर्धारित आरक्षण का कोटा पूरा हो रहा है। भुजबल का दावा है कि, अगर नौकरी का आरक्षण हटाया गया तो वह अन्यायपूर्ण फैसला होगा। जब ओबीसी कोटा सरकारी नौकरियों में पूरा नहीं भरा जा रहा तब इसे हटाना कितना सही है।
दूसरी तरफ बीजेपी सरकार में मंत्री और दिवंगत ओबीसी नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने NDTV से बात करते हुए क्रीमीलेयर की मर्यादा बढ़ाने का स्वागत किया है। मुंडे का कहना है की क्रीमीलेयर की मर्यादा पारिवारिक आय 15 लाख रुपये तक हो जाने पर कोटे का लाभ अधिकाधिक ओबीसी ले सकेंगे, जिससे खाली रहे समुदाय का कोटा भरने में मदद मिलेगी। देश में ओबीसी समाज को 27 फीसदी आरक्षण लागू है। मंडल कमीशन की सिफारिश के बाद यह आरक्षण दिया गया था।
पिछड़ों के बाद आरक्षण का बड़ा तबका कहे जानेवाले ओबीसी समाज के आरक्षण में ढांचागत बदलाव की पेशकश हुई है। कमीशन के प्रस्ताव के अनुसार मंत्री, सांसद और सेक्रेटरी स्तर पर काम कर चुके ओबीसी के बच्चों को ओबीसी आरक्षण नहीं मिलना चाहिए, जबकि विधायकों पर यह नियम लागू नहीं होगा। इसके तहत संपन्न ओबीसी परिजनों की अगली पीढ़ी को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण नहीं मिलेगा।
इसके साथ कमीशन ने ओबीसी आरक्षण में सोशल स्टेट्स कैटेगिरी का समावेश कराने का प्रस्ताव दिया है। किसी भी आरक्षण में ऐसी कैटेगिरी पहली बार होगी। साथ ही, ओबीसी परिवार की सकल वार्षिक आमदनी 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख की जाने की बात भी कही गई है। प्रचलित भाषा में इसे क्रीमीलेयर की मर्यादा बढ़ाना कहा जाता है।
आयोग को भेजे गए प्रस्ताव पर महाराष्ट्र से सबसे पहले प्रतिक्रिया उभरी है। राज्य के ओबीसी नेता और एनसीपी विधायक छगन भुजबल ने NDTV से बात करते हुए सवाल पूछा है कि क्या ओबीसी समुदाय के लिए निर्धारित आरक्षण का कोटा पूरा हो रहा है। भुजबल का दावा है कि, अगर नौकरी का आरक्षण हटाया गया तो वह अन्यायपूर्ण फैसला होगा। जब ओबीसी कोटा सरकारी नौकरियों में पूरा नहीं भरा जा रहा तब इसे हटाना कितना सही है।
दूसरी तरफ बीजेपी सरकार में मंत्री और दिवंगत ओबीसी नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे ने NDTV से बात करते हुए क्रीमीलेयर की मर्यादा बढ़ाने का स्वागत किया है। मुंडे का कहना है की क्रीमीलेयर की मर्यादा पारिवारिक आय 15 लाख रुपये तक हो जाने पर कोटे का लाभ अधिकाधिक ओबीसी ले सकेंगे, जिससे खाली रहे समुदाय का कोटा भरने में मदद मिलेगी। देश में ओबीसी समाज को 27 फीसदी आरक्षण लागू है। मंडल कमीशन की सिफारिश के बाद यह आरक्षण दिया गया था।
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