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This Article is From Oct 24, 2020

विजेंद्र यादव: 2014 में थे CM पद के दावेदार, 1990 से जीत रहे लगातार, लोग कहते हैं 'कोशी के विश्वकर्मा'

2015 के चुनावों में उनके खिलाफ 51 उम्मीदवार मैदान में थे, बावजूद उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार किशोर कुमार को 38 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया.

विजेंद्र यादव: 2014 में थे CM पद के दावेदार, 1990 से जीत रहे लगातार, लोग कहते हैं 'कोशी के विश्वकर्मा'
अपने इलाके में विकास कार्यों खासकर कोशी नदी पर पुल की वजह से विजेंद्र यादव इलाके में काफी लोकप्रिय रहे हैं.
नई दिल्ली:

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार में ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव राज्य के उन राजनीतिज्ञों में से हैं, जिन्होंने हारना नहीं जाना है. जेपी मूवमेंट में राजनीति का ककहरा पढ़ने वाले विजेंद्र यादव ने साल 1990 में पहली बार जनता दल के टिकट पर सुपौल सदर सीट से विधान सभा चुनाव लड़ा और विजयी हुए. उसके बाद से अब तक हुए सात चुनावों यानी सभी में विजयी रहे हैं. यादव नीतीश के अपारिजत योद्धाओं में शामिल हैं. यही वजह है कि साल 2014 में जब लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब सीएम पद के दावेदारों में विजेंद्र यादव का नाम भी टॉप लिस्ट में था.

हालांकि, सियासी दांव-पेंच और सत्ता समीकरण में बाजी जीतनराम मांझी ने मारी. सादगी जीवन जीने वाले विजेंद्र यादव जब पहली बार जीतकर आए तो लालू यादव की सरकार में मंत्री बनाए गए. जब लालू यादव ने जनता दल तोड़कर राजद बनाई तो विजेंद्र यादव पुराने जनता दल में ही रह गए. बाद में समता पार्टी और जनता दल का विलय होकर नई पार्टी जनता दल यूनाइटेड बनी. 2005 में विजेंद्र यादव जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष थे. उनके ही नेतृत्व में 2005 में राजद की सत्ता से विदाई हुई और बीजेपी-जेडीयू की गठबंधन सरकार बनी. तब फिर विजेंद्र यादव नीतीश सरकार में भी मंत्री बनाए गए.  यादव अब तक राज्य के ऊर्जा, सिंचाई, विधि, वाणिज्य, मद्य निषेध विभाग के मंत्री रह चुके हैं. फिलहाल ऊर्जा मंत्री हैं.

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अपने इलाके में विकास कार्यों खासकर कोशी नदी पर पुल की वजह से विजेंद्र यादव इलाके में काफी लोकप्रिय रहे हैं. उन्हें लोग कोशी के विश्वकर्मा के नाम से भी पुकारते हैं. यादव 1990 से लगातार सात बार (2005 में दो बार- फरवरी और नवंबर) विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. हर बार उन्होंने विपक्षी प्रतिद्वंदी को पटखनी दी.

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2015 के चुनावों में उनके खिलाफ 51 उम्मीदवार मैदान में थे, बावजूद उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार किशोर कुमार को 38 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया. 2015 में जेडीयू और राजद ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. 1990 और 1995 का विधान सभा चुनाव इन्होंने जनता दल के चक्का छाप पर जीता था बाद में साल 2000 से लगातार जेडीयू के तीर निशान पर जीत रहे हैं.
 

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