सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का मुद्दा शीर्ष अदालत पहुंच गया जिसने यह कहते हुए राज्य में केंद्रीय शासन लगाए जाने की सिफारिश से संबंधित राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा की रिपोर्ट मांगी कि ‘यह काफी गंभीर मामला है।’ अदालत के निर्देशानुसार राज्यपाल ने शुक्रवार को बंद लिफाफे में रिपोर्ट अदालत को सौंप दी। अगली सुनवाई सोमवार को होगी। आखिर राज्यपाल ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें है क्या? सूत्रों के अनुसार...
- राज्यपाल और उनके परिवार को सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता है क्योंकि उनकी सार्वजनिक निंदा की जा रही है और राज भवन का आये दिन घेराव होता रहा है। इस दौरान गन्दी भाषा इस्तेमाल हुई। मिथुन को राज भवन को काटा गया। और सोशल नेटवर्किंग साईट के जरिये परिवार को धमकी दी जा रही है कि अगर कोर्ट का फैसला मुख्यमंत्री के हक़ में नहीं आता तो राज्यपाल और उनके परिवार पर हमला किया जायेगा। राज भवन जला दिया जायेगा ये भी धमकी में कहा गया। अगर राज्यपाल का परिवार सुरक्षित महसूस नहीं करता और सुरक्षा की मांग करनी पड़ रही है तो आम आदमी कैसे सुरक्षित।
- हर बीतते दिन के साथ कानून व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही थी।
- राज्यपाल को मुख्यमंत्री को लिखे गए किसी भी पत्र का मुख्यमंत्री ने जवाब नहीं दिया। ये भी कहा कि 29 सितंबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर ये बताया था कि 18 जून से अभी तक लिखे गए पत्रों में से 9 पत्रों का जवाब मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने नहीं दिया।
- राज्य के परियोजना की जानकारी राज्यपाल को नहीं दी जा रही थी।
- राज्य कैबिनट ने एक अन्य प्रस्ताव के जरिये मुख्य सचिव, आयुक्तों, सचिवों और विभाग अध्यक्ष को निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना राज्यपाल के साथ किसी बैठक में हिस्सा न लें।
- मुख्यमंत्री ने 21 विधायकों द्वारा बगावत के लिए राज्यपाल को दोषी ठहराया। आरोप लगाया गया कि बीजेपी के साथ मिलकर ये बगावत कराई।
- मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इस बारे में शिकायत करेंगे। अपनी नाकामी के लिए ये दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।
- मुख्यमंत्री ने अराजकता को बढ़ावा दिया। सरकारी अधिकारियों का राजनीतिकरण किया, उन्हें उकसाकर, भड़काकर।
- मुख्यमंत्री और स्पीकर एक ही समुदाय के हैं और संप्रदायिक राजनीती को बढ़ा रहे हैं। ये सांप्रदायिक संगठनों को फंड देते हैं। राज्यपाल के खिलाफ भी लोगों को भड़काते हैं।
- तीन बागी विधायकों ने प्रेस रिलीज जारी कर प्रतिबंधित NSCN के जरिये उनके परिवार को धमकी दिलाई। ताकि वो मुख्यमंत्री का समर्थन करें। एक विधायक के रिश्तेदार का अपहरण मुख्यमंत्री के इशारे पर हुआ था। लेकिन मामले की ठीक से जांच नहीं हुई।
- 8 दिसंबर 2015 को मुख्यमंत्री ने दिल्ली में अपना एक पत्र जारी किया जिसमें राज्यपाल के खिलाफ अपमानजनक, असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया गया। इस सम्बन्ध पर 9 दिसंबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखा।
- कई जनसंगठन मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं। इसके बारे में भी राष्ट्रपति को मासिक रिपोर्ट में बताया गया था।
- राज्यपाल और उनके परिवार को सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता है क्योंकि उनकी सार्वजनिक निंदा की जा रही है और राज भवन का आये दिन घेराव होता रहा है। इस दौरान गन्दी भाषा इस्तेमाल हुई। मिथुन को राज भवन को काटा गया। और सोशल नेटवर्किंग साईट के जरिये परिवार को धमकी दी जा रही है कि अगर कोर्ट का फैसला मुख्यमंत्री के हक़ में नहीं आता तो राज्यपाल और उनके परिवार पर हमला किया जायेगा। राज भवन जला दिया जायेगा ये भी धमकी में कहा गया। अगर राज्यपाल का परिवार सुरक्षित महसूस नहीं करता और सुरक्षा की मांग करनी पड़ रही है तो आम आदमी कैसे सुरक्षित।
- हर बीतते दिन के साथ कानून व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही थी।
- राज्यपाल को मुख्यमंत्री को लिखे गए किसी भी पत्र का मुख्यमंत्री ने जवाब नहीं दिया। ये भी कहा कि 29 सितंबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर ये बताया था कि 18 जून से अभी तक लिखे गए पत्रों में से 9 पत्रों का जवाब मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों ने नहीं दिया।
- राज्य के परियोजना की जानकारी राज्यपाल को नहीं दी जा रही थी।
- राज्य कैबिनट ने एक अन्य प्रस्ताव के जरिये मुख्य सचिव, आयुक्तों, सचिवों और विभाग अध्यक्ष को निर्देश दिया कि मुख्यमंत्री की अनुमति के बिना राज्यपाल के साथ किसी बैठक में हिस्सा न लें।
- मुख्यमंत्री ने 21 विधायकों द्वारा बगावत के लिए राज्यपाल को दोषी ठहराया। आरोप लगाया गया कि बीजेपी के साथ मिलकर ये बगावत कराई।
- मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि वो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से इस बारे में शिकायत करेंगे। अपनी नाकामी के लिए ये दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।
- मुख्यमंत्री ने अराजकता को बढ़ावा दिया। सरकारी अधिकारियों का राजनीतिकरण किया, उन्हें उकसाकर, भड़काकर।
- मुख्यमंत्री और स्पीकर एक ही समुदाय के हैं और संप्रदायिक राजनीती को बढ़ा रहे हैं। ये सांप्रदायिक संगठनों को फंड देते हैं। राज्यपाल के खिलाफ भी लोगों को भड़काते हैं।
- तीन बागी विधायकों ने प्रेस रिलीज जारी कर प्रतिबंधित NSCN के जरिये उनके परिवार को धमकी दिलाई। ताकि वो मुख्यमंत्री का समर्थन करें। एक विधायक के रिश्तेदार का अपहरण मुख्यमंत्री के इशारे पर हुआ था। लेकिन मामले की ठीक से जांच नहीं हुई।
- 8 दिसंबर 2015 को मुख्यमंत्री ने दिल्ली में अपना एक पत्र जारी किया जिसमें राज्यपाल के खिलाफ अपमानजनक, असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया गया। इस सम्बन्ध पर 9 दिसंबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखा।
- कई जनसंगठन मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं। इसके बारे में भी राष्ट्रपति को मासिक रिपोर्ट में बताया गया था।
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