
डॉलर को उसके हाल पर छोड़ दीजिए, उसने भारतीय रुपये को जितना कमज़ोर नहीं किया है,उससे कहीं ज़्यादा भारत की राजनीति को झूठा बना दिया है. उसके नाम पर 2013-14 के साल में एक से एक कुतर्क गढ़े गए. इन कुतर्कों ने कई लोगों को नेता बना दिया.अब डॉलर अपने झूठ का बदला लेना चाहता है. वह रुपये को छोड़ कर उन नेताओं और साधु बाबाओं का पीछा कर रहा है, जो कुतर्क गढ़ रहे थे कि रुपया कमज़ोर होता है तो सरकार की साख समाप्त हो जाएगी और एक डॉलर चालीस रुपया का हो जाएगा. उन्हें पता था कि ऐसा होना नहीं है, उन्हें यह भी पता था कि जनता में कुर्तक और झूठ की भूख बढ़ गई है, इसलिए सप्लाई में कमी नहीं होनी चाहिए.जो लोग आज के हुक्मरानों से 2013 के आधार पर जवाब मांग रहे हैं, उन्हें जवाब नहीं मिलेगा.उम्मीद है गोदी मीडिया ने निर्मला सीतारमन के बयान को चर्चा लायक नहीं समझा होगा. एक अपराध बोध की तरह यह मुद्दा भारत के राजनीतिक मानस में धंसा रहेगा. इसलिए 2014 के मुद्दे और वादे भूत बनकर जनता का पीछा कर रहे हैं.
जब तक 2013-14 के समय के डॉलर एक्सपर्ट और आज के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी सफाई नहीं देंगे कि तब ऐसा क्यों कहा करते थे, तब तक वित्त मंत्री को इसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए कि उनकी बात को ठीक से नहीं समझा गया. हर जगह यही हेडलाइन है कि रुपया कमज़ोर नहीं हुआ है, डॉलर मज़बूत हो गया है. आज भी रुपया ही कमज़ोर हुआ है और डॉलर मज़बूत हुआ है. एक डॉलर 82 रुपये 39 पैसे के भाव पर रहा.
डॉलर मज़बूत हुआ है, रुपया कमज़ोर नहीं हुआ है. इस एक लाइन को लेकर सोशल मीडिया में खूब लतीफे बन रहे हैं. यही राजनीति 2014 में इस देश में आई थी, अब वह पलट कर वही करना सीख गई है. कोई कह रहा है कि न्यूटन होते तो कहते कि सेब पेड़ से नहीं गिरा, धरती पेड़ के पास आ गई थी.जो भी है गोदी मीडिया को इस बात लेकर बहस करनी चाहिए था कि ताकि यह मुद्दा कहीं तो जाकर ठहरे.यह मसला हंसी मज़ाक का नहीं है बल्कि पत्रकारिता का है और जवाबदेही का. महंगाई बढ़ती ही जा रही है. सितंबर में महंगाई दर 7.4 प्रतिशत हो गई. इस महीने भी तमाम चीज़ों के दाम बढ़ रहे हैं. वित्त मंत्री कह सकती हैं कि चीज़ों के दाम बढ़ रहे हैं, महंगाई नहीं बढ़ रही है. हिमांशु ने एक दुकानदार से बात की है, जो बता रहे हैं कि ब्रांड वाले सरसों तेल का भाव एक हफ्ते में 13 से 18 रुपये बढ़ गया है.
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने गेहूं की बढ़ती कीमतों पर कहा है कि जितना बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है, उस अनुपात में कीमतें इतनी भी असमान्य तरीके से नहीं बढ़ रही है. चुनावों का दाम पर असर पड़ने लगा है.जहां चुनाव है वहां रेट अलग है. गुजरात सरकार ने CNG और PNG पर से वैट में 10 फीसदी की कमी कर दी है. दोनों का रेट काफी तेज़ी से बढ़ा है.
आज कैबिनेट मंत्री जीतू वघाने ने बताया कि दीवाली से पहले गुजरात की जनता को गैस सिलेंडर पर 1650 करोड़ की राहत दी जाएगी, इससे 38 लाख उपभोक्ताओ को फायदा होगा. उज्ज्वला योजना के हर उपभोक्ता को साल में दो सिलेंडर मुफ्त मिलेंगे. दिव्य भास्कर ने इसे गैस की रेवड़ी लिखा है.
क्या गोदी मीडिया सवाल करेगा कि कहां गई मुफ्त की रेवड़ी की बहस? जिसे महान विचार बताकर हफ्तों पन्ने भरे गए और डिबेट किए गए.असल में आपको समझना होगा, इस तरह का महान सा लगने वाला आइडिया क्यों लाया जाता है, ताकि उसके बहाने इस तरह से चर्चा हो कि ये काम हो जाता तो बाकी सारे सवालों के जवाब मिल जाते. फिर इसके नाम पर उस समय के ज़रूरी सवाल को ग़ायब कर दिया जाता है. सिम्पल सवाल है जब गुजरात का इतना विकास हुआ है, विकास के मामले में गुजरात मॉडल है तब वहां के लोगों को राहत देने के लिए 1650 करोड़ की सब्सिडी की क्यों ज़रूर पड़ी? काम ही काफी था? क्या यह रेवड़ी नहीं है? क्या गोदी मीडिया पूछ सकता है क्योंकि रेवड़ियों के खिलाफ बहस वही कर रहा था.
