दुनिया भर में बढ़ते तापमान से अनाज की पैदावार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन इस बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने गेंहू का एक नया बीज ईजाद किया है जो बढ़ते तापमान में भी अच्छी पैदावार दे सकता है. ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए लाई गई गेंहू की इस नई प्रजाति में कई खासियतें हैं.
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत में होने वालीं गेंहू की फसलों पर संकट मंडरा रहा है. कृषि अनुसंधान केंद्र के साइंटिस्ट राजबीर यादव गेंहू की फसलों में पड़ने वाले कच्चे बीज को दिखाकर बताते हैं कि कैसे बढ़ती गर्मी गेंहू की बाली के कच्चे बीजों को सुखा सकती है. उन्होंने बताया कि इसी चुनौती से निपटने के लिए गेंहू की नई प्रजाति HD3385 है. नई प्रजाति के बीज पैदा करने के लिए लगाई गई फसल में बीज पड़ चुके हैं. फरवरी में अगर तापमान 35 डिग्री से ऊपर भी चला जाए तो इसकी पैदावार प्रभावित नहीं होगी.
राजबीर यादव ने कहा कि, बढ़ते तापमान से निपटने के लिए बस इस बीज की बुवाई 20 अक्टूबर के आसपास करनी है ताकि अगर फरवरी में तापमान बढ़े भी तब भी इसका बायोमॉस प्रभावित न हो सके. ये नई प्रजाति ज्यादा गर्मी के नुकसान को झेलने में सक्षम है.
गेंहू की इस नई प्रजाति को ईजाद करने में सीनियर साइंटिस्ट राजबीर सिंह और कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने बीते कई साल खेतों में पसीना बहाया है. ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों को देखते हुए महज गेंहू ही नहीं धान, चना और अन्य फसलों पर भी लगातार प्रयोग किए जा रहे हैं. अब ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से कृषि अनुसंधान संस्थान की तैयारियों को देखने बिल गेट्स भी अगले महीने भारत आएंगे.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि, हमने एक निजी संस्थान से टाईअप किया है. अगले साल तक उम्मीद है कि हम इसे किसानों को उपलब्ध करा पाएंगे.
ग्लोबल वार्मिंग के चलते पिछले साल भी भारत के गेंहू की खरीद में रिकार्ड कमी देखी गई थी. इस साल मार्च तक सामान्य से दो डिग्री ज्यादा तापमान रहने की संभावना है. ऐसे में वैज्ञानिकों की चुनौतियां बढ़ गई हैं और सरकार भी चिंतित दिख रही है.
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