संसद में गुरुवार को 2 जी घोटाले पर कोर्ट के फैसले को लेकर हंगामा हुआ.
नई दिल्ली:
टू-जी मामले में कोर्ट के फैसले की खबर जैसे ही संसद पहुंची तो हंगामा हो गया. कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच तलवारें खिंच गईं. साल 2011 में जब यह मसला सामने आया तब बीजेपी का पलड़ा भारी था और उस समय की यूपीए-2 सरकार सकते में थी. अब कांग्रेस कोर्ट के फैसले का राजनीतिक फायदा उठाने में लग गई है.
छह साल बाद जब टू-जी विवाद फिर संसद पहुंचा तो इस बार पक्ष-विपक्ष के सुर बदले हुए थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ये पूरा मामला उनकी सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश था.
दरअसल यह फ़ैसला कांग्रेस के लिए बड़ी राहत बनकर आया, क्योंकि यूपीए की सरकार में केंद्रीय भूमिका उसी की थी. एक के बाद एक नेताओं के बयान आने लगे. यूपीए-2 में टेलिकॉम मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने एनडीटीवी से कहा, उस समय सीएजी रहे विनोद राय को फौरन बर्खास्त किया जाए. उन्होंने कहा, "हमारी ज़ीरो लॉस थ्योरी सही साबित हुई है...विनोद राय को बर्खास्त कर देना चाहिए."
यह भी पढ़ें : 2जी घोटाले में सभी आरोपी बरी : पूर्व पीएम मनमोहन सिंह बोले, खराब नीयत से लगाए थे आरोप
सरकार की ओर से कांग्रेस के जश्न की फांक दिखाने वित्त मंत्री अरुण जेटली आए. उन्होंने याद दिलाया कि इस मामले के राजनैतिक पहलू भी हैं और यूपीए-2 की नीति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली रही. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर तीखी टिप्पणी की थी. जेटली ने कहा, "कोर्ट के फैसले को कांग्रेस ने अपनी बेगुनाही का सबूत मान लिया...लेकिन इस केस के और भी महत्वपूर्ण पहलू हैं. फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे...और कहा था कि लाइसेंस मनमाने तरीके से आवंटित किए गए."
VIDEO : कांग्रेस का बीजेपी पर हमला
इस वाद-विवाद के बीच संसद में हंगामा होता रहा. अदालत के बाद अब सियासत का वक्त है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हमारी मांग है कि मोदी सरकार माफी मांगे...पीएम संसद में स्पष्टीकरण दें." साफ है कि जिस आरोप पर यूपीए ने सरकार गंवाई है, उसे वह यों ही जाने नहीं दे सकती. यह हंगामा और बढ़ेगा.
छह साल बाद जब टू-जी विवाद फिर संसद पहुंचा तो इस बार पक्ष-विपक्ष के सुर बदले हुए थे. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि ये पूरा मामला उनकी सरकार के ख़िलाफ़ साज़िश था.
दरअसल यह फ़ैसला कांग्रेस के लिए बड़ी राहत बनकर आया, क्योंकि यूपीए की सरकार में केंद्रीय भूमिका उसी की थी. एक के बाद एक नेताओं के बयान आने लगे. यूपीए-2 में टेलिकॉम मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने एनडीटीवी से कहा, उस समय सीएजी रहे विनोद राय को फौरन बर्खास्त किया जाए. उन्होंने कहा, "हमारी ज़ीरो लॉस थ्योरी सही साबित हुई है...विनोद राय को बर्खास्त कर देना चाहिए."
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सरकार की ओर से कांग्रेस के जश्न की फांक दिखाने वित्त मंत्री अरुण जेटली आए. उन्होंने याद दिलाया कि इस मामले के राजनैतिक पहलू भी हैं और यूपीए-2 की नीति भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली रही. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर तीखी टिप्पणी की थी. जेटली ने कहा, "कोर्ट के फैसले को कांग्रेस ने अपनी बेगुनाही का सबूत मान लिया...लेकिन इस केस के और भी महत्वपूर्ण पहलू हैं. फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे...और कहा था कि लाइसेंस मनमाने तरीके से आवंटित किए गए."
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इस वाद-विवाद के बीच संसद में हंगामा होता रहा. अदालत के बाद अब सियासत का वक्त है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हमारी मांग है कि मोदी सरकार माफी मांगे...पीएम संसद में स्पष्टीकरण दें." साफ है कि जिस आरोप पर यूपीए ने सरकार गंवाई है, उसे वह यों ही जाने नहीं दे सकती. यह हंगामा और बढ़ेगा.