प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 से 25 जून तक मिस्र की राजकीय यात्रा पर जायेंगे जहां वह दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत बनाने तथा कारोबार एवं आर्थिक सहयोग के नये क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के निमंत्रण पर यह यात्रा कर रहे हैं. अल-सीसी ने भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी और उसी समय उन्होंने प्रधानमंत्री को मिस्र यात्रा के लिए आमंत्रित किया था. यह प्रधानमंत्री के तौर पर पीएम मोदी की मिस्र की पहली यात्रा होगी.
प्रधानमंत्री मोदी अल हाकीम मस्जिद जायेंगे जिसका पुनरूद्धार बोहरा समुदाय के सहयोग से किया गया था. वह हेलियोपोलिस युद्ध स्मारक जायेंगे और शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि भी देंगे. क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मिस्र की यह यात्रा वहां के राष्ट्रपति अल सीसी की भारत यात्रा के छह महीने के भीतर ही हो रही है जो इसके महत्व को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि हमें इस बात की उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी की मिस्र की यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों को गति प्रदान करना जारी रखेगी बल्कि कारोबार और आर्थिक सम्पर्क के नए क्षेत्रों में भी सहयोग को विस्तार देगी. विदेश सचिव ने बताया कि दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने के क्रम में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री तथा वन एवं पर्यावरण मंत्री ने मिस्र की यात्रा की है और इसी प्रकार से मिस्र से भी तीन-चार मंत्रियों ने भारत की यात्रा की है.
उन्होंने बताया कि अभी स्वेज नहर प्राधिकरण के अध्यक्ष के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल भारत आया हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों, मिस्र की कुछ प्रमुख हस्तियों और मिस्र में भारतीय समुदाय के साथ संवाद करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ‘इंडिया यूनिट' के साथ भी संवाद करेंगे जिसका गठन मिस्र के राष्ट्रपति ने भारत यात्रा से लौटने के बाद मार्च में किया था. इस यूनिट में कई उच्च स्तरीय मंत्री शामिल हैं.
प्रधानमंत्री मोदी, मिस्र के राष्ट्रपति अल सीसी के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे. इस दौरान कुछ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किये जायेंगे. गौरतलब है कि मोदी और सीसी के बीच वार्ता के दौरान द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा करीब सात अरब डॉलर से आगामी पांच साल में 12 अरब डॉलर तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया था. भारत और मिस्र के बीच रक्षा और सामरिक संबंध पिछले कुछ वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं. दोनों देशों की सेनाओं ने इस साल जनवरी में पहला संयुक्त अभ्यास किया था.
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