'बनेगा स्वच्छ इंडिया' कार्यक्रम में अपूर्व बिक्रम की कविता ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया
नई दिल्ली:
एनडीटीवी और डेटॉल की साझा मुहिम बनेगा स्वच्छ इंडिया में एक बार फिर अमिताभ बच्चन के स्कूल शेरवुड के छात्र अपूर्व बिक्रम में अपनी कविता के पाठ से लोगों का दिल जीत लिया. पिछले साल भी अपूर्व ने एक शानदार कविता का पाठ किया था जिसे तब भी अमिताभ बच्चन ने खूब सराहा था.
पढ़ें उनकी पूरी कविता...
जो सरहद पर जा न सके,
पर अपना फर्ज निभाते हैं,
अस्वच्छता नामक शत्रु से,
भारत देश बचाते हैं.
दो पल वतन के आज उनके नाम करता हूं,
जो सड़क नाले साफ करते हैं उन्हें सलाम करता हूं.
घिन आती है लोगों को जिनसे,
जमाना जिन्हें धिक्कारता है.
वो ही सच्चा सैनिक है, जो गंदगी को मारता है.
तो दुनिया की नजरों में,
जो कूड़े कबाड़ी वाला है,
सही मायने में वही दुनिया का रखवाला है.
यूं तो हम सब सरहद पर, पौरुष दिखलाना चाहते हैं.
इस्लामाबाद की धरती पर भी,
ध्वज लहराना चाहते हैं.
और ये ख्वाब बेशक पूरा होगा,
यौवन में वो ताकत है.
शेरों के जो दांत गिनें,
रक्त में वही हिमाकत है.
पर भरतवंशियों की हालत पर,
आज शर्म आती है बताने में,
हम नाक सिकोड़ने लगते हैं
एक कागज का टुकड़ा उठाने में...
तब सोचता हूं...
ये दौर ऐसा कर लेगा,
क्या सचमुच अपने हाथों में वसुंधरा-अंबर लेगा.
अस्वच्छता से मैत्री है,
तो रजतिलक क्या लगाएंगे.
जो हाथ झाड़ू उठा न पाएं,
संगीन कैसे चलाएंगे.
सरहद सैनिक बचा लेंगे,
बैठे वतन की साधना में,
हम भी तो कुछ अर्पण कर दें,
भारत मां की आराधना में.
एक भीष्म प्रतिज्ञा अब,
हर जन भारत का ले ले.
अटूट प्रेम स्वच्छता से,
हर मन भारत का ले ले.
तो युद्ध का ऐलान अब,
गंदगी के खिलाफ हो,
और मांग शेरवुड की जनता से है,
कि देश का कचड़ा अब साफ हो.
हुक्मरानों से उम्मीद यही,
आशा है जवानी से,
इल्तजा गांधीवाद की,
हर एक हिंदोस्तानी से,
संदेश हमारा जमानेभर में,
हर पहर जाएगा,
जंबूद्वीप का जयघोष गगन में,
बेशक गहर जाएगा.
भले खून न बहाएं सरहद पर,
एक छिल्का अदब से उठाइए,
बिना पवन ही अमर तिरंगा,
खुद ही लहर जाएगा....
VIDEO: सुनें कविता
पढ़ें उनकी पूरी कविता...
जो सरहद पर जा न सके,
पर अपना फर्ज निभाते हैं,
अस्वच्छता नामक शत्रु से,
भारत देश बचाते हैं.
दो पल वतन के आज उनके नाम करता हूं,
जो सड़क नाले साफ करते हैं उन्हें सलाम करता हूं.
घिन आती है लोगों को जिनसे,
जमाना जिन्हें धिक्कारता है.
वो ही सच्चा सैनिक है, जो गंदगी को मारता है.
तो दुनिया की नजरों में,
जो कूड़े कबाड़ी वाला है,
सही मायने में वही दुनिया का रखवाला है.
यूं तो हम सब सरहद पर, पौरुष दिखलाना चाहते हैं.
इस्लामाबाद की धरती पर भी,
ध्वज लहराना चाहते हैं.
और ये ख्वाब बेशक पूरा होगा,
यौवन में वो ताकत है.
शेरों के जो दांत गिनें,
रक्त में वही हिमाकत है.
पर भरतवंशियों की हालत पर,
आज शर्म आती है बताने में,
हम नाक सिकोड़ने लगते हैं
एक कागज का टुकड़ा उठाने में...
तब सोचता हूं...
ये दौर ऐसा कर लेगा,
क्या सचमुच अपने हाथों में वसुंधरा-अंबर लेगा.
अस्वच्छता से मैत्री है,
तो रजतिलक क्या लगाएंगे.
जो हाथ झाड़ू उठा न पाएं,
संगीन कैसे चलाएंगे.
सरहद सैनिक बचा लेंगे,
बैठे वतन की साधना में,
हम भी तो कुछ अर्पण कर दें,
भारत मां की आराधना में.
एक भीष्म प्रतिज्ञा अब,
हर जन भारत का ले ले.
अटूट प्रेम स्वच्छता से,
हर मन भारत का ले ले.
तो युद्ध का ऐलान अब,
गंदगी के खिलाफ हो,
और मांग शेरवुड की जनता से है,
कि देश का कचड़ा अब साफ हो.
हुक्मरानों से उम्मीद यही,
आशा है जवानी से,
इल्तजा गांधीवाद की,
हर एक हिंदोस्तानी से,
संदेश हमारा जमानेभर में,
हर पहर जाएगा,
जंबूद्वीप का जयघोष गगन में,
बेशक गहर जाएगा.
भले खून न बहाएं सरहद पर,
एक छिल्का अदब से उठाइए,
बिना पवन ही अमर तिरंगा,
खुद ही लहर जाएगा....
VIDEO: सुनें कविता
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