नई दिल्ली:
इन संकेतों के बीच कि केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के सम्भावित कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सबसे ऊपर है, पार्टी ने शनिवार को अटकलों को हवा न देने की अपील करते हुए कहा कि अभी कोई नाम तय नहीं हुआ है।
पार्टी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श जारी है और अभी कोई नाम तय नहीं हुआ है।
द्विवेदी ने कहा, "इस समय मैं केवल यह कह सकता हूं कि हमारे घटक दलों और बाहर से समर्थन देने वाले दलों के साथ बातचीत की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अभी तक कोई नाम तय नहीं हुआ है।"
द्विवेदी ने यह टिप्पणी तब की जब मुखर्जी ने संकेत दिया कि राष्ट्रपति पद के प्रति उनकी अभिरुचि है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय तो पार्टी को लेना है।
मुखर्जी ने कोलकाता में अपने आवास के बाहर मीडियाकर्मियों से कहा, "यह पार्टी (कांग्रेस) तय करेगी। नाम पार्टी तय करती है। आप सिर्फ चाहने भर से राष्ट्रपति नहीं बन सकते।"
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं ने राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी तय करने के लए शुक्रवार को घटक दलों के साथ बैठक की थी।
पार्टी के कोर समूह की बैठक के बाद सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने मुखर्जी से उनके कार्यालय में लगभग घंटाभर बातचीत की थी।
इस बीच, सोनिया ने घटक दलों के साथ विचार-विमर्श तेज कर दिया है। उन्होंने बुधवार को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख अजित सिंह से और गुरुवार को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टीआर बालू तथा एमके स्टालिन के मुलकात की। समझा जाता है कि इन सभी ने मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
कांग्रेस के सूत्रों बताया कि सम्भावना है कि यदि मुखर्जी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का प्रत्याशी बनाया गया तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) भी उनका समर्थन करेंगी। उन्होंने बताया कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी आखिरकार मान जाएंगी। वह राष्ट्रपति पद के लिए बंगाली प्रत्यात्याशी का विरोध नहीं करेंगी।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 16 जून को रवाना होंगे, पार्टी उससे पहले राष्ट्रपति पद के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगी।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नाम भी राष्ट्रपति पद के सम्भावित प्रत्याशी के रूप में चर्चा में है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि द्विवेदी की टिप्पणी का उद्देश्य यह है कि मीडिया अटकलों को तरजीह न दे और पार्टी के फैसले को लेकर उत्सुकता बनी रहे।
पार्टी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श जारी है और अभी कोई नाम तय नहीं हुआ है।
द्विवेदी ने कहा, "इस समय मैं केवल यह कह सकता हूं कि हमारे घटक दलों और बाहर से समर्थन देने वाले दलों के साथ बातचीत की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अभी तक कोई नाम तय नहीं हुआ है।"
द्विवेदी ने यह टिप्पणी तब की जब मुखर्जी ने संकेत दिया कि राष्ट्रपति पद के प्रति उनकी अभिरुचि है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय तो पार्टी को लेना है।
मुखर्जी ने कोलकाता में अपने आवास के बाहर मीडियाकर्मियों से कहा, "यह पार्टी (कांग्रेस) तय करेगी। नाम पार्टी तय करती है। आप सिर्फ चाहने भर से राष्ट्रपति नहीं बन सकते।"
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं ने राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी तय करने के लए शुक्रवार को घटक दलों के साथ बैठक की थी।
पार्टी के कोर समूह की बैठक के बाद सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने मुखर्जी से उनके कार्यालय में लगभग घंटाभर बातचीत की थी।
इस बीच, सोनिया ने घटक दलों के साथ विचार-विमर्श तेज कर दिया है। उन्होंने बुधवार को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) प्रमुख अजित सिंह से और गुरुवार को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टीआर बालू तथा एमके स्टालिन के मुलकात की। समझा जाता है कि इन सभी ने मुखर्जी की उम्मीदवारी का समर्थन किया है।
कांग्रेस के सूत्रों बताया कि सम्भावना है कि यदि मुखर्जी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का प्रत्याशी बनाया गया तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) भी उनका समर्थन करेंगी। उन्होंने बताया कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी आखिरकार मान जाएंगी। वह राष्ट्रपति पद के लिए बंगाली प्रत्यात्याशी का विरोध नहीं करेंगी।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 16 जून को रवाना होंगे, पार्टी उससे पहले राष्ट्रपति पद के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगी।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का नाम भी राष्ट्रपति पद के सम्भावित प्रत्याशी के रूप में चर्चा में है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि द्विवेदी की टिप्पणी का उद्देश्य यह है कि मीडिया अटकलों को तरजीह न दे और पार्टी के फैसले को लेकर उत्सुकता बनी रहे।
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