दीवाली के त्योहार के बाद देशभर में पटाखों से वायु प्रदूषण (Air Pollution) और भी बढ़ गया है. TERI के साइंटिस्ट डॉक्टर अनुज गोयल ने बताया कि आखिर पटाखों से इतना ज्यादा प्रदूषण क्यों होता है. डॉ. अनुज का कहना है कि पटाखों के केमिकल कंपोजिशन में भारी मात्रा में हेवी मेटल्स मिलते हैं. आयन, एलीमेंटल कार्बन, ऑर्गेनिक कार्बन ये कंपाउंड मुख्य रूप से PM 2.5 में मिलते हैं. सोर्स के आधार पर इनकी मात्रा ऊपर नीचे हो सकती है.
ये भी पढ़ें-दिल्ली सरकार ने दीवाली पर शराब बेचकर कमाए 525 करोड़, दो हप्ते में बेचीं 3 करोड़ बोतलें
"इस वजह से पटाखों से होता है प्रदूषण..."
डॉ. अनुज ने कहा कि अगर दीवाली के बाद हो रहे प्रदूषण की बात करें तो पटाखे बनाने में बहुत सारा सल्फेट, नाइट्रेट और चारकोल इस्तेमाल किया जाता है. इसमें बहुत सारे वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड यूज होते हैं. डॉ. अनुज ने बताया कि जब पटाखे जलाए जाते हैं तो उस समय हम मान सकते हैं कि PM 2.5 में सल्फेट, नाइट्रेट, ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा हमें ज्यादा मिलेगी. उन्होंने कहा कि बीमारी में लगातार खांसी, अस्थमा के मामले बढ़ जाते हैं. पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामले बढ़े हैं, इसकी एक बड़ी वजह वायु प्रदूषण है,क्यों कि इसमें हेवी मेटल्स होते हैं. साइंटिस्ट ने बताया कि कैंसर के लिए एरोमेटिक ऑर्गेनिक कंपाउंड भी जिम्मेदार होते हैं.
"प्रदूषण की वजह से कैंसर का खतरा"
डॉ. अनुज ने कहा कि बेंजीन पटाखों के बर्न होने से या वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड निकलना भी कुछ हद तक कैंसर का एक कारण हो सकता है. उन्होंने कहा कि एक स्टडी में साफ हुआ है कि पार्टिकुलेट मैटर का इंपैक्ट अस्थाई नहीं बल्कि हमारे शरीर पर लंबे समय के लिए रहता है. डॉ. अनुज ने कहा कि गंगाराम अस्पताल के एक डॉक्टर ने उनको बताया था कि ब्लैक कार्बन हमारी ब्लड वेसल्स के अंदर जाकर मिक्स हो जाता है और ब्लड के ज़रिए पूरी बॉडी में ट्रांसफर होता है. यह सिर्फ फेफड़ों ही नहीं बल्कि सर्कुलेटरी सिस्टम पर भी प्रभाव डालता है. इसकी वजह से नर्वस सिस्टम, फिजियोलॉजिकल और बिहेवियरल, स्ट्रोक तक की समस्या पैदा हो सकती है.
ये भी पढ़ें-दिवाली पर पौने 4 लाख करोड़ रुपये का हुआ खुदरा व्यापार, लोगों ने बढ़-चढ़कर की खरीदारी
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं