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This Article is From Apr 17, 2012

गंगा की गरिमा को लेकर पीएम चिंतित

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पवित्र गंगा नदी की गरिमा बहाल करने पर जोर देते हुए मंगलवार को कहा कि इस दिशा में तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की गरिमा बहाल करने के लिए तत्काल व प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, जो 11 राज्यों में देश की 40 प्रतिशत आबादी को पानी मुहैया कराती है।

प्रधानमंत्री ने माना कि गंगा नदी का संरक्षण एक जटिल काम है, जिसे हिन्दुओं ने देवी का दर्जा दे रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस दिशा में पहले के प्रयास बहुत सफल नहीं रहे। इसलिए बौद्धिक व व्यावहारिक कदम उठाने की आवश्यकता है, न कि टुकड़ों में काम करने की जरूरत है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे समक्ष बहुत जटिल काम है। यदि हमें इस चुनौती से पार पाना है तो हमें इसमें अपने बौद्धिक एवं भौतिक संसाधनों का समन्वित एवं संगत इस्तेमाल करना होगा।"

यह बैठक गंगा नदी को बचाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के पूर्व प्रोफेसर व पर्यावरणविद जीडी अग्रवाल (80) के इस साल जनवरी में आमरण अनशन पर बैठने के बाद बुलाई गई। अग्रवाल ने सरकार से 17 अप्रैल को प्राधिकरण की बैठक बुलाने का आश्वासन आश्वासन मिलने के बाद 23 मार्च को अपना अनशन समाप्त कर दिया था। अग्रवाल ने सरकार ने कई मांगें रखी थी, जिसमें एक यह भी थी।

प्राधिकरण का गठन वर्ष 2009 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गंगा की सफाई के लिए किया गया था, लेकिन गठन से अब तक इसकी केवल दो बार बैठक हुई।

बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे पास समय नहीं है और हमें तेजी से काम करना होगा। साथ ही हम जो कुछ भी करें, वह टुकड़ों में नहीं होना चाहिए, बल्कि यह बौद्धिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण से होना चाहिए, जिसमें सभी पक्षों के हितों का खयाल रखा गया हो।"

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गंगा की गरिमा, पीएम, Ganga Pollution
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