प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने बृहस्पतिवार को कहा कि बढ़ती हुई वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच 'आई2यू2' (I2U2) समूह व्यावहारिक सहयोग का एक अच्छा मॉडल है, जिसकी पहली ही बैठक में एक ‘‘सकारात्मक एजेंडा'' स्थापित कर लिया गया. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden), इजराइल के प्रधानमंत्री यायर लापिड (Yair Lapid), संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाह्यान (Mohammed bin Zayed Al Nahyan ) की मौजूदगी में मोदी ने विश्वास जताया कि ‘‘आई2यू2'' समूह वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान करेगा.
‘‘आई2यू2'' से तात्पर्य ‘इंडिया, इज़राइल, अमेरिका (यूएसए) और यूएई' है.
‘‘आई2यू2'' समूह की पहली बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हमने कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं की पहचान की है और उनमें आगे बढ़ने का खाका भी बनाया है.''
उन्होंने कहा, ‘‘बढ़ती हुई वैश्विक अनिश्चिताओं के बीच हमारा सहयोगात्मक ढांचा व्यावहारिक सहयोग का एक अच्छा मॉडल भी है. मुझे पूरा विश्वास है कि ‘आई2यू2' से हम वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security), खाद्य सुरक्षा (Food Security) और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण योगदान करेंगे.''
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ‘‘आई2यू2'' का दृष्टिकोण और उसका एजेंडा प्रगतिवादी और व्यवहारिक है. उन्होंने कहा, ‘‘अपने देशों की परस्पर मजबूती, पूंजी, विशेषज्ञता और बाजार को संगठित करके हम अपने एजेंडा को गति दे सकते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं.''
उन्होंने कहा कि यह सही मायने में रणनीतिक साझेदारों की बैठक है और इसमें शामिल नेता अच्छे मित्र भी हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी के दृष्टिकोण और हितों में भी समानताएं हैं. आज की इस पहली बैठक ने एक सकारात्मक एजेंडा स्थापित कर लिया है. हमने कई क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं की पहचान की है और उनमें आगे बढ़ने का खाका भी बनाया है.''
इस समूह की परिकल्पना 18 अक्तूबर 2021 को चार देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में की गई थी. इसमें से प्रत्येक देश सहयोग के संभावित क्षेत्रों को लेकर नियमित रूप से ‘शेरपा' स्तरीय चर्चा करते रहे हैं.
इस बैठक में समूह के नेता ‘‘आई2यू2'' ढांचे के तहत संभावित संयुक्त परियोजनाओं तथा अपने क्षेत्र एवं उससे आगे कारोबार एवं निवेश में आर्थिक गठजोड़ को मजबूत बनाने सहित आपसी हितों से जुड़े अन्य क्षेत्रों में सहयोग को लेकर चर्चा करने वाले हैं.
विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, ये परियोजनाएं आर्थिक सहयोग के लिये ‘मॉडल' के रूप में काम कर सकती हैं तथा कारोबारियों एवं कामगारों के लिये अवसर पेश करेंगी।
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