दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी (Sharmishtha Mukherjee) की एक किताब चर्चा में है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब 'In Pranab, My Father: A Daughter Remembers' में प्रणब मुखर्जी के हवाले से पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को लेकर कई चौंकाने वाले दावे किए हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi ) और प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के बीच रिश्ते पर भी खुलकर बात की है.
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब को लेकर NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बीच एक 'अजीब' रिश्ता था. मोदी हमेशा सम्मान के प्रतीक के तौर पर मेरे पिता के पैर छूते थे. यह ईमानदारी और खुलेपन की खासियत थी." शर्मिष्ठा मुखर्जी की ये किताब प्रणब मुखर्जी की जन्मतिथि यानी 11 दिसंबर को लॉन्च होने वाली है.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मोदी और प्रणब मुखर्जी की अलग-अलग विचारधाराओं को देखते हुए यह बहुत अजीब बात थी. यह रिश्ता वास्तव में कई साल पुराना है... यहां तक कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से भी पहले मेरे बाबा (पिता) से उनका रिश्ता था."
शर्मिष्ठा मुखर्जी कहती हैं, "उन्होंने (पीएम मोदी) मुझे बताया कि वह एक साधारण पार्टी कार्यकर्ता के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों के लिए दिल्ली आते थे. मोदी मॉर्निंग वॉक के समय बाबा (प्रणब मुखर्जी) से मिलते थे. उन्होंने मुझसे कहा कि बाबा उनसे हमेशा बहुत अच्छे से बात करते थे. वो बाबा के पैर छूते थे.''
शर्मिष्ठा आगे कहती हैं कि प्रधानमंत्री ने उनसे इस किस्से की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच संबंध सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर नहीं बने थे. राष्ट्रपति के रूप में बाबा का मानना था कि निर्वाचित सरकार में दखल न करना उनकी भी जिम्मेदारी है.''
वह आगे कहती हैं, "पहली ही बैठक में प्रणब मुखर्जी ने पीएम मोदी से बहुत स्पष्ट रूप से कहा- हम दो अलग-अलग विचारधाराओं के हैं, लेकिन लोगों ने आपको जनादेश दिया है. मैं शासन में हस्तक्षेप नहीं करूंगा... यह आपका काम है. लेकिन अगर आपको किसी संवैधानिक मामले में मदद की ज़रूरत होगी, तो मैं वहां मौजूद रहूंगा."
शर्मिष्ठा जोर देकर कहती हैं कि अंडरस्टैंडिंग अच्छी होने का मतलब यह नहीं था कि दिवंगत राष्ट्रपति ने संसद को दरकिनार करने और अध्यादेश पारित करने की सरकार की प्रवृत्ति समेत प्रमुख मुद्दों पर प्रधानमंत्री से सवाल नहीं किए थे. जहां प्रणब मुखर्जी को गलत लगता, वहां वो सवाल उठाते थे."
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