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पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश के नाम दिए संबोधन में क्या कुछ कहा? यहां पढ़ें ज्यों का त्यों पूरा भाषण

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में कहा, ‘‘मैं देख रहा हूं कि गेमिंग की दुनिया का बहुत बड़ा बाजार खड़ा हुआ है... भारत के पास बहुत बड़ी विरासत है. हम गेमिंग की दुनिया में बहुत नई प्रतिभाओं को लेकर सामने आ सकते हैं. विश्व के हर बच्चे को हमारे देश की बनी हुई गेमिंग की ओर हम आकर्षित कर सकते हैं.’’

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश के नाम दिए संबोधन में क्या कुछ कहा? यहां पढ़ें ज्यों का त्यों पूरा भाषण
पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश को किया संबोधित
नई दिल्ली:

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस संबोधन की शुरुआत भारत माता की जय के साथ की. संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा कि मेरे प्‍यारे देशवासियों, मेरे परिवारजन! आज वो शुभ घड़ी है, जब हम देश के लिए मर-मिटने वाले, देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी के तख्‍ते पर चढ़ करके भारत माँ की जय के नारे लगाने वाले अनगिनत आजादी के दीवानों को नमन करने का यह पर्व है. उनका पुण्‍य स्‍मरण करने का पर्व है. आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्‍वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्‍य दिया है. यह देश उनका ऋणी है. ऐसे हर महापुरूष के प्रति हम अपना श्रद्धाभाव व्‍यक्‍त करते हैं.

आज जो महानुभाव राष्‍ट्र रक्षा के लिए और राष्‍ट्र निर्माण के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं, देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं. चाहे वो हमारा किसान हो, हमारा जवान हो, हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारी माता-बहनों का योगदान हों, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो अब हम लोगों के बीच भी स्‍वतंत्रता के प्रति उसकी निष्‍ठा, लोकतंत्र के प्रति उसकी श्रद्धा यह पूरे विश्‍व के लिए एक प्रेरक घटना है. मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं.

प्‍यारे देशवासियों, इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हम सबकी चिंता बढ़ती चली जा रही है. प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोये हैं, सम्‍पत्ति खोई है, राष्‍ट्र ने भी बारम्बार नुकसान भोगा है. मैं आज उन सबके प्रति अपनी संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं और मैं उन्‍हें विश्‍वास दिलाता हूं, यह देश इस संकट की घड़ी में उन सबके साथ खड़ा है.

मेरे प्‍यारे देशवासियों! हम जरा आजादी के पहले के वो दिन याद करें, सैकड़ों साल की गुलामी में हर कालखंड संघर्ष का रहा. युवा हो, बुजुर्ग हो, किसान हो, महिला हो, आदिवासी हो, वे गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे, अविरत जंग लड़ते रहे. इतिहास गवाह है कि 1857 के स्‍वतंत्रता संग्राम जिसको हम याद करते हैं, उसके पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जाती थी.

साथियों, गुलामी का इतना लम्‍बा कालखंड, जुल्‍मी शासक, अपरंपार यातनाएं, सामान्‍य से सामान्‍य मानवीयों का विश्‍वास तोड़ने की हर तरकीबें, उसके बावजूद भी, उस समय की जनसंख्‍या के हिसाब से करीब 40 करोड़ देशवासी आजादी के पूर्व 40 करोड़ देशवासियों ने वो जज्‍बा दिखाया, वो सामर्थ्‍य दिखाया, एक सपना ले करके चले, एक संकल्‍प ले करके चलते रहे, जूझते रहे; एक ही स्‍वर था वंदे मातरम्, एक ही सपना था भारत की आजादी का. 40 करोड़ देशवासियों ने, और हमें गर्व है की हमारी रगों में उन्‍हीं का खून है. वो हमारे पूर्वज थे, सिर्फ 40 करोड़. 40 करोड़ लोगों ने दुनिया की महा सत्‍ता को उखाड़ करके फेंक दिया था, गुलामी की जंजीरों को तोड़ दिया था. अगर हमारे पूर्वज, जिनका खून हमारी रगों में है, आज हम तो 140 करोड़ हैं. अगर 40 करोड़ गुलामी की बेडि़यों को तोड़ सकते हैं, अगर 40 करोड़ आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं, आजादी ले करके रह सकते हैं तो 140 करोड़ देश के मेरे नागरिक, 140 करोड़ मेरे परिवारजन अगर संकल्‍प ले करके चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित करके चल पड़ते हैं, कदम से कदम मिलाकर, कंधे से कंधा मिलाकर अगर चल पड़ते हैं, तो चुनौतियां कितनी भी क्‍यों न हों, अभाव की मात्रा कितनी ही तीव्र क्‍यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तो भी, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं. हम 2047 विकसित भारत का लक्ष्‍य प्राप्‍त कर सकते हैं. अगर 40 करोड़ देशवासी अपने पुरुषार्थ से, अपने समर्पण से, अपने त्‍याग से, अपने बलिदान से आजादी दे सकते हैं, आजाद भारत बना सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी उसी भाव से समृद्ध भारत भी बना सकते हैं.

एक समय था जब लोग देश के लिए मरने के लिए प्रतिबद्ध थे और आजादी मिली. आज ये समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता का. अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है. विकसित भारत 2047, ये सिर्फ भाषण के शब्‍द नहीं हैं, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है. देश के को‍टि-कोटि जनों के सुझाव लिए जा रहे हैं और हमने देशवासियों से सुझाव मांगे. और मुझे प्रसन्‍नता है कि मेरे देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए हैं. हर देशवासी का सपना उसमें प्रतिबिंबित हो रहा है. हर देशवासी का संकल्‍प उसमें झलकता है. युवा हो, बुजुर्ग हो, गांव के लोग हों, किसान हों, दलित हों, आदिवासी हों, पहाड़ों में रहे वाले लोग हों, जंगल में रहने वाले लोग हों, शहरों में रहने वाले लोग हों, हर किसी ने 2047 में जब देश आजादी का 100 साल मनाएगा, तब तक विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं.

मैं जब इन सुझावों को देखता था, मेरा मन प्रसन्‍न हो रहा था, उन्‍होंने क्‍या लिखा, कुछ लोगों ने कहा कि दुनिया का स्‍किल कैपिटल बनाने का सुझाव हमारे सामने रखा. 2047 विकसित भारत के लिए कुछ लोगों ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग का ग्‍लोबल हब बनाने का सुझाव दिया. कुछ लोगों ने भारत की हमारी यूनिवर्सिटीज ग्‍लोबल बने इसके लिए सुझाव दिया. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि क्या आजादी के इतने सालों के बाद हमारा मीडिया ग्‍लोबल नहीं होना चाहिए. कुछ लोगों ने ये भी कहा कि हमारा स्‍किल्‍ड युवा विश्‍व की पहली पसंद बनना चाहिए. कुछ लोगों ने सुझाव दिया भारत को जल्‍द से जल्‍द जीवन के हर क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनना चाहिए.

