राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कंपनी सचिवों से भारत को कॉरपोरेट संचालन के क्षेत्र में 'रोल मॉडल' (अनुकरणीय) बनाने में मदद करने का अनुरोध करते हुए बुधवार को कहा कि वे कारोबार एवं निवेश प्रोत्साहन के लिए कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करें. राष्ट्रपति ने भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (आईसीएसआई) के 55वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक अग्रणी राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. ऐसे परिदृश्य में पेशेवरों का योग्य और सक्षम होने के साथ साहसी और रचनात्मक होना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है.
उन्होंने कहा कि भारत के कॉरपोरेट संचालन का भविष्य कंपनी सचिवों की इच्छाशक्ति और उनके कार्यों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि कंपनी सचिव भारत को 'बढ़िया कॉरपोरेट संचालन' के साथ 'सुशासन' का भी ‘रोल मॉडल' बना सकते हैं. उन्होंने कहा, 'इसके लिए आपके काम ऐसे होने चाहिए जो भारत को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित कर सकें.'
उन्होंने कंपनी सचिवों से टिकाऊ और समावेशी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह भी किया. राष्ट्रपति ने व्यवसाय में नैतिकता को व्यावसायिक नैतिकता से अधिक महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कंपनी सचिवों को कारोबार एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'कंपनी सचिवों को यह याद रखना चाहिए कि उनकी निष्ठा किसी कंपनी के अधिकारी या पेशेवर के रूप में केवल विधिक कार्य करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनका कर्तव्य देश के हर उस नागरिक के प्रति भी है जो विकास यात्रा में पीछे छूट गया है.'
राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि संसाधनों के प्रबंधन में कॉरपोरेट जगत की भूमिका ‘ट्रस्टीशिप' की होनी चाहिए. इस मौके पर राष्ट्रपति ने 'गांधीजी के जंतर' का जिक्र करते हुए कहा कि कंपनी सचिव समाज के सबसे गरीब और कमजोर आदमी को ध्यान में रखते हुए काम करें.
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