इसके बाद भी इस पोस्टर को देखकर आप ख़ुश नहीं हो सकते, मध्यप्रदेश के दामौह में प्रेस क्लब ने पोस्टर ही लगा दिया कि दलाल पत्रकारों पत्रकारिता छोड़ो. इससे पता चलता है कि प्रेस के भीतर काम करने वाले पत्रकारों का भी दम घुट रहा है. वे गोदी मीडियाकरण को झेल नहीं पा रहे हैं. हर अच्छा पत्रकार अपने भीतर बड़ी खबर लेकर घूम रहा है मगर वह न छप रही है न दिखाई जा रही है. यह पोस्टर जनता से संवाद कर रहा है, इसे समझे.वर्ना प्रेस क्लब की तरह से यह पोस्टर नहीं लगाया जाता.यह पोस्टर शहर के लोगों को दीपावली की शुभकामनाएं देने के लिए है, लेकिन इस पर यह भी लिखा है कि दलालों पत्रकारिता छोड़ो. इस बात की राहत है कि यह पोस्टर वाशिंगटन पोस्ट में नहीं छपा है बल्कि भारत के पत्रकारों ने ही छपवा कर भारत में लगवा दिया है. पत्रकारिता की ये हालत हो जाएगी, किसने सोचा था.
क्या आपने ईडी और सीबीआई के सामने कभी आपने भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों की पेशी देखी है? क्या यह मान लिया जाए कि कोई भ्रष्टाचार ही नहीं हो रहा है? या फिर भारत की राजनीति में जितने भी ईमानदार लोग हैं, वो सब बीजेपी में चले गए हैं और बीजेपी में ही हैं.अगर ये एजेंसियां स्वतंत्र हैं तो क्यों हर बार विपक्ष का कोई मुख्य चेहरा ही बुलाया जाता है, गिरफ्तार होता है? सरकार इन आलोचनाओं के साथ सामान्य हो चुकी है. एजेंसियां स्वतंत्र हैं, यह कह कर अपना काम चला लेती है.
जून के महीने में जब नेशनल हेराल्ड केस के मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कई घंटे की पूछताछ की गई तब आधिकारिक तौर पर पता ही नहीं चला कि इससे क्या निकला. सूत्रों के हवाले से ख़बरें छपती रहीं. राहुल गांधी से ED ने 12 घंटे की पूछताछ की थी. राहुल गांधी भी जब पूछताछ के लिए गए तो उनके साथ कांग्रेस के नेता भी पैदल चल कर गए. कांग्रेस ने जवाब देने की कोशिश की कि इन छापों और पूछताछ से वह डरने वाली नहीं है. पूछताछ के बाद कांग्रेस मुख्यालय में एक कार्यक्रम भी हुआ जिसमें एक तरह से राहुल का सम्मान किया गया. राहुल गांधी ने खुद को भगत सिंह तो नहीं कहा मगर ये ज़रुर कहा कि वे विपश्यना करते हैं. और ये पूछताछ इसलिए हो रही है कि कांग्रेस अग्निवीर योजना से लेकर बेरोज़गारी के सवालों को उठाती रहती है.
“मैं विपश्यना करता हूं बैठना पड़ता है तो आदत लग गई है मुझे कोई दिक्कत नहीं आपने जवाब दिया, आपने चेक किया, इतनी पेंशस कहां से मिल गई. कह देना था. कांग्रेस पार्टी में 2004 से काम कर रहा हूं, पेशेंस नहीं आएगी तो क्या आएगी. इस बात को कांग्रेस का हर नेता समझता है, देखो बैठे हुए हैं. सचिन पायलट भी बैठे हुए हैं. मैं बैठा हूं.”
विपक्ष अब मानसिक रूप से तैयार होने लगा है कि जांच एजेंसियों का सामना कैसे करना है. कुछ विपक्षी दल एक साथ आलोचना करते हैं तो कुछ ने अपनी राह चुन ली है. अकेले लड़ रहे हैं.आज ही ईडी मामले में शिवसेना के नेता संजय राउत की जम़ानत को लेकर सुनवाई होनी थी, टल गई. आज संजय राउत की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त हो रही थी. उधर आम आदमी पार्टी आज कई घंटे तक सीबीआई मुख्यालय के बाहर जमी रही और जांच एजेंसी से लेकर मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगते रहे. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डेढ़ सौ दिनों से जेल में हैं. राउज़ एवेन्यु के ज़िला जज ने ईडी की मांग पर जैन का मामला दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. इसे सत्येंद्र जैन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी मगर उनकी याचिका खारिज हो गई. इसके बाद जैन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, वहां से आज अपनी याचिका वापस ले ली. क्योंकि मंगलवार को जैन की याचिका पर नियमित सुनवाई होगी.सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया तो पार्टी ने भी अभियान छेड़ दिया.
