तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी पिछले संसद परिसर में उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति की मिमिक्री कर चर्चा में आ गए थे.बनर्जी ने मंगलवार को लोकसभा में अपने भाषण से एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं.वो लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हो रही चर्चा में भाग ले रहे थे.इस दौरान कई मौके ऐसे आए जब पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा. बनर्जी तृणमूल के वरिष्ठ सासंद हैं.वो 2009 से हुगली जिले की सेरामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने जा रहे हैं.
ममता बनर्जी के पुराने सहयोगी
कल्याण बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे पुराने करीबियों में से एक हैं. वो 1998 में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की स्थापना के बाद से ही उससे जुड़े हुए हैं. संसद में आने से पहले 2001 से 2006 तक विधानसभा के सदस्य रहे. पहली बार वो 2001 में आसनसोल उत्तर सीट से विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. लेकिन 2006 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
वो 2007 से 2009 तक टीएमसी के उपाध्यक्ष भी रहे.पार्टी ने 2009 के चुनाव में लोकसभा का टिकट दिया.उन्होंने पार्टी के भरोसे पर खरा उतरते हुए हुगली की सेरामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए.साल 2024 के चुनाव में सेरामपुर से ही चौथी बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं. इस बार बीजेपी ने कल्याण बनर्जी के खिलाफ उनके पूर्व दामाद कबीर शंकर बोस को ही मैदान में उतार दिया था.
कलकत्ता हाई कोर्ट में करते हैं प्रैक्टिस
बनर्जी वकालत के पेशे से राजनीति में आए हैं.इसलिए जब पेचीदा कानूनी मामलों की बात आती है तो कल्याण बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के लिए एक उपयोगी वकील साबित होते हैं.उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट में कई हाई प्रोफाइल मामलों में पार्टी की ओर से दलील रखी है.वो कलकत्ता हाई कोर्ट में 1981 से वकालत कर रहे हैं.
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बनर्जी जिन मामलों में अदालत में पेश हुए हैं,उनमें रिजवानुर रहमान केस भी शामिल है. इसमें रहमान के प्रभावशाली हिंदू ससुराल पक्ष ने कथित तौर पर उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया था.उन्होंने नंदीग्राम और सिंगूर आंदोलन में भी पार्टी का पक्ष रखा.पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ किए गए इन आंदोलनों ने तृणमूल कांग्रेस को खड़ा होने में काफी मदद की.
कल्याण बनर्जी टीएमसी के सत्ता में आने से पहले भी खबरों में रहते थे. साल 2009 में उन्होंने 'स्कॉच व्हिस्की' के प्रति अपनी रुचि के लिए मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी की फिल्म और सांस्कृतिक केंद्र की लगातार यात्राओं को जिम्मेदार बताया था. वहीं 2015 में बीजेपी के वरिष्ठ भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल में पार्टी मामलों के तत्कालीन प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कल्याण बनर्जी को अपने और अपने परिवार के सदस्यों के खिलाफ कथित मानहानिकारक और अपमानजनक बयान देने के लिए कानूनी नोटिस भेज दिया था.
अभिषेक बनर्जी की भी कर चुके हैं आलोचना
कल्याण बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी खेमे का नेता माना जाता है. वो ममता के भतीजे और पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अभिषेक बनर्जी की सार्वजनिक आलोचना करने से भी पीछे नहीं हटते हैं.कोविड काल में कोरोना से लड़ने के लिए बनाए गए डायमंड हार्बर मॉडल की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि अगर वो कोरोना से लड़ाई को लेकर बहुत गंभीर हैं तो नए साल की शुरुआत पर फुटबाल मैच का आयोजन क्यों किया गया.
उन्होंने कई बार कहा है कि पार्टी और पश्चिम बंगाल में ममता के शब्द ही अंतिम शब्द हैं. हाल ही में टीएमसी में जब अभिषेक खेमे ने जब पार्टी नेताओं के लिए आयु सीमा की बात की तो कल्याण बनर्जी ने इसकी आलोचना करते हुए कहा,''ममता बनर्जी से ज्यादा कौन समझेगा कि जनता क्या चाहती है?पार्टी की नीतियां ममता बनर्जी तय करती हैं, राज्य की नीतियां ममता बनर्जी तय करती हैं. किसी को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिस पर ममता के हस्ताक्षर न हों,''
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