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This Article is From Sep 07, 2019

Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा, पीएम मोदी ने कहा - होप फॉर द बेस्ट, ये छोटी कामयाबी नहीं है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान इसरो सेंटर में मौजूद थे. उन्होंने वैज्ञानिकों की पीठ थपथपाई और उनका हौसला बढ़ाया.

पीएम मोदी ने बढ़ाया वैज्ञानिकों का हौसला

Chandrayaan 2:  चंद्रयान 2  के चांद की सतह पर कदम रखने में सस्पेंस बना हुआ है. फिलहाल इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर से उनका संपर्क टूट गया है. इसरो ने बताया कि चांद से 2.1 किमी दूर तक चंद्रयान-2 से संपर्क था, लेकिन फिलहाल संपर्क टूट गया है. इसरो चीफ के मुताबिक अभी आंकड़ों का इंतजार किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान इसरो सेंटर में मौजूद थे. उन्होंने वैज्ञानिकों की पीठ थपथपाई और उनका हौसला बढ़ाया. पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए कहा यह कोई छोटी कामयाबी नहीं है. मेरी तरफ से आपको बधाई. इससे हम काफी कुछ सीख सकते हैं. मैं आपके साथ हूं. हिम्मत के साथ चलें.

Chandrayaan 2: विक्रम लैंडर का ISRO से संपर्क टूटा, आंकड़ों का विश्‍लेषण जारी

पीएम मोदी ने कहा, 'ये कोई छोटी उपलब्धि नहीं है जो आपने किया, पूरा देश आप पर गर्व करता है. मेरी तरफ से आप सभी को बहुत बधाई. आपने देश की और विज्ञान की बहुत बड़ी सेवा की है. मैं पूरी तरह आपके साथ हूं. हमारी यात्रा आगे भी जारी रहेगी. आप हिम्‍मत के साथ चलें.'

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इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि संपर्क उस समय टूटा, जब विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले स्थान से 2.1 किलोमीटर दूर रह गया था. विक्रम का चांद पर उतरने से ठीक पहले संपर्क टूट गया है. इसरो आंकड़ों का इंतजार कर रहा है. चांद से ठीक पहले चंद्रयान का संपर्क टूटने से वैज्ञानिकों में निराशा है. इससे पहले रात एक बजकर 52 मिनट 54 सेकेंड पर चांद की सतह पर चंद्रयान-2 को लैंड करना था. इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसरो सेंटर पहुंचे थे.


लैंडर को रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर लाने की प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर जमीनी स्टेशन से इसका संपर्क टूट गया. ‘विक्रम' ने ‘रफ ब्रेकिंग' और ‘फाइन ब्रेकिंग' चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया, लेकिन ‘सॉफ्ट लैंडिंग' से पहले इसका संपर्क धरती पर मौजूद स्टेशन से टूट गया. इसके साथ ही वैज्ञानिकों और देश के लोगों के चेहरे पर निराशा की लकीरें छा गईं.

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