मनीष सिसोदिया के बयान के साथ एक पोस्टर जारी किया गया कि मेरे जेल जाने पर अफसोस मत करना, गर्व करना. मनीष सिसोदिया की तस्वीरों के कोलाज के साथ लिखा गया, आज के भगत सिंह. इस पोस्टर में एनिमेशन का इस्तेमाल किया गया है जिसमें सिसोदिया को बच्चों का रक्षक दर्शाया गया है. वे तमाम हमलों को ढाल से रोक रहे हैं ताकि बच्ची की पढ़ाई पर असर नहीं पड़े. प्रेस कांफ्रेंस में आतिशी ने कहा कि ज़ोर देकर बताया गया कि मनीष सिसोदिया भगत सिंह जी का बसंती रंग पहनकर सीबीआई मुख्यालय गए हैं. अरविंद केजरीवाल सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को भगत सिंह बताने लगे हैं.
जब सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया था तब से अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार करेंगे. आम आदमी पार्टी इसे गुजरात के चुनाव से जोड़ रही है.पार्टी यह भी नारा लगा रही है कि 8 दिसंबर को जब गुजरात चुनाव के नतीजे आएंगे तब जेल के ताले टूटेंगे. जिस तरह से आप मनीष सिसोदिया से सीबीआई की पूछताछ को गुजरात से जोड़ रही है, हिमाचल को छोड़ दे रही है. मनीष सिसोदिया सीबीआई दफ्तर जाने से पहले राजघाट गए. रोड शो भी किया.इस दौरान सीबीआई मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं संजय सिंह समेत आप के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया.
जांच एजेंसियों को चाहिए कि वे प्रेस कांफ्रेंस कर सवालों का सामना करें और बताएं कि क्या आरोप है. सूत्रों के हवाले से आने वाली सूचनाएं राजनीतिक रूप से एकतरफा माहौल बनाने लग जाती हैं तो मनीष सिसोदिया को भी कहने का मौका मिलता है कि घर और गांव में जांच हो गई, कुछ मिला तो नहीं तो अब गिरफ्तारी का रास्ता खोज रहे हैं. 2000 के बाद कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ है.शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए वोट डाले गए. इस चुनाव को लोग नाटक बता रहे हैं, वही लोग बीजेपी के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कुछ नहीं बता रहे हैं. जे पी नड्डा पहले मनोनित किए गए, फिर बिना विरोध के निर्वाचित किए गए और अब उनका कार्यकाल 2024 के लिए बढ़ा दिया गया है.प्रतीकात्मक ही सही, कांग्रेस पार्टी में दो पक्ष चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों ने पार्टी के भीतर और बाहर दिए गए इंटरव्यू में पार्टी को लेकर कुछ बात तो रखी. बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई, वहीं अध्यक्ष पद का चुनाव कैसे होता है, किसी को पता नहीं.
कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वह इतिहास का दर्दनाक हिस्सा है लेकिन उन्हें लेकर जो राजनीति हुई वह और भी ख़राब है. जब कश्मीर फाइल्स फिल्म आई तो व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के ज़रिए माहौल बना दिया गया.लोगों से कहा जाने लगा कि इस फिल्म को देखना देश की रक्षा करने जैसा है. लेकिन वही कश्मीरी पंडित अपने ही नाम पर की जाने वाली राजनीति से बाहर कर दिए गए. जम्मू कश्मीर में जब से कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया है, कश्मीरी पंडित असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ज़ाहिर है उनके साथ जो अतीत में हुआ है, ऐसी घटनाओं से उनके मन में आशंकाएं पैदा होंगी. कश्मीर पंडित घाटी में भी प्रदर्शन कर रहे हैं और अब अपनी आवाज़ लेकर दिल्ली आए हैं. नीता
छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपये प्रति किलो गोबर खरीदा जा रहा है. कई राज्य इस योजना को अपनाने की बात कह रहे हैं. मगर विधानसभा में सरकार ने जो आंकड़े पेश किए हैं, उसे भी देखने की ज़रूरत है. अनुराग द्वारी की रिपोर्ट इन
महाराष्ट्र में अंधेरी पूर्व की सीट पर उपचुनाव हो रहा है. बीजेपी ने मुरजी पटेल की उम्मीदवारी वापस ले ली है. उद्धव ठाकरे को बेदखल करने के बाद यह पहला चुनाव है जहां ठाकरे बनाम शाह के बीच परीक्षा होती, लेकिन बीजेपी ने अपना उम्मीदवार ही वापस ले लिया इस तरह से बीजेपी और उद्धव ठाकरे शिव सेना गुट अब आमने सामने नहीं होंगे. बात अगर किसी परंपरा की है तो बीजेपी को उम्मीदवारी का एलान करते समय इसका ध्यान नहीं आया? अगर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार वापस लिया होता या उद्धव ठाकरे ने वापस लिया होता तो गोदी मीडिया क्या करता? यही कारण है कि इतने सारे चैनल और अखबार के होने के बाद भी बहुत कम जानते हैं.
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