नई दिल्ली:
पंजाब में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी के नए बने रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बीच कोई मतभेद नहीं हैं, यह दावा है कि पार्टी महासचिव और पंजाब प्रभारी शकील अहमद का।
शकील अहमद ने साफ किया कि दोनों के बीच मतभेद का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि पार्टी के संगठन संबंधी फैसले और टिकट बंटवारे में प्रशांत किशोर की कोई भूमिका नहीं है। प्रशांत किशोर दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस मामले में सलाह देने के लिए हैं कि चुनाव अभियान में किन बिन्दुओं को उभारा जाए और घोषणापत्र में किन मुद्दों को शामिल किया जाए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह व प्रशांत किशोर में मतभेद की ख़बरें आई थीं...
पिछले दिनों ख़बर आई थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रशांत किशोर के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक जानकारी मिली थी कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब से बाहर थे, प्रशांत किशोर ने वीर वीरेंदर और जगमीत सिंह बराड़ से मुलाकात की थी, जिनके खिलाफ प्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। कहा गया था कि प्रशांत किशोर से उन दोनों की मुलाकात को अमरिंदर ने गलत अर्थ में लिया। शकील अहमद ने दावा किया है कि दोनों के बीच किसी तरह की संवादहीनता की कमी नहीं है और सब कुछ ठीक है।
यह पूछे जाने पर कि अगर प्रशांत किशोर को संगठन संबंधी मामलों पर पार्टी ने कोई अधिकार नहीं दिया है तो फिर वह किस हैसियत से उत्तर प्रदेश के लिए राहुल गांधी के चेहरे को आगे करने जैसी बातें कर रहे हैं। शकील अहमद का कहना है कि यह सब मीडिया की कयासबाज़ी है। राहुल गांधी के लिए हमने बड़ी-बड़ी चीज़ें सोच रखी हैं। शकील अहमद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बदली हुई परिस्थिति में कैम्पेन का तरीका बदला है और इसीलिए प्रशांत किशोर की मदद ली जा रही है, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों ख़बर आई थी कि कुछ पत्रकारों के साथ मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर ने यूपी के लिए राहुल गांधी का चेहरा तक आगे करने की संभावना का इज़हार किया था। कांग्रेस पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता अब तक आधिकारिक रूप से इस बात का सीधे तौर पर खंडन करने से बचते नज़र आ रहे हैं। ख़ुद राहुल गांधी से जब NDTV ने इस बाबत सवाल किया था तो उन्होंने भी खंडन करने की जगह यह कहकर बात को टाल दिया था कि आप मीडिया वाले ही नाम चलाते हो, आप लोग ही जानो।
शकील अहमद ने साफ किया कि दोनों के बीच मतभेद का सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि पार्टी के संगठन संबंधी फैसले और टिकट बंटवारे में प्रशांत किशोर की कोई भूमिका नहीं है। प्रशांत किशोर दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस मामले में सलाह देने के लिए हैं कि चुनाव अभियान में किन बिन्दुओं को उभारा जाए और घोषणापत्र में किन मुद्दों को शामिल किया जाए।
कैप्टन अमरिंदर सिंह व प्रशांत किशोर में मतभेद की ख़बरें आई थीं...
पिछले दिनों ख़बर आई थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रशांत किशोर के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक जानकारी मिली थी कि जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब से बाहर थे, प्रशांत किशोर ने वीर वीरेंदर और जगमीत सिंह बराड़ से मुलाकात की थी, जिनके खिलाफ प्रदेश कांग्रेस ने हाल ही में अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। कहा गया था कि प्रशांत किशोर से उन दोनों की मुलाकात को अमरिंदर ने गलत अर्थ में लिया। शकील अहमद ने दावा किया है कि दोनों के बीच किसी तरह की संवादहीनता की कमी नहीं है और सब कुछ ठीक है।
यह पूछे जाने पर कि अगर प्रशांत किशोर को संगठन संबंधी मामलों पर पार्टी ने कोई अधिकार नहीं दिया है तो फिर वह किस हैसियत से उत्तर प्रदेश के लिए राहुल गांधी के चेहरे को आगे करने जैसी बातें कर रहे हैं। शकील अहमद का कहना है कि यह सब मीडिया की कयासबाज़ी है। राहुल गांधी के लिए हमने बड़ी-बड़ी चीज़ें सोच रखी हैं। शकील अहमद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बदली हुई परिस्थिति में कैम्पेन का तरीका बदला है और इसीलिए प्रशांत किशोर की मदद ली जा रही है, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों ख़बर आई थी कि कुछ पत्रकारों के साथ मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर ने यूपी के लिए राहुल गांधी का चेहरा तक आगे करने की संभावना का इज़हार किया था। कांग्रेस पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता अब तक आधिकारिक रूप से इस बात का सीधे तौर पर खंडन करने से बचते नज़र आ रहे हैं। ख़ुद राहुल गांधी से जब NDTV ने इस बाबत सवाल किया था तो उन्होंने भी खंडन करने की जगह यह कहकर बात को टाल दिया था कि आप मीडिया वाले ही नाम चलाते हो, आप लोग ही जानो।
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