प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उरी हमले के बाद भारत ने अब तक का सबसे सख़्त संदेश पाकिस्तान को दिया है. भारत ने कहा है कि वो 9-10 नवंबर को इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा. इसका सीधा मतलब, सार्क के नियमों के मुताबिक ये है कि सार्क सम्मेलन नहीं होगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप के मुताबिक भारत का मानना है कि क्षेत्रीय सहयोग और आतंक एक साथ नहीं चल सकते.
यही राय सार्क के इस बार के अध्यक्ष देश नेपाल को भारत ने बता दी है. भारत ने कहा कि जिस तरह सरहद पार से लागातार आतंकी हमले हो रहे हैं, जिस तरह से एक देश क्षेत्र के दूसरे सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में लागातार दख़लंदाज़ी कर रहा है, ऐसे में एक सफल सार्क सम्मेलन नहीं हो सकता.
भारत क्षेत्रीय सहयोग, संपर्क के लिए दृढ़संकल्प है लेकिन ये सब आतंक मुक्त माहौल में ही हो सकते हैं. और जो माहौल बना है उस माहौल में भारत इस्लामाबाद में हो रहे इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सकता.
भारत जहां तक समझता है कि कुछ और देशों ने भी इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन के बारे में शंका जताई है. सूत्र बताते हैं कि ये देश अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान हैं.
वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है कि सार्क सम्मेलन रद्द हुआ हो, ऐसा पहले भी हुआ है और कई बार सार्क सम्मेलन देर से भी हुए हैं. लेकिन इस बार आसार नहीं लग रहे कि देर से भी इस साल ये सम्मेलन हो सकता है.
भारत ने हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला कर पाकिस्तान को एक बेहद कड़ा संदेश दिया है और इस क्षेत्र में अलग थलग करने की कोशिश की है. हालांकि 15-16 अक्टूबर गोवा में होने वाले बिमस्टेक सम्मेलन में सभी सार्क देश हिस्सा ले रहे हैं, पाकिस्तान को छोड़कर. इसलिए ना सिर्फ कड़ा संदेश बल्कि पाकिस्तान के बिना क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने का भी भारत को जल्द ही मौक़ा मिल रहा है.
इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्वीट से ये जाना कि भारत इस्लामाबाद में होने वाले 19वें सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा. उन्होंने किसी आधिकारिक सूचना से इंकार करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
यही राय सार्क के इस बार के अध्यक्ष देश नेपाल को भारत ने बता दी है. भारत ने कहा कि जिस तरह सरहद पार से लागातार आतंकी हमले हो रहे हैं, जिस तरह से एक देश क्षेत्र के दूसरे सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में लागातार दख़लंदाज़ी कर रहा है, ऐसे में एक सफल सार्क सम्मेलन नहीं हो सकता.
भारत क्षेत्रीय सहयोग, संपर्क के लिए दृढ़संकल्प है लेकिन ये सब आतंक मुक्त माहौल में ही हो सकते हैं. और जो माहौल बना है उस माहौल में भारत इस्लामाबाद में हो रहे इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सकता.
भारत जहां तक समझता है कि कुछ और देशों ने भी इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन के बारे में शंका जताई है. सूत्र बताते हैं कि ये देश अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान हैं.
वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है कि सार्क सम्मेलन रद्द हुआ हो, ऐसा पहले भी हुआ है और कई बार सार्क सम्मेलन देर से भी हुए हैं. लेकिन इस बार आसार नहीं लग रहे कि देर से भी इस साल ये सम्मेलन हो सकता है.
भारत ने हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला कर पाकिस्तान को एक बेहद कड़ा संदेश दिया है और इस क्षेत्र में अलग थलग करने की कोशिश की है. हालांकि 15-16 अक्टूबर गोवा में होने वाले बिमस्टेक सम्मेलन में सभी सार्क देश हिस्सा ले रहे हैं, पाकिस्तान को छोड़कर. इसलिए ना सिर्फ कड़ा संदेश बल्कि पाकिस्तान के बिना क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने का भी भारत को जल्द ही मौक़ा मिल रहा है.
इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्वीट से ये जाना कि भारत इस्लामाबाद में होने वाले 19वें सार्क सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा. उन्होंने किसी आधिकारिक सूचना से इंकार करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सार्क सम्मेलन, इस्लामाबाद, भारत, पाकिस्तान, पीएम नरेंद्र मोदी, SAARC Conference Islamabad, SAARC Islamabad, India, Pakistan, PM Narendra Modi