राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस साल एकीकृत चिकित्सा प्रवेश परीक्षा (NEET) के दायरे से राज्य बोर्डों को बाहर रखने के लिए अध्यादेश पर कानूनी सलाह मांगी है।
आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही कहा कि कुछ सवालों पर वह विधि विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं।
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर अध्यादेश का मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आंशिक तौर पर टालना है, जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज नीट के दायरे में आएंगे।
स्पष्ट करते हुए कि छूट केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए है, सरकारी सूत्रों ने कहा था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में चिन्हित राज्य की सीटों को भी छूट है। एक बार अध्यादेश जारी होने पर राज्यों के सरकारी बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को नीट में नहीं बैठना होगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि हालांकि उन्हें अगले शैक्षिक सत्र से एकीकृत प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना पड़ेगा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही कहा कि कुछ सवालों पर वह विधि विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं।
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर अध्यादेश का मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आंशिक तौर पर टालना है, जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज नीट के दायरे में आएंगे।
स्पष्ट करते हुए कि छूट केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए है, सरकारी सूत्रों ने कहा था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में चिन्हित राज्य की सीटों को भी छूट है। एक बार अध्यादेश जारी होने पर राज्यों के सरकारी बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को नीट में नहीं बैठना होगा।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि हालांकि उन्हें अगले शैक्षिक सत्र से एकीकृत प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना पड़ेगा।
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