दयाल सिंह कॉलेज (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली के दयाल सिंह कॉलेज का नाम बदलने के अटकलों के बीच मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि दयाल सिंह कॉलेज का नाम नहीं बदला जाएगा. उन्होंने कहा कि दयाल सिंह कालेज का नाम बदलकर वंदे मातरम रखने का फैसला सरकार का फैसला नहीं है और इस पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. साथ ही सरकार ने दयाल सिंह कॉलेज के संचालक मंडल पर 'बेवजह का विवाद पैदा करने' का आरोप लगाया.
जावड़ेकर ने यह बात शून्यकाल में तब कही जब शिरोमणि अकाली दल के सदस्य नरेश गुजराल ने यह मुद्दा उठाया. गुजराल ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दयाल सिंह कालेज की प्रबंधन समिति ने इस सांध्यकालीन कॉलेज का नाम बदल कर वंदे मातरम महाविद्यालय रखने का फैसला किया है.
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उन्होंने कहा ‘मैं मानता हूं कि वंदे मातरम कहने से हर भारतीय के मन में देशभक्ति की भावना बलवती हो जाती है. सरकार को पूरे देश में वंदे मातरम विश्वविद्यालयों की स्थापना करना चाहिए. लेकिन किसी संस्थान के नाम को नहीं बदलना चाहिए.’ गुजराल ने कहा ‘अल्पसंख्यक संस्थान का नाम बदलने से सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं. मेरे विचार से इसकी निंदा की जानी चाहिए.’ इस मुद्दे पर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए गुजराल ने कहा कि प्रबंधन समिति को तत्काल बदला जाना चाहिए.
विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया. बता दें कि कॉलेज के संचालक मंडल ने 18 नवंबर को यह घोषणा की थी कि दयाल सिंह कॉलेज (सांध्यकालीन) का नाम बदलकर वंदे मातरम महाविद्यालय रखा जाएगा.
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जावडे़कर ने कहा ‘यह सरकार का फैसला नहीं है और न ही यह सरकार को पसंद है. इसलिए हमने फैसले पर फिलहाल रोक लगाने और शीघ्र ही एक बैठक बुलाने को कहा है. यह हमें पसंद नहीं है और इस तरह से नहीं होगा.’ जावड़ेकर ने यह भी बताया कि दयाल सिंह कालेज दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है और विश्वविद्यालय को इस बारे में बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि भावनाओं से खिलवाड़ कर अनावश्यक विवाद पैदा करना गलत है.
गुजराल ने कहा था कि परमार्थ कार्यों से जुडे़ दयाल सिंह मजीठिया ने अपना पूरा जीवन और अपनी जमा पूंजी शिक्षा में लगाई और कई स्कूल कालेज स्थापित किए. लाहौर में भी एक दयाल सिंह कालेज है. बता दें कि सरदार दयाल सिंह मजीठिया की संपत्ति से निर्मित, इस कॉलेज की स्थापना 1910 में लाहौर में की गई थी और इसका नाम इसके संस्थापक के नाम पर रखा गया था. दिल्ली में इस कॉलेज की स्थापना 1959 में की गई.
VIDEO: दयाल सिंह सांध्य कॉलेज का नाम बदलने पर बवाल (इनपुट एजेंसियों से)
जावड़ेकर ने यह बात शून्यकाल में तब कही जब शिरोमणि अकाली दल के सदस्य नरेश गुजराल ने यह मुद्दा उठाया. गुजराल ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दयाल सिंह कालेज की प्रबंधन समिति ने इस सांध्यकालीन कॉलेज का नाम बदल कर वंदे मातरम महाविद्यालय रखने का फैसला किया है.
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उन्होंने कहा ‘मैं मानता हूं कि वंदे मातरम कहने से हर भारतीय के मन में देशभक्ति की भावना बलवती हो जाती है. सरकार को पूरे देश में वंदे मातरम विश्वविद्यालयों की स्थापना करना चाहिए. लेकिन किसी संस्थान के नाम को नहीं बदलना चाहिए.’ गुजराल ने कहा ‘अल्पसंख्यक संस्थान का नाम बदलने से सिखों की भावनाएं आहत हुई हैं. मेरे विचार से इसकी निंदा की जानी चाहिए.’ इस मुद्दे पर सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए गुजराल ने कहा कि प्रबंधन समिति को तत्काल बदला जाना चाहिए.
विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया. बता दें कि कॉलेज के संचालक मंडल ने 18 नवंबर को यह घोषणा की थी कि दयाल सिंह कॉलेज (सांध्यकालीन) का नाम बदलकर वंदे मातरम महाविद्यालय रखा जाएगा.
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जावडे़कर ने कहा ‘यह सरकार का फैसला नहीं है और न ही यह सरकार को पसंद है. इसलिए हमने फैसले पर फिलहाल रोक लगाने और शीघ्र ही एक बैठक बुलाने को कहा है. यह हमें पसंद नहीं है और इस तरह से नहीं होगा.’ जावड़ेकर ने यह भी बताया कि दयाल सिंह कालेज दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है और विश्वविद्यालय को इस बारे में बता दिया गया है. उन्होंने कहा कि भावनाओं से खिलवाड़ कर अनावश्यक विवाद पैदा करना गलत है.
गुजराल ने कहा था कि परमार्थ कार्यों से जुडे़ दयाल सिंह मजीठिया ने अपना पूरा जीवन और अपनी जमा पूंजी शिक्षा में लगाई और कई स्कूल कालेज स्थापित किए. लाहौर में भी एक दयाल सिंह कालेज है. बता दें कि सरदार दयाल सिंह मजीठिया की संपत्ति से निर्मित, इस कॉलेज की स्थापना 1910 में लाहौर में की गई थी और इसका नाम इसके संस्थापक के नाम पर रखा गया था. दिल्ली में इस कॉलेज की स्थापना 1959 में की गई.
VIDEO: दयाल सिंह सांध्य कॉलेज का नाम बदलने पर बवाल (इनपुट एजेंसियों से)
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