दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा (फाइल फोटो)
मुंबई:
नक्सलियों के साथ कथित संबंध रखने के आरोपी दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईंबाबा की जमानत रद्द होने के बाद वो वापस नागपुर सेंट्रल जेल पहुंच गये हैं। उनका परिवार बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा।
प्रोफेसर साईंबाबा की पत्नी वसंथा कुमारी ने कहा, 'मैं इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दूंगी, हम इस अपमान के ख़िलाफ लड़ेंगे।' नक्सलियों के साथ कथित संबंधों के आरोप में दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर साईंबाबा को पिछले साल मई में गिरफ्तार किया गया था। वह नागपुर जेल में 14 महीने बिता चुके हैं, उनकी बिगड़ती सेहत से उनके परिजन बेहद फिक्रमंद हैं। उनकी पत्नी वसंथा ने कहा, 'वो दोनों पैरों से लाचार हैं, जब से वो जेल गये हैं उनके बाएं हाथ में भी हरकत बंद हो गई है। उन्हें बेल मिली थी, फिर उनका इलाज हो रहा था। नागपुर में कोई सुविधा नहीं है।'
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस मॉर्कंडेय काटजू अपने ब्लॉग में प्रोफेसर साईंबाबा के समर्थन में खड़े दिखते हैं, वहीं लेखिका अरूंधति रॉय जो प्रोफेसर साईं बाबा की गिरफ्तारी के विरोध में बहुत पहले से खड़ी हैं, उन्हें जमानत रद्द होने के बाद अपनी टिप्पणी के लिए अदालत की अवमानना के नोटिस का सामना करना पड़ा है।
इस मसले पर विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा, 'पहली नज़र में अरूंधति रॉय के बयान अवमानना का आधार बनते हैं, अभिव्यक्ति की आज़ादी और कोर्ट के ख़िलाफ अवमानना के बीच बहुत पतली लकीर है। हर शख्स को कोर्ट के फैसले के बारे में कहने का आधार है, लेकिन उससे न्यायपालिका की छवि धूमिल नहीं होनी चाहिए।
प्रोफेसर साईंबाबा का परिवार 2 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करेगा। हालांकि जमानत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में उन्हें हफ्ते भर का वक्त लगेगा।
प्रोफेसर साईंबाबा की पत्नी वसंथा कुमारी ने कहा, 'मैं इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दूंगी, हम इस अपमान के ख़िलाफ लड़ेंगे।' नक्सलियों के साथ कथित संबंधों के आरोप में दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर साईंबाबा को पिछले साल मई में गिरफ्तार किया गया था। वह नागपुर जेल में 14 महीने बिता चुके हैं, उनकी बिगड़ती सेहत से उनके परिजन बेहद फिक्रमंद हैं। उनकी पत्नी वसंथा ने कहा, 'वो दोनों पैरों से लाचार हैं, जब से वो जेल गये हैं उनके बाएं हाथ में भी हरकत बंद हो गई है। उन्हें बेल मिली थी, फिर उनका इलाज हो रहा था। नागपुर में कोई सुविधा नहीं है।'
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस मॉर्कंडेय काटजू अपने ब्लॉग में प्रोफेसर साईंबाबा के समर्थन में खड़े दिखते हैं, वहीं लेखिका अरूंधति रॉय जो प्रोफेसर साईं बाबा की गिरफ्तारी के विरोध में बहुत पहले से खड़ी हैं, उन्हें जमानत रद्द होने के बाद अपनी टिप्पणी के लिए अदालत की अवमानना के नोटिस का सामना करना पड़ा है।
इस मसले पर विशेष सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा, 'पहली नज़र में अरूंधति रॉय के बयान अवमानना का आधार बनते हैं, अभिव्यक्ति की आज़ादी और कोर्ट के ख़िलाफ अवमानना के बीच बहुत पतली लकीर है। हर शख्स को कोर्ट के फैसले के बारे में कहने का आधार है, लेकिन उससे न्यायपालिका की छवि धूमिल नहीं होनी चाहिए।
प्रोफेसर साईंबाबा का परिवार 2 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन करेगा। हालांकि जमानत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में उन्हें हफ्ते भर का वक्त लगेगा।
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