प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रा दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए अपने भाषण में विपक्ष पर भी हमला बोला. इस दौरान हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारों ही इशारों में उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रगति नहीं देख सकते हैं,ऐसे लोग निराशा के गर्त में डूबे हुए हैं. उन्होंने लोगों से ऐसे निराशावादी लोगों से सावधान रहने की अपील की.पीएम मोदी ने इस अवसर पर एक धर्मनिरपेक्ष समान नागरिक संहिता की जरूरत पर जोर दिया.
विपक्ष पर ऐसे साधा निशाना
लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा, ''हम संकल्प के साथ बढ़ तो रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग होते हैं, जो प्रगति देख नहीं सकते हैं. कुछ लोग भारत का भला सोच नहीं सकते हैं. देश को ऐसे लोगों से बचना हो. ऐसे मुट्ठी भर निराशा के गर्त में डूबे हुए लोग, जब उनकी गोद में विकृति पलती है तो वह विनाश और सर्वनाश का कारण बन जाती है. ऐसे छुटपुट निराशावादी तत्वों को समझना चाहिए.''
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि वो चाहते हैं कि देश के एक लाख ऐसे युवा जिनके परिवार का राजनीति से कोई नाता नहीं है, वे राजनीति में आए. उन्होंने कहा कि ये युवा किसी भी दल में जा सकते हैं. इससे देश का लोकतंत्र और मजबूत होगा.
धर्मनिरपेक्ष समान नागरिक संहिता
'समान नागरिक संहिता'बीजेपी का एक पुराना मुद्दा रहा है. लेकिन इस दिशा में अब प्रधानमंत्री मोदी ने भी पहल कर दी है. लाल किले की प्राचीर से उन्होंने एक धर्मनिरपेक्ष समान नागरिक संहिता की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस दिशा में राज्य सरकारों को आगे बढ़ना चाहिए. बीजेपी और उसकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समान नागरिक संहिता की मांग करते रहे हैं. लेकिन पीएम मोदी ने धर्मनिरपेक्ष समान नागरिक संहिता की बात कहकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है. यह मुद्दा आने वाले समय में राजनीतिक विमर्श का विषय बन सकता है.
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