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This Article is From Oct 07, 2019

Aarey Forest Issue: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आरे विवाद पर टिप्पणी से किया इनकार, कही यह बात...

मंत्रालय में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने इसपर फैसला दिया है, इसलिये मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.’’ पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘अगर आप एक पेड़ काटते हैं तो आप पांच पेड़ लगाएं और सुनिश्चित करें कि वह पेड़ बढ़ें.’’

Aarey Forest Issue: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आरे विवाद पर टिप्पणी से किया इनकार, कही यह बात...
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, भारत में हरित क्षेत्र 15,000 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है
नई दिल्‍ली:

Aarey Forest Issue: केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने आरे कॉलोनी विवाद (Aarey Forest Issue) पर कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि भारत में हरित क्षेत्र (Green Cover) 15,000 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है. मुंबई की आरे कॉलोनी में ‘मेट्रो कोच शेड' बनाने के लिए पेड़ काटने को लेकर उत्पन्न हुए विवाद पर जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा कि वह न्यायालय में विचाराधीन मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. मंत्रालय में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने इसपर फैसला दिया है, इसलिये मैं इसपर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.'' पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘अगर आप एक पेड़ काटते हैं तो आप पांच पेड़ लगाएं और सुनिश्चित करें कि वह पेड़ बढ़ें.'' पौधारोपण के सवाल पर जावड़ेकर ने कहा, ‘‘पिछले चार साल में, 15,000 वर्ग किलोमीटर हरित क्षेत्र बढ़ा है. दुनिया में ऐसे कुछ ही देश हैं जहां हरित क्षेत्र बढ़ा है और भारत उनमें से एक है.'' सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुम्बई की आरे कॉलोनी में ‘मेट्रो कोच शेड' बनाने के लिए पेड़ काटे जाने पर फिलहाल रोक लगा दी और इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तारीख नियत की है.

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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार वृहन्मुंबई महानगरपालिका ने हरित क्षेत्र में ‘मेट्रो कोच शेड' बनाने के लिए 2600 से अधिक पेड़ काटने की अनुमति दी थी और अधिकारी अब तक 1500 पेड़ काट भी चुके हैं. केन्द्रीय मंत्री ने लोगों से दिवाली पर पटाखे नहीं फोड़ने की अपील भी की है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को पटाखे फोड़ने हैं तो वे हरित पटाखों का इस्तेमाल करें.

जावड़ेकर ने संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कई प्रदूषण संबंधी चुनौतियां हैं लेकिन उनसे निपटा जा सकता है क्योंकि केन्द्र सरकार ने पिछले चार साल में कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण की समस्या 2005-06 में शुरू हुई थी और 2014 तक इस पर कोई चर्चा नहीं कर रहा था. मोदी सरकार ने इस समस्या को पहचाना और समस्या का सामना किया.''

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मंत्री ने कहा, ‘‘हम अगले साल से बीएस-छह वाहन ला रहे हैं, और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 46 टीमों को आज दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण की गतिविधियों की जांच के लिए तैनात किया गया है.'' दिल्ली में कुछ चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, मंत्री ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के सहयोग से सात प्रमुख प्रदूषण वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां कच्ची सड़कें, औद्योगिक उत्सर्जन और व्यावसायिक वाहन का भारी आवागमन है.

उन्होंने बताया कि ये क्षेत्र वजीराबाद, मायापुरी, ओखला, फरीदाबाद 1 और 2, साहिबाबाद और उद्योग विहार हैं. जावड़ेकर ने कहा, ‘‘सीपीसीबी की टीम द्वारा मिली प्रतिक्रिया के अनुसार खराब कचरा प्रबंधन, सड़कों पर सफाई की कमी और इन क्षेत्रों में अनधिकृत पार्किंग पाई गई हैं.'' मंत्री ने बताया कि जीएनसीटी की ‘रूट रेशनलाइजेशन' रिपोर्ट के अनुसार 5000 बसों की कमी है. यहां पर कुल 11,5000 बसों की जरूरत है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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