- दिल्ली-एनसीआर में छठ पर्व के दौरान भी हवा की गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है
- नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद में भी प्रदूषण स्तर खतरनाक है, नोएडा का AQI 331 है
- दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 कणों का स्तर तीन गुना बढ़कर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है
छठ पर्व के अवसर पर जहां लोग साफ आसमान और खुली हवा में अर्घ्य देने की उम्मीद कर रहे थे, वहीं दिल्ली-एनसीआर की हवा आज भी सांस रोक देने वाली साबित हो रही है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का औसत AQI (Air Quality Index) 315 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब' श्रेणी में आता है. नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद में भी हालात कुछ अलग नहीं हैं. नोएडा में AQI 331 दर्ज किया गया, जबकि दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है.
अलीपुर (328), शादीपुर (320), आरके पुरम (316), पंजाबी बाग (327), सीरीफोर्ट (314) और ITO (304). गुरुग्राम का स्तर 244 रहा, जो ‘खराब' श्रेणी में आता है, लेकिन राहत कहने लायक नहीं.
दिवाली के बाद तीन गुना बढ़ा प्रदूषण स्तर
CPCB के विश्लेषण से सामने आया है कि दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया. यह पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है. दिवाली से पहले यह स्तर औसतन 156.6 माइक्रोग्राम था. यानी त्योहार के बाद यह लगभग तीन गुना बढ़ा. 20 अक्टूबर की रात और अगले दिन सुबह हवा में जहरीले धुएं की मात्रा अपने चरम पर रही. पटाखों, पराली जलाने और मौसम के स्थिर रहने के कारण हवा साफ नहीं हो सकी.

नई योजना: AI और सेंसर से होगी निगरानी
प्रदूषण से लगातार जूझती दिल्ली-एनसीआर को अब टेक्नोलॉजी की मदद से राहत देने की कोशिश शुरू की गई है. एक नई योजना के तहत पूरे क्षेत्र में हाई-टेक एयर क्वालिटी सेंसर लगाए जाएंगे, जिनकी निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम करेगा. दिल्ली में 250 से ज्यादा सेंसर लगाए जाएंगे जो रीयल टाइम डेटा भेजेंगे और यह भी बताएंगे कि हवा कब, कहां और कितनी जहरीली होगी. यह सिस्टम IIT कानपुर के AI सेंटर द्वारा विकसित किया जा रहा है. योजना के मार्च 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है.
लोगों को हो रही है भारी परेशानी
लोधी रोड (AQI 258) और मंदिर मार्ग (290) जैसे अपेक्षाकृत हरे इलाकों में भी हवा अब ‘खराब' श्रेणी में दर्ज की गई है. यह स्थिति उन लोगों के लिए खतरनाक है जो दमा, एलर्जी या हृदय संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं. सरकार की ओर से लोगों को सलाह दी गई है कि सुबह-शाम बाहर टहलने से बचें और बच्चों व बुजुर्गों को घर के भीतर ही रखें. स्कूलों में भी प्रदूषण से बचाव के दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं.
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