कई लोगों ने सुझाव दिया कि हमारे किसान जो मोटा अनाज पैदा करते हैं, जिसको हम श्रीअन्‍न कहते हैं, उस सुपर फूड को दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है. हमें विश्‍व के पोषण को भी बल देना है और भारत के छोटे किसानों को भी मजबूती देनी है. कई लोगों ने सुझाव दिया कि देश में स्‍थानीय स्‍वराज की संस्‍थाओं से लेकर के अनेक इकाइयां हैं, उन सबमें गर्वनेंस के रिफॉर्म्स की बहुत जरुरत है. कई लोगों ने लिखा कि न्‍याय के अंदर जो विलंब हो रहा है, उसके प्रति चिंता जाहिर की और ये भी कहा कि हमारे देश में न्‍याय व्‍यवस्‍था में रिफॉर्म्स की बहुत बड़ी जरुरत है. कई लोगों ने लिखा कि कई ग्रीन फील्‍ड सिटिज बनाने की अब समय की मांग है. किसी ने बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाओं के बीच शासन-प्रशासन में कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए एक अभियान चलाने का सुझाव दिया. बहुत सारे लोगों ने ये सपना भी देखा है कि अंतरिक्ष में भारत का स्‍पेस स्‍टेशन जल्‍द से जल्‍द बनना चाहिए. किसी ने कहा भारत की जो पारंपरिक ट्रेडिशनल मेडिसिन है, हमारी औषधि है, दुनिया जब आज हॉलिस्‍टिक हेल्‍थकेयर की तरफ जा रही है, तब हमें भारत की पारंपरिक औषधियाँ और वेलनेस हब के रूप में भारत को विकसित करना चाहिए.

कोई कहता है कि अब देर नहीं होनी चाहिए, भारत अब जल्‍द से जल्‍द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनना चाहिए. मैं इसलिए पढ़ रहा था कि ये मेरे देशवासियों ने ये सुझाव दिए हैं. मेरे देश के सामान्‍य नागरिक ने ये सुझाव हमें दिए हैं. मैं समझता हूं कि जब देशवासियों की इतनी विशाल सोच हो, देशवासियों के इतने बड़े सपने हो, देशवासियों की इन बातों में जब संकल्‍प झलकते हों, तब हमारे भीतर एक नया संकल्‍प दृढ़ बन जाता है. हमारे मन में आत्‍मविश्‍वास नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है और साथियों देशवासियों का ये भरोसा सिर्फ कोई intellectual debate नहीं है, ये भरोसा अनुभव से निकला हुआ है. ये विश्‍वास लंबे कालखंड के परिश्रम की पैदावार है और इसलिए देश का सामान्‍य मानवीय याद करता है जब लाल किले से कहा जाता है कि हिन्‍दुस्‍तान के 18 हजार गांवों में समय सीमा में बिजली पहुंचाएंगे और वो काम हो जाता है, तब भरोसा मजबूत हो जाता है. जब ये तय होता है कि आजादी के इतने सालों के बाद भी ढाई करोड़ परिवार ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं है, वो अंधेरे में जिंदगी गुजारते हैं, ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंच जाती है. तब सामान्य मानवीय का भरोसा बढ़ जाता है.

जब स्वच्छ भारत की बात कही जाए तभी देश के अग्रिम घरों के पंक्ति में बैठे हुए लोग हों, गांव के लोग हों, गरीब बस्ती में रहने वाले लोग हों, छोटे-छोटे बच्चे हों, हर परिवार के अंदर स्वच्छता का वातावरण बन जाए, स्वच्छता की चर्चा हो, स्वच्छता के संबंध में एक दूसरे को रोक टोकने का निरंतर प्रयास चलता रहे, मैं समझता हूं कि ये भारत के अंदर आई हुई नई चेतना का प्रतिबिंब है. जब देश के सामने लालकिले से कहा जाए कि आज हमारे परिवारों में तीन करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके घर में नल से जल मिलता है. आवश्यक है हमारे इन परिवारों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचे . जल जीवन मिशन के तहत इतने कम समय में नए 12 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंच रहा है. आज 15 करोड़ परिवार इसके लाभार्थी बन चुके हैं. हमारे कौन लोग वंचित थे इन व्यवस्थाओं से? कौन पीछे रह गए थे? समाज के अग्रिम पंक्ति के लोग इसके लिए अभाव में नहीं जीते थे.

मेरे दलित, मेरे पीड़ित, मेरे शोषित, मेरे आदिवासी भाई-बहन, मेरे गरीब भाई-बहन, मेरे झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजारने वाले लोग, वही तो इन चीजों के अभाव में जी रहे थे. हमने अनेक ऐसे प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो प्रयास किया और उसका परिणाम हमारे इन सारे समाज के बंधुओं को मिला है. हमने वोकल फॉर लोकल का मंत्र दिया. आज मुझे खुशी है कि वोकल फॉर लोकल ने अर्थतंत्र के लिए एक नया मंत्र बन गया है. हर डिस्ट्रिक्ट अपनी पैदावर के लिए गर्व करने लगा है. One district one product का माहौल बना है. अब one district one product को one district का one product export कैसे हो उस दिशा में हर जिले सोचने लगे हैं. Renewable energy का संकल्प लिया था. जी-20 समूह के देशों ने जितना किया है उससे ज्यादा भारत ने किया है. और भारत ने ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए, global warming की चिंताओं से मुक्ति पाने के लिए हमने काम किया है.

देश गर्व करता है आज जब fintech की सफलताओं को लेकर पूरा विश्व भारत से कुछ सीखना समझना चाहता है. तब हमार गर्व और बढ़ जाता है. हम कैसे भूल सकते हैं कोरोना के वो संकट काल. विश्व में सबसे तेज गति से करोड़ों लोगों को vaccination का काम हमारे इसी देश में हुआ. जब देश की सेना Surgical Strike करती है, जब देश की सेना Air Strike करती है तो उस देश के नौजवानों का सीना ऊंचा हो जाता है, तन जाता है, गर्व से भर जाता है. और यही बातें हैं जो आज 140 करोड़ देशवासियों का मन गर्व से भरा हुआ है, आत्मविश्वास से भरा हुआ है. इन सारी बातों के लिए एक सुविचारित प्रयास हुआ है. रिफार्म की परंपरा को सामर्थ्य दिया गया है. नक्तर तरीकों को लेकर के और जब राजनीतिक नेतृत्व की संकल्प शक्ति हो, दृढ़ विश्वास हो, जब सरकारी मशीनरी उसको लागू करने के लिए समर्पण भाव से जुट जाती है और जब देश के हर नागरिक उस सपने को पूरा करने के लिए जनभागीदारी करने के लिए, जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आता है. तब हमें निश्चित परिणाम मिलता ही रहता है.

हम ये न भूलें कि इस देश उस परिस्थितियों से दशकों तक भी आजादी के बाद समय बिताया है. जब होती है, चलती है, अरे यार ये तो चलेगा, अरे हमें क्या मेहनत करने की जरूरत है, अरे मामला है अगली पीढ़ी देखेगी, हमको मौका मिला हे यार मौज कर लो. आगे वाला आगे का जाने हमें क्या करना है, हम अपना समय निकाल दें. अरे नया करने जाओगे कोई बवाल उठ जाए. पता नहीं क्यों देश में एक Status quo का माहौल बन गया था. जो है उसी से गुजारा कर लो यही का माहौल बन गया था. और लोग तो कहते अरे भई छोड़ो अब कुछ होने वाला नहीं है. चलो ऐसा ही मन बन गया था. हमें इस मानसिकता को तोड़ना था, हमें विश्वास से भरना था और हमने उस दिशा में प्रयास किया. कई लोग तो कहते थे अरे भई अगली पीढ़ी के लिए काम हम अभी से क्यों करें, हम तो आज का देखें. लेकिन देश का सामान्य नागरिक ये नहीं चाहता था, वो बदलाव के इंतजार में था, वो बदलाव चाहता था, उसकी ललक थी. लेकिन उसके सपने को किसी ने तवज्जों नहीं दी, उसकी आशा, आकांक्षाओं, अपेक्षाओं को तवज्जो नहीं दी गई. और उसके कारण वो मुसीबतों को झेलते हुए गुजारा करता रहा. वो reforms का इंतजार करता रहा. हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े reforms जमीन पर उतारे.

गरीब हो, मिडिल क्लास हो, हमारे वंचित लोग हों, हमारी बढ़ती जाती शहरी आबादी हो, हमारे नौजवानों के सपने हो, संकल्प हो, आकांक्षाएं हो, उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए reforms का मार्ग हमने चुना. और मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं, reforms के प्रति हमारी जो प्रतिबद्धता है वो pink paper के editorial के लिए सीमित नहीं है. हमारे reforms की ये प्रतिबद्धता है वो चार दिन की वाहावाही के लिए नहीं है. हमारी reforms की प्रक्रिया किसी मजबूरी में नहीं है, देश को मजबूती देने के इरादे से है. और इसलिए मैं आज कह सकता हूं reforms का हमारा मार्ग एक प्रकार से growth की blueprint बनी हुई है. ये हमारा reform ये growth, ये बदलाव ये सिर्फ debate club के लिए intellectual society के लिए expert लोगों के लिए सिर्फ चर्चा का विषय नहीं है.

हमने राजनीतिक मजबूरी के कारण नहीं किया है. हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वो राजनीति का भाग और गुणा करके नहीं सोचते हैं, हमारा एक ही संकल्प होता हैं- Nation First, Nation First, राष्ट्रहित सुप्रीम. ये मेरा भारत महान बने इसी संकल्प को लेकर के हम कदम उठाते हैं. जब reforms की बात आती है, एक लंबा परिवेश है, अगर मैं उसकी चर्चा में चला जाऊंगा तो शायद घंटों निकल जाएंगे. लेकिन मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूं. बैंकिंग क्षेत्र में जो reform हुआ. आप सोचिए– बैंकिंग क्षेत्र का क्या हाल था, ना विकास होता था, ना विस्तार होता था, ना विश्वास बढ़ता था. इतना ही नहीं जिस प्रकार के कारनामें चले उसके कारण हमारे बैंक संकटों से गुजर रहे थे. हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए अनेकविद रिफॉर्म्स किए. और आज उसके कारण हमारे बैंक विश्व में जो गिने चुने मजबूत बैंक हैं उसमें भारत के बैंकों ने अपना स्थान बनाया है. और जब बैंक मजबूत होती है ना तब formal economy की ताकत भी बढ़ती है. जब बैंक व्यवस्था बन जाती है, जब सामान्य गरीब खासकर के मध्यम वर्गीय परिवार की जो requirement होती हैं, उसको पूरा करने की सबसे बड़ी ताकत बैंकिंग सेक्टर में होती है. अगर उसको होम लोन चाहिए, उसको व्हीकल का लोन चाहिए, मेरे किसान को ट्रैक्टर के लिए लोन चाहिए, मेरे नौजवानों को स्टार्ट अप्स के लिए लोन चाहिए, मेरे नौजवानों को कभी पढ़ने के लिए, education के लिए लोन चाहिए, किसी को विदेश जाने के लिए लोन चाहिए. ये सारी बातें उससे संभव होती है.

मुझे तो खुशी है कि मेरे पशुपालक भी, मेरे मछली पालन करने वाले भाई-बहन भी आज बैंकों से लाभ ले रहे हैं. मुझे खुशी है मेरे रेहड़ी-पटरी वाले लाखों भाई-बहन आज बैंक के साथ जुड़कर के अपनी नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहे हैं और विकास की दिशा में वो भागीदार बन रहे हैं. हमारे MSMEs, हमारे लघु उद्योग के लिए तो बैंक एक सबसे बड़ी सहायक होती है. उसको रोजमर्रा पैसों की जरूरत होती है, अपने नित्य मर्जी प्रगति के लिए और वो काम हमारी मजबूत बैंकों के कारण आज संभव हुआ है.

दुर्भाग्‍य से हमारे देश में आजादी तो मिली, लेकिन लोगों को एक प्रकार से माई-बाप culture से गुजरना पड़ा. सरकार के पास मांगते रहो, सरकार के आगे हाथ फैलाते रहो, किसी की सिफारिश के लिए रास्‍ते खोजते रहो, वो ही culture develop हुआ था. आज हमने गवर्नेंस के उस model को बदला है. आज सरकार खुद लाभार्थी के पास जाती है, आज सरकार खुद उसके घर गैस का चूल्हा पहुंचाती है, आज सरकार खुद उसके घर पानी पहुंचाती है, आज सरकार खुद उसके घर बिजली पहुंचाती है, आज सरकार खुद उसको आर्थिक मदद दे करके विकास के नये आयामों को तय करने के लिए प्रेरित करती है, प्रोत्‍साहित करती है, आज सरकार खुद नौजवान के skill development के लिए अनेक कदम उठा रहा है.

साथियों, बड़े reforms के लिए हमारे सरकार बहुत ही प्रतिबद्ध है और हम इसी के द्वारा देश में प्रगति की राह को चुनना चाहते हैं. देश में नई व्‍यवस्‍थाएं बन रही हैं. देश को आगे ले जाने के लिए अनेक वित्‍त नीतियों को, अनेक वित्‍त पॉलिसीस को निरंतर बनाया जाए और नए सिस्‍टम पर देश का भरोसा भी बढ़ता रहता है, निरंतर बढ़ता रहताा है. आज जो 20-25 साल का नौजवान है, जो 10 साल पहले जब 12-15 साल की उम्र का नौजवान था, उसने अपनी आंखों के सामने यह बदलाव देखा है. 10 साल के भीतर-भीतर उसके सपनों को आकार मिला है, धार मिली है और उसके आत्‍मविश्‍वास में एक नई चेतना जगी है और वही देश के एक नये सार्म्‍थय के रूप में उभर रहा है. आज विश्‍वभर में भारत की साख बढ़ी है, भारत के प्रति देखने का नजरिया बदला है.

आज विश्‍व में युवाओं के लिए संभावनाएं के द्वार खुले हैं. रोजगार के अनगिनत नये अवसर, आजादी के इतने सालों के बाद भी नहीं आए थे, वो आज उनके दरवाजे पर दस्‍तक दे रहे हैं. संभावनाएं बढ़ती गई हैं. नये मौके बन रहे हैं. मेरे देश के युवाओं को अब धीरे-धीरे चलने का इरादा नहीं है. मेरे देश का नौजवान incremental प्रगति में विश्‍वास नहीं करता. मेरा देश का नौजवान छलांग मारने के मूड में है. वो छलांग मार करके नई सिद्धियों को प्राप्‍त करने के मूड में है. मैं कहना चाहूंगा भारत के लिए Golden Era है. वैश्विक परिस्थितयों की तुलना में भी देखें यह Golden Era है, यह हमारा स्‍वर्णिम कालखंड है. मेरे प्‍यारे देशवासियों, यह अवसर हमें जाने नहीं देना, यह मौका हमें जाने नहीं देना चाहिए और इसी मौके को पकड़ करके अपने सपने और संकल्‍पों को ले करके चल पड़ेंगे तो हम देश की स्‍वर्णिम भारत की जो अपेक्षा और हमें विकसित भारत का 2047 का लक्ष्‍य हम पूरा करके रहेंगे. हम सदियों की बेडि़यों को तोड़ करके निकले हैं.

आज Tourism का क्षेत्र हो, MSMEs का क्षेत्र हो, Education हो, Health sector हो, Transport sector हो, खेती और किसानी का सेक्‍टर हो, हर सेक्‍टर में एक नया आधुनिक सिस्‍टम बन रहा है. हम विश्‍व की best practices को भी आगे रखते हुए हम हमारे देश की परिस्थितियों के अनुसार आगे बढ़ना चाहते हैं. हर सेक्‍टर में आधुनिकता की जरूरत है, नयेपन की जरूरत है. टेक्‍नोलॉजी को जोड़ने की जरूरत है. और हर सेक्‍टर में हमारी नई नीतियों के कारण इन सारे क्षेत्रों में एक नया support मिल रहा है, नयी ताकत मिल रही है. हमारे सारे अवरोध हटे, हमारी मंदी से दूर हो, हम पूरे सार्म्‍थय के साथ चल पड़े, खिल उठे, सपनों को पा करके रहे, सिद्धि को हम अपने निकट देखें, हम आत्‍मसात करें उस दिशा में हमने चलना हैं. अब आप देखिए, कितना बड़ा बदलाव आ रहा है.

मैं एकदम ज़मीनी स्तर की बात कर रहा हूं, women self help group, आज दस साल में हमारी 10 करोड़ बहनें women self help group में जुड़ी हैं, 10 करोड़ नई बहनें. हमें गर्व हो रहा है कि हमारे सामान्‍य परिवार की गांव की 10 करोड़ महिलाएं आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बन रही हैं और जब महिलाएं आर्थिक रूप से आत्‍मनिर्भर बनती हैं तब परिवार की निर्णय प्रक्रिया की हिस्‍सेदार बनती हैं, एक बहुत बड़े सामाजिक परिवर्तन की गारंटी ले करके आती हैं.

मुझे गर्व है इस बात पर, लेकिन साथ-साथ मुझे गर्व इस बात का भी है कि हमारे C.E.O. आज दुनिया भर के अंदर अपनी धाक जमा रहे हैं. भारत के हमारे C.E.O. विश्‍वभर में अपनी धाक जमा रहे हैं. हमारे लिए खुशी की बात है कि एक तरफ मेरे C.E.O. दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं, भारत का नाम बना रहे हैं तो दूसरी तरफ women self help groups से एक करोड़ मेरी सामान्‍य परिवार की माताएं-बहनें लखपति दीदी बनती हैं, मेरे लिए ये भी उतनी ही गर्व की बात है. अब हमने self help group को 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये देने का निर्णय किया है. अब तक 9 लाख करोड़ रुपये बैंकों के माध्‍यम से हमारे इन women self help groups को मिले हैं और जिसकी मदद से वो अपने अनेकविद् कामों को बढ़ा रहे हैं.

मेरे नौजवान इस तरफ ध्‍यान दें, स्‍पेस सेक्‍टर एक फ्यूचर है हमारे साथ जुड़ा हुआ, एक महत्‍वपूर्ण पहलू है, हम उस पर भी बल दे रहे हैं. हमने स्‍पेस सेक्‍टर में बहुत reform किए हैं. जिन बंधनों में स्‍पेस सेक्‍टर को बांध कर रखा था, उसे हमने खोल दिया है. आज सैंकड़ों Startups स्‍पेस के सेक्‍टर में आ रहे हैं. Vibrant बनता जाता हमारा स्‍पेस सेक्‍टर भारत को एक शक्तिशाली राष्‍ट्र बनाने का एक महत्‍वपूर्ण अंग है. और हम इसको दूर की सोच के साथ मजबूती दे रहे हैं. आज प्राइवेट सेटेलाइट्स, प्राइवेट रॉकेट लान्‍च हो रहे हैं, ये गर्व की बात है. आज मैं कह सकता हूं जब नीति सही होती है, नीयत सही होती है और पूर्ण समर्पण से राष्‍ट्र का कल्‍याण यही मंत्र होता है तो निश्चित परिणाम हम प्राप्‍त करके रहते हैं.

आज देश में नए अवसर बनें, तब मैं कह सकता हूं दो चीजें और हों, जिसने विकास को एक गति दी है, विकास को एक नई छलांग दी है और ये है- पहला है आधुनिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का निर्माण. हमने इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को आधुनिक बनाने की दिशा में बहुत बड़े कदम उठाए हैं. और दूसरी तरफ सामान्‍य मानवी के जीवन में जो बाधाएं हैं, Ease of living का हमारा जो सपना है, उस पर भी हमने उतना ही बल दिया है. पिछले एक दशक में अभूतपूर्व इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का विकास हुआ है. रेल हो, रोड हो, एयरपोर्ट हो, पोर्ट हो, broadband connectivity हो, गांव-गांव नए स्कूल बनाने की बात हो, जंगलों में स्‍कूल बनाने की बात हो, दूर-सुदूर इलाकों में अस्‍पताल बनाने की बात हो, आरोग्‍य मंदिर बनाने की बात हो, मेडिकल कॉलेजों का काम हो, आयुष्‍मान आरोग्‍य मंदिरों का निर्माण चलता हो, 60 हजार से ज्‍यादा अमृत सरोवर बने हों, दो लाख पंचायतों तक Optical fiber network पहुंचा हो, नहरों का एक बहुत बड़ा जाल बिछाया जा रहा हो, चार करोड़ पक्‍के घर बनना, गरीबों को एक नया आश्रय मिलना, तीन करोड़ नए घर बनाने के संकल्‍प के साथ आगे बढ़ने की हमारी कोशिश हो.

हमारा पूर्वी भारत-नॉर्थ ईस्‍ट उसका इलाका आज इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के लिए जाना जाने लगा है और हमने ये जो कायाकल्‍प किया है, उसका सबसे बड़ा लाभ समाज के उन वर्गों तक हम पहुंचे हैं, जब ग्रामीण सड़कें वहां बनी हैं, जिनकी तरफ कोई देखता नहीं था, जिन इलाकों को नहीं देखता था, जिन गांवों को नहीं देखता था. दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, पिछड़े हों, आदिवासी हों, जंगल में रहने वाले हों, दूर-सदूर पहाड़ों में रहने वाले हों, सीमावर्ती स्‍थान पर रहने वाले हों, हमने उनकी आवश्‍यकताओं की पूर्ति की है.

हमारे मछुआरे भाई-बहनों की आवश्‍यकताओं को पूरा करना, हमारे पशुपालकों के जीवन को बदलना, एक प्रकार से सर्वांगीण विकास का प्रयास हमारी नीतियों में रहा, हमारी नियत में रहा है, हमारे Reforms में रहा है, हमारे कार्यक्रमों में रहा है, हमारी कार्यशैली में रहा है. हमारे मछुवारों भाई बहनों की आवश्‍यकताओं को पूरा करना, हमारे पशुपालकों के जीवन को बदलना, एक प्रकार से सर्वांगीण विकास का प्रयास, हमारी नीतियों में रहा, हमारी नियत में रहा है, हमारे रिफॉर्म में रहा है, हमारे कार्यक्रमों में रहा है, हमारी कार्यशैली में रहा है. और उन सबसे, सबसे बड़ा लाभ मेरे युवाओं को मिलता है. उनको नए-नए अवसर मिलते हैं, नए-नए क्षेत्र में कदम रखने का उसके लिए संभावनाएं बन जाती है और वही तो सबसे ज्‍यादा रोजगार दे रहा है और सबसे ज्‍यादा रोजगार प्राप्‍त करने का अवसर इन्‍हीं समय में उनको मिला है.

हमारा जो मध्‍यम वर्गीय परिवार है, मध्‍यम वर्गीय परिवार को Quality of Life, वो स्‍वाभाविक उसकी अपेक्षा रहती है. वो देश के लिए बहुत देता है, तो देश का भी दायित्‍व है कि उसकी जो Quality of Life में उसकी जो अपेक्षाएं हैं, सरकार की कठिनाईयों से मुक्‍ति की उसकी जो अपेक्षाएं हैं उसको पूर्ण करने के लिए हम निरंतर प्रयास करते हैं और मैंने तो सपना देखा है कि 2047 जब विकसित भारत का सपना होगा, तो उसकी एक ईकाई ये भी होगी कि सामान्‍य मानवीय के जीवन में सरकार की दखलें कम हों. जहां सरकार की जरुरत हो वहां आभाव न हो और जहां सरकार की देर के कारण प्रभाव भी न हो, इस प्रकार की व्‍यवस्‍था पर हम प्रतिबंधित हैं.

हम छोटी-छोटी जरुरतों पर भी ध्‍यान देते हैं. हम छोटी-छोटी आवश्‍यकताओं पर ध्‍यान देते हैं और उसको लेकर के हम चलते हैं. चाहे हमारे गरीब के घर का चूल्‍हा जलता रहे, गरीब की मां कभी आंसू पी करके सोना न पड़े और इसके लिए मुफ्त इलाज की योजना हमारी चल रही है. बिजली, पानी, गैस, अब सैच्‍यूरेशन के मोड पर हैं और जब हम सैच्‍यूरेशन की बात करते हैं तो शत-प्रतिशत होता है. जब सैच्‍यूरेशन होता है, तो उसको जातिवाद का रंग नहीं लगता है. जब सैच्‍यूरेशन होता है, तो उसमें वामपंथिकता का रंग नहीं लगता है. जब सैच्‍यूरेशन का मंत्र होता है, तब सच्‍चे अर्थ में सबका साथ, सबका विकास का मंत्र साकार होता है.

लोगों के जीवन में सरकार की दखल कम हो, उस दिशा में हमने, हजारों compliances के लिए सरकार सामान्‍य मानवीय पर बोझ डालती थी, हमने देशवासियों के लिए डेढ़ हजार से ज्‍यादा कानूनों को खत्‍म कर दिया ताकि कानूनों के जंजाल कें अंदर देशवासियों को फंसना न पड़े. हमने छोटी-छोटी गलतियों के कारण ऐसे कानून बने थे, उनको जेल में अंदर ढकेल दिया जाए. हमने उन छोटे-छोटे कारणों से जेल जाने की जो परंपराएं थीं, उन सारे कानूनों को नष्‍ट कर दिया और उसको कानूनों को जेल भेजने के प्रावधान को व्‍यवस्‍था से बाहर कर दिया है. आज हमने जो आजादी के विरासत के गर्व की जो हम बात करते हैं, सदियों से हमारे पास जो क्रिमिनल लॉ थे, आज हमने उसको नए क्रिमिनल लॉ जिसको हमने न्‍याय संहिता के रूप में और जिसके मूल में दंड नहीं तो नागरिक को न्‍याय इस भाव को हमने प्रबल बनाया है.

Ease of Living बनाने में देशव्यापी मिशन में हम काम कर रहे हैं. हर लेवल पर मैं सरकार के प्रति इन चीजों का आह्वान करता हूं. मैं जन-प्रतिनिधि वो किसी भी दल के क्‍यों न हो, किसी भी राज्‍य के क्‍यों न हो सबसे आग्रह करता हूं कि हमने एक मिशन मोड में Ease of Living के लिए कदम उठाने चाहिए. मैं हमारे युवाओं को, Professionals को, सबको मैं कहना चाहता हूं, आप अपने स्‍थान पर जहां पर आपको छोटी-छोटी दिक्‍कतें होती हैं आप उसको solutions को लेकर के सरकार को चिट्ठी लिखते रहिए. सरकार को बताइए कि बिना कारण की कठिनाई आए, उसको दूर करने से कोई नुकसान नहीं है, मैं पक्‍का मानता हूं आज सरकारें संवेदनशील हैं. हर सरकार स्‍थानीय स्‍वराज की सरकार होगी या राज्‍य सरकार होगी या केंद्र सरकार होगी, उसको तवज्‍जों देगी.

Governance में Reforms, ये हमें विकसित भारत @ 2047 के सपने के लिए हमने उसको जोर लगाकर के आगे बढ़ाना होगा ताकि सामान्‍य मानवीय के जीवन में अवसर ही अवसर पैदा हों, रुकावटें खत्‍म ही खत्‍म होती चली जाएं. नागरिकों को Dignity of Citizen, नागरिकों के जीवन में सम्‍मान मिलें, डिलिवरी के संबंध में कभी किसी को ये कहने की नौबत न आए कि ये तो मेरा हक था कि मुझे मिला नहीं, उसको खोजना न पड़े, सरकार के Governance में Delivery System को और मजबूती चाहिए.

आप देखिए देश में जब हम रिफॉर्म की बात करते हैं. आज देश में करीब-करीब तीन लाख संस्थाएं काम कर रही हैं. चाहे पंचायत हो, नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगर पालिका हो, UT हो, State हो, District हो, केंद्र हो, छोटी-मोटी तीन लाख करीब-करीब इकाइयां हैं. अगर ये हमारे तीन लाख इकाईयों का मैं आज आह्वान करता हूं कि अगर आप साल में अपने स्तर पर जिन चीजों की जरूरत है सामान्य मानवीय के लिए, दो रिफार्म करें, ज्यादा नहीं कह रहा हूं मेरे साथियों. एक पंचायत हो, एक राज्य सरकार हो, कोई विभाग हो, सिर्फ एक साल में दो रिफार्म और उसको जमीन पर उतारें. आप देखिए हम देखते ही देखते एक साल में करीब-करीब 25-30 लाख रिफार्म कर सकते हैं. जब 25-30 लाख रिफार्म हो जाएं तब सामान्य मानवीय का विश्वास कितना बढ़ जाएगा. उसकी शक्ति राष्ट्र को नई ऊंचाई पर ले जाने में कितनी काम आएगी और इसलिए हम अपने स्तर पर होती है, चलती से मुक्ति पाकर के बदलावों के लिए आगे आएं, हिम्मत के साथ आगे आएं और सामान्य मानवीय की जरूरत तो छोटी-छोटी जरूरत होती है, पंचायत लेवल पर भी वो मुसीबतें झेल रहा है. उन मुसीबतों से मुक्ति दिलाएं तो मुझे पक्का विश्वास है कि हम सपनों को पार कर सकते हैं.

आज देश आकांक्षाओं से भरा हुआ है. हमारे देश का नौजवान नई सिद्धियों को चूमना चाहता है. नए-नए शिखरों पर वो कदम रखना चाहता है. और इसलिए हमारी कोशिश है हर सेक्टर में कार्य को हम गति दें, तेज गति दें और उसके द्वारा पहले हम हर सेक्टर में नए अवसर पैदा करें. दूसरा ये बदलती हुई व्यवस्थाओं के लिए ये जो supportive infrastructure चाहिए. उन infrastructure पर हम बदलाव के मजबूती देने की दिशा में काम करें. और तीसरी बात है नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं के विषय में हम प्राथमिकता दें, उसको बल दें. इन तीनों ने भारत में एक Aspirational Society का निर्माण किया है और उसके परिणामस्वरूप आज समाज खुद एक विश्वास से भरा हुआ है. हमारे देशवासियों की आकांक्षाएं उनके aspirations, हमारे नौजवानों की ऊर्जा, हमारे देश के सामर्थ्य के साथ जोड़कर के, हम आगे बढ़ने के, एक ललक लेकर के चल रहे हैं.

मुझे विश्वास है रोजगार और स्वरोजगार नए रिकॉर्ड के अवसर पर हमने काम किया है. प्रति व्यक्ति आज आय दोगुनी करने में हम सफल हुए हैं. Global growth में भारत का योगदान बड़ा है. भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है. विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ा हुआ है, पहले से दोगुना पहुंचा है. ग्लोबल संस्थानों का भारत के प्रति भरोसा बढ़ा है. मुझे विश्वास है भारत की दिशा सही है, भारत की गति तेज है और भारत के सपनों में सामर्थ्य है. लेकिन इन सबके साथ संवेदनशीलता का हमारा मार्ग हमारे लिए ऊर्जा में एक नई चेतना भरता है. ममभाव हमारे कार्य की शैली है. समभाव भी चाहिए और ममभाव भी चाहिए, उसको लेकर के हम चल रहे हैं.

मैं जब कोरोनाकाल को याद करता हूं. कोरोना की वैश्विक महामारी के बीच सबसे तेजी से इकोनॉमी को बेहतर बनाने वाला कोई देश है तो वो देश भारत है. तब लगता है कि हमारी दिशा सही है. जब जात पात मत पंथ से ऊपर उठकर हर घर तिरंगा फहराया जाता है, तब लगता है कि देश की दिशा सही है. आज पूरा देश तिरंगा है, हर घर तिरंगा है, न कोई जात है, न कोई पात है, न कोई ऊंच है, न कोई नीच है, सभी भारतीय हैं. यही तो हमारी दिशा की ताकत है. जब हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालते हैं तब हमारा विश्वास पक्का हो जाता है कि हमने गति को बराबर maintain किया है और सपनों को साकार करना अब दूर नहीं है.

जब 100 से अधिक आकांक्षी जिले अपने-अपने राज्य के अच्छे जिलों की स्पर्धा कर रहे हैं, बराबरी करने लगे हैं तो हमें लगता है कि हमारी दिशा और गति दोनों सामर्थ्यवान हैं. जब हमारे उन आदिवासी साथियों को वो मदद मिलती है, पीएम जन-मन के द्वारा उनको जो योजनाएं पहुंची थी, आबादी बहुत छोटी है. लेकिन बहुत से दूर-सुदूर इलाकों में छुट-पुट, छुट-पुट, परिवार रहते हैं, हमने उनको खोजकर निकाला हैं, उनके लिए चिंता की है. तब लगता है कि संवेदनशीलता से जब काम करते हैं तब संतोष कितना मिलता है. Working women के लिए paid maternity leave 12 हफ्ते से बढ़ाकर के 26 हफ्ते कर देते हैं. तब सिर्फ नारी सम्मान ही करते हैं इतना नहीं है, नारी के प्रति संवेदनशील भाव से निर्णय करते इतना ही नहीं. लेकिन उसकी गोद में जो बच्चा पला है ना उसको एक उत्तम नागरिक बनाने के लिए मां की जो जरूरत है उसमें सरकार रूकावट न बने इस संवेदनशील भावना से उस निर्णय को हम करते हैं.

जब मेरे दिव्यांग भाई-बहन भारतीय sign language की बात हो, या तो सुगम्य भारत का अभियान हो, उसको लगता है कि अब मेरी भी dignity है, मेरे प्रति देश के नागरिक सम्मान के भाव से देखता है. और पैरालंपिक में तो हमारे खिलाड़ी नई-नई ताकत दिखाने लगे हैं. तब लगता है कि ये जो मेरा मम्-भाव है, हम सबका मम्-भाव है उसकी ताकत नज़र आती है. हमारे transgender समाज के प्रति हम जिस संवेदना के साथ निर्णय बना रहे हैं, हम नए-नए कानून बना रहे हैं, उनको सम्मान का जीवन देने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं. तब बदलाव की हमारी दिशा सही दिखती है. सेवा-भाव से किए गए इन कामों का जो त्रिविद मार्गों से हम चले हुए हैं, इन कामों का एक सीधा-सीधा लाभ आज उसके परिणाम के रूप में हमें नजर आ रहा है.

60 साल बाद लगातार तीसरी बार आपने हमें देश सेवा का मौका दिया है. मेरे 140 करोड़ देशवासी आपने जो आशीर्वाद दिए हैं, उसके आशीर्वाद में मेरे लिए एक ही संदेश है जन-जन की सेवा, हर परिवार की सेवा, हर क्षेत्र की सेवा और सेवा भाव से समाज की शक्ति को साथ लेकर के विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचना. 2047 विकसित भारत के सपने को लकर के चलना उसी एक संदेश को लेकर मैं आज लालकिले की प्राचीर से हमें आशीर्वाद देने के लिए मैं कोटि-कोटि देशवासियों का सर झुकाकर के आभार व्यक्त करता हूं, मैं उनके प्रति नतमस्तक होता हूं. और मैं उनको विश्वास दिलाता हूं कि हमें नई ऊंचाइयों को, नए जोश के साथ आगे बढ़ना है. हमें सिर्फ जो हो गया है वो संतोष मानकर के बैठने वाले हम लोग नहीं हैं, वो हमारे संस्कार में नहीं है. हम कुछ और करने के लिए, कुछ और आगे बढ़ने के लिए और कुछ और नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं. विकास को, समृद्धि को सपनों को साकार करने को, संकल्पों के लिए जीवन खपाने को हम अपना स्वभाव बनाना चाहते हैं, देशवासियों को स्वभाव बनाना चाहते हैं.

आज नई शिक्षा नीति में कई राज्यों ने अच्छे initiatives लिए हैं और उसके कारण आज एक 21वीं सदी के अनुरूप हमारी शिक्षा व्यवस्था को जो हम बल देना चाहते हैं. और विकसित भारत के सपने के लिए जिस प्रकार से मानव समूह तैयार करना चाहते हैं, नई शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है. मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे देश के नौजवानों को अब विदेशों में पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़े. मध्यमवर्गीय परिवार का लाखों-करोड़ो रूपया बच्चों को विदेश पढ़ने के लिए भेजने में खर्च हो जाए. हम यहां ऐसी शिक्षा व्यवस्था को विकसित करना चाहते हैं कि मेरे देश के नौजवानों को विदेश जाना न पड़े. मेरे मध्‍यमवर्गीय परिवारों को लाखों-करोड़ों रुपया खर्च न करना पड़ें, इतना ही नहीं, ऐसे संस्थानों का निर्माण हो ताकि विदेशों से भारत के अंदर उनका मुंह मोड़े.

अभी-अभी हमने बिहार का हमारा गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनर्निर्माण किया है. फिर से एक बार नालंदा यूनिवर्सिटी ने काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन हमें शिक्षा के क्षेत्र में फिर से एक बार सदियों पुराने उस नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा, उस नालंदा स्पिरिट को जीना होगा, उस नालंदा स्पिरिट को ले करके बड़े विश्‍वास के साथ विश्‍व की ज्ञान की परंपराओं को नई चेतना देने का काम हमें करना होगा. मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि नई शिक्षा नीति ने मातृभाषा पर बल दिया है. मैं राज्‍य सरकारों से कहूंगा, मैं देश की सभी संस्‍थानों से कहूंगा कि भाषा के कारण हमारे देश के टैलेंट को रूकावट नहीं आनी चाहिए. भाषा अवरूद्ध नहीं होनी चाहिए. मातृभाषा का सामर्थ्य हमारे देश के छोटे-छोटे, गरीब से गरीब मां के बेटे को भी सपने पूरा करने का ताकत देती है और इसलिए हमने हमारी मातृभाषा में पढ़ाई, जीवन में मातृभाषा का स्‍थान, परिवार में मातृभाषा का स्‍थान उसकी ओर हमें बल देना होगा.

जिस प्रकार से आज विश्‍व में बदलाव नजर आ रहा है और तब जा करके skill का महत्‍व बहुत बढ़ गया है. और हम skill को और एक नई ताकत देना चाहते हैं. हम Industry 4.O को ध्‍यान में रख करके हम skill development चाहते हैं. हम जीवन के हर क्षेत्र में, हम Agriculture Sector में भी capacity building करने के लिए skill development चाहते हैं. हम तो हमारा सफाई का क्षेत्र हो उसमें भी एक नई skill development की ओर बल देना चाहते हैं. और हम Skill India Programme को बहुत व्‍यापक रूप से इस बार ले करके आए हैं. बजट में भी इसका बहुत बड़ा, इस बजट में internship पर भी हमने बल दिया है, ताकि हमारे नौजवानों को एक experience मिले, उनकी capacity building हो, और बाजार में उनकी ताकत दिखाई दें, उस प्रकार से मैं Skilled युवाओं को तैयार करना चाहता हूं. और दोस्‍तों, आज विश्‍व की परिस्थितियों को देखते हुए मैं साफ-साफ देख रहा हूं कि भारत का Skilled manpower जो है, हमारे Skillful जो नौजवान हैं, वो ग्‍लोबल जॉब मार्केट में अपनी धमक बनाएं, हम उस सपने को ले करके आगे चल रहे हैं.

विश्‍व जिस तेजी से बदल रहा है, जीवन के हर क्षेत्र में Science और Technology का महात्मय बढ़ता चला जा रहा है. हमें Science पर बहुत बल देने की आवश्‍यकता है. और मैंने देखा चंद्रयान की सफलता के बाद हमारे स्‍कूल, कॉलेज के अंदर Science और Technology के प्रति एक नई रूचि का वातावरण बना है, नई दिलचस्‍पी बढ़ी है. तब हमारे शिक्षा संस्‍थानों ने, यह जो मनोभाव बना है उसको नरचर करने के लिए आगे आना होगा. भारत सरकार ने भी रिसर्च के लिए support बढ़ा दिया है. हमने ज्‍यादा से ज्‍यादा चेयर्स स्‍थापित किये हैं. हमने National Research Foundation बना करके हमने उसको एक कानूनी परिवेश में ला करके स्थायी रूप से एक व्‍यवस्‍था विकसित की है, ताकि research को ले करके निरंतर बल मिले और यह research foundation उस काम को करें. बड़े गर्व की बात है कि बजट में हमने एक लाख करोड़ रुपया research और innovation के लिए हमने देने का निर्णय किया है, ताकि हमारे देश के नौजवान के पास जो ideas हैं, उस ideas को हम जमीन पर उतार पाएं.

आज भी हमारे देश में Medical Education के लिए हमारे बच्‍चे बाहर जा रहे हैं. वो ज्‍यादातर मध्‍यम वर्ग परिवार के हैं. उनके लाखों-करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं और तब जा करके हमने पिछले 10 साल में Medical सीटों को करीब-करीब एक लाख कर दिया है. करीब-करीब 25 हजार युवा हर साल विदेश में Medical Education के लिए जाते हैं. और ऐसे-ऐसे देश में जाना पड़ रहा है, कभी-कभी तो मैं सुनता हूं तो हैरान हो जाता हूं और इसलिए हमने तय किया है कि अगले 5 साल में, Medical line में 75 हजार नई सीटें बनाई जाएंगी.

विकसित भारत 2047, वो स्‍वस्‍थ भारत भी होना चाहिए. और जब स्‍वस्‍थ भारत हो तो आज जो बच्‍चे हैं, उनके पोषण पर आज से ही ध्‍यान देने की जरूरत है. और इसलिए हमने विकसित भारत की जो पहली पीढ़ी है, उनकी तरफ विशेष ध्‍यान दे करके हमने पोषण का एक अ‍भियान चलाया है. हमने राष्‍ट्रीय पोषण मिशन शुरू किया है, पोषण को हमने प्राथमिकता दी है.

हमारी कृषि व्‍यवस्‍था को transform करना बहुत जरूरी है, समय की मांग है. हम सदियों से जिस परम्‍परा में दबे हुए हैं, जकड़े हुए हैं, उससे मुक्ति पानी होगी और हमारे किसानों को उसके लिए हम मदद भी दे रहे हैं. हम उसको transform करने की दिशा में लगातार काम करते आए हैं. आज आसान ऋण दे रहे हैं किसानों को, टेक्‍नोलॉजी की मदद दे रहे हैं. किसान जो पैदावार करता है उसको Value Addition के लिए हम काम कर रहे हैं. उसके लिए मार्केटिंग के लिए पूरा प्रबंध करते हैं ताकि उसको End to End हर जगह पर पर Hand Holding की व्‍यवस्‍था हो, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं.

आज जब धरती माता के प्रति सारा विश्‍व चिंतित है, जिस प्रकार से उर्वरक के कारण हमारी धरती माता की सेहत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है, हमारी धरती माता की उत्‍पादकता क्षमता खत्‍म होती चली जा रही है, कम होती चली जा रही है, और उस समय मैं मेरे देश के लाखों किसानों का आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं, जिन्‍होंने प्राकृतिक खेती का रास्‍ता चुना है और हमारी धरती माता की भी सेवा करने का उन्‍होंने बीड़ा उठाया है. और इस बार बजट में भी हमने प्राकृतिक खेती को बल देने के लिए बहुत बड़ी योजनाओं के साथ बहुत बड़ा बजट में प्रावधान किया है.

आज दुनिया की स्थिति मैं देखता हूं, पूरा विश्‍व Holistic Health Care की तरफ मुड़ रहा है और तब उनको Organic Food जो उनकी प्रथम पसंद बनी है, आज विश्‍व के लिए Organic Food का अगर कोई Food Basket बन सकता है तो मेरे देश का किसान बना सकता है, मेरा देश बन सकता है. और इसलिए हम आने वाले दिनों में उस सपने को ले करके आगे चलना चाहते हैं ताकि Organic Food की जो विश्‍व की मांग है और Organic Food का Basket हमारा देश कैसे बने.

किसानों का जीवन आसान बने, गांव में Top Class Internet Connectivity मिले, किसानों को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं मिलें, किसान के बच्‍चों को पढ़ने के लिए स्‍मार्ट स्‍कूल available हो, किसान के बच्‍चों को रोजगार उपलब्‍ध हो. छोटे-छोटे खेती के टुकड़ों पर पूरा परिवार आज जीना बड़ा मुश्किल हो रहा है, तब उनके नौजवानों के लिए वो स्किल मिले ताकि उनको नए रोजगार मिलें, नए आय के साधन बनें, इसका एक Comprehensive प्रयास हम कर रहे हैं.

बीते वर्षों में Women led development Model पर हमने काम किया है. Innovation हो, Employment हो, Entrepreneurship हो, हर सेक्‍टर में महिलाओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं. महिलाएं सिर्फ भागीदारी बढ़ा रही हैं ऐसा नहीं है, महिलाएं नेतृत्‍व दे रही हैं. आज अनेक क्षेत्रों में, आज हमारे रक्षा क्षेत्र में देखिए हमारा एयरफोर्स हