फिट इंडिया मूवमेंट लॉन्च पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement) को लॉन्च करते हुए देशभर के सभी आयुवर्ग को अपना संदेश दिया है. पीएम मोदी का कहना है कि यदि हमारी बॉडी फिट रहेगी तो माइंड भी हिट रहेगा. उन्होंने लोगों की फिटनेस पर बात करते हुए कहा कि ''स्वास्थ्य फिट रखने के लिए जीरो इनवेस्टमेंट लगता है, लेकिन लाभ अनंत होते हैं. यह मुहिम सरकार की नहीं बल्कि हम सबकी है. इस मूवमेंट को जनता आगे ले जाएगी.'' पीएम मोदी ने अपने भाषण में कई उदाहरण भी दिए. उन्होंने स्वस्थ श्रृष्टि, स्वस्थ समाज और स्वस्थ भारत की भी बात कही.
फिट इंडिया मूवमेंट लॉन्च में पीएम मोदी की 10 खास बातें
आप सभी को नेशनल स्पोर्ट्स डे की अनेक-अनेक शुभकामनाएं. आज के ही दिन हमें मेजर ध्यानचंद के रूप में एक महान स्पोर्ट्स पर्सन मिले थे. अपनी फिटनेस, स्टेमिना और हॉकी से दुनिया को मंत्र मुग्ध कर दिया था. मैं उन्हें नमन करता हूं. आज के दिन फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement) जैसी पहल लॉन्च करने के लिए, हेल्दी इंडिया (Healthy India) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए मैं खेल मंत्रालय और युवा विभाग को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
आज यहां जो प्रस्तुति हुई उसमें हर पल फिटनेस (Fitness) का कोई न कोई मेसेज था. परम्पराओं का स्मरण कराते हुए, हम अपने आप को किस प्रकार फिट रख सकते हैं, उसका बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण दिया गया.
खेलों का फिटनेस से सीधा नाता है, लेकिन आज जिस फिट इंडिया मूवमेंट (Fit India Movement) की शुरुआत हुई है, उसका विस्तार खेलों से भी आगे बढ़कर है. फिटनेस एक शब्द नहीं है बल्कि स्वस्थ और समृद्ध जीवन की एक जरूरी शर्त है.
फिटनेस हमारे जीवन के तौर तरीकों, हमारे रहन सहन का अभिन्न अंग रहा है, लेकिन समय के साथ फिटनेस को लेकर हममें एक उदासीनता आ गई है. कुछ दशक पहले तक एक सामान्य व्यक्ति के जीवन में शारीरिक गतिविधियां सहज होती थी. तकनीक के आने से शारीरिक गतिविधि कम हो गई है.
समय कैसे बदला है, उसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं. कुछ दशक पहले तक एक सामान्य व्यक्ति एक दिन में 8-10 किलोमीटर पैदल चल ही लेता था. फिर धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी बदली, आधुनिक साधन आए और व्यक्ति का पैदल चलना कम हो गया.
अब स्थिति क्या है? टेक्नोलॉजी ने हमारी ये हालत कर दी है कि हम चलते कम हैं और अब वही टेक्नोलॉजी हमें गिन-गिन के बताती है कि आज आप इतने स्टेप्स चले, अभी 5 हजार स्टेप्स नहीं हुए, 2 हजार स्टेप्स नहीं हुए, अभी और चलिए.
कुछ लोग जोश में आकर फिटनेस की बातें भी करते हैं और फिटनेस से संबंधित गैजेट भी खरीदते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद वो गैजेट घर के कोने में रख दिए जाते हैं. लोग मोबाइल में फिटनेस ऐप तो रखते हैं, लेकिन कुछ समय बाद उस ऐप का उपयोग ही नहीं करते.
भारत में डाइबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं, आजकल हम सुनते हैं कि हमारे पड़ोस में 12-15 साल का बच्चा डाइबिटिक है. पहले सुनते थे कि 50-60 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है, लेकिन अब 35-40 साल के युवाओं को हार्ट अटैक आ रहा है.
लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स की वजह से लाइफस्टाइल डिसीज हो रही हैं. लाइफस्टाइल डिसऑर्डर्स को हम अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव करके ठीक कर सकते हैं. ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें अपने लाइफ स्टाइल में छोटे बदलाव करके दूर कर सकते हैं.
घर-परिवार में सहज रूप से शारीरिक श्रम, फिटनेस, व्यायाम, रोजमर्रा के जीवन में चर्चा के विषय होने चाहिए. भारत में ही अचानक ऐसी जरूरत महसूस हो रही हो, ऐसा नहीं है. बल्कि पूरे विश्व में आज ऐसे अभियानों को जरूरत महसूस हो रही है. जीवन में जब हम एक लक्ष्य तय कर लेते हैं, तो उस लक्ष्य के अनुसार ही हमारा जीवन ढल जाता है. जब जीवन में फिटनेस को लेकर अवेयरनेस आती है, तो धीरे-धीरे हमारी दिनचर्चा उसी तरह की होने लग जाती है. शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से हम दूर रहने लगते हैं.