अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाया और कहा कि 'जो खुद भ्रष्ट है वह भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर देश की जनता को गुमराह कर रहा है.' आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने एक कंपनी से 12 करोड़ रुपये रिश्वत के रूप में लिए थे. बीजेपी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया.
केजरीवाल ने यह आरोप दिल्ली विधानसभा में एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने भाषण में लगाया. दिल्ली सरकार के प्रस्ताव में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को नोटबंदी की कठोर पहल को तुरंत वापस लेने का निर्देश दें, क्योंकि धन्ना सेठों का कालाधन ठिकाने लगवाने के बाद दिखावे के लिए नोटबंदी कर देश के लोगों को नाहक परेशान किया जा रहा है.
केजरीवाल ने आरोप लगाया, "2013 में आयकर विभाग ने आदित्य बिड़ला समूह के दफ्तरों में छापेमारी की थी, जिसमें 25 करोड़ रुपये बरामद हुए थे." उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने दस्तावेज, खाता-बही, कंप्यूटर रिकॉर्ड और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का लैपटॉप जब्त किया था, जिसमें संदेश था, "गुजरात के मुख्यमंत्री-25 करोड़ (12 करोड़ अदा, शेष?)."
केजरीवाल ने दावा किया, "यह स्पष्ट रूप से इशारा करता है कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को 12 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया."
केजरीवाल ने सदन से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आरोपों को प्रस्ताव में जोड़ने का अनुरोध किया और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच का आदेश देने का अनुरोध किया. विधानसभा ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
दरअसल नोटबंदी के मसले पर बहस के लिए दिल्ली सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. गौरतलब है कि विधानसभा में 70 में से 67 विधायक आप के हैं.
लेकिन विधानसभा के बाहर उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ आरोपों को नहीं दोहराया. इस पर बीजेपी ने कहा कि यह केजरीवाल के खोखले दावों की कलई खोलता है क्योंकि वह जानते हैं कि विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन के भीतर किसी भी आरोप को लगाने पर बाहर उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.
बीजेपी के विजेंदर गुप्ता ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, ''उनको एक कायर मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाएगा. उन्होंने झूठ बोलने के लिए सदन के विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया.''
इस संबंध में बिरला ग्रुप ने NDTV से कहा, चूंकि मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
(एजेंसी से भी इनपुट)
केजरीवाल ने यह आरोप दिल्ली विधानसभा में एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान अपने भाषण में लगाया. दिल्ली सरकार के प्रस्ताव में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र सरकार को नोटबंदी की कठोर पहल को तुरंत वापस लेने का निर्देश दें, क्योंकि धन्ना सेठों का कालाधन ठिकाने लगवाने के बाद दिखावे के लिए नोटबंदी कर देश के लोगों को नाहक परेशान किया जा रहा है.
केजरीवाल ने आरोप लगाया, "2013 में आयकर विभाग ने आदित्य बिड़ला समूह के दफ्तरों में छापेमारी की थी, जिसमें 25 करोड़ रुपये बरामद हुए थे." उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने दस्तावेज, खाता-बही, कंप्यूटर रिकॉर्ड और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का लैपटॉप जब्त किया था, जिसमें संदेश था, "गुजरात के मुख्यमंत्री-25 करोड़ (12 करोड़ अदा, शेष?)."
केजरीवाल ने दावा किया, "यह स्पष्ट रूप से इशारा करता है कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को 12 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया."
केजरीवाल ने सदन से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आरोपों को प्रस्ताव में जोड़ने का अनुरोध किया और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच का आदेश देने का अनुरोध किया. विधानसभा ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.
दरअसल नोटबंदी के मसले पर बहस के लिए दिल्ली सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था. गौरतलब है कि विधानसभा में 70 में से 67 विधायक आप के हैं.
लेकिन विधानसभा के बाहर उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ आरोपों को नहीं दोहराया. इस पर बीजेपी ने कहा कि यह केजरीवाल के खोखले दावों की कलई खोलता है क्योंकि वह जानते हैं कि विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन के भीतर किसी भी आरोप को लगाने पर बाहर उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.
बीजेपी के विजेंदर गुप्ता ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, ''उनको एक कायर मुख्यमंत्री के रूप में जाना जाएगा. उन्होंने झूठ बोलने के लिए सदन के विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया.''
इस संबंध में बिरला ग्रुप ने NDTV से कहा, चूंकि मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.
(एजेंसी से भी इनपुट)
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