New Delhi:
सामाजिक संगठन के सदस्यों ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर लोकपाल विधेयक के मसौदे को एक 'सरकारी विधेयक' और देश के लोगों के साथ एक 'क्रूर मजाक' करार दिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विधेयक के मसौदे को मंजूरी दिए जाने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, यह एक सरकारी लोकपाल होगा। यह देश के लोगों के साथ एक क्रूर मजाक है। लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए सरकार द्वारा गठित 10 सदस्यीय समिति में भूषण सामाजिक संगठन के सदस्य रहे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक लोकपाल विधेयक के मसौदे को मंजूरी तो दी है लेकिन उसने प्रधानमंत्री और न्यायपालिका को विधेयक के दायरे से बाहर रखा है। भूषण ने कहा कि मंजूर लोकपाल मसौदा विधेयक के तहत लोकपाल द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन, आदर्श हाउसिंग सोसायटी अथवा राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन से जुड़े घोटालों की जांच नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब घोटाले दर घोटाले सामने आ रहे हैं और ऐसे में इस तरह के भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक के लिए लोग इस सरकार को एक सबक सिखाएंगे। भूषण ने लोकपाल चयन समिति में सरकारी प्रतिनिधियों की बहुलता पर भी आपत्ति उठाई है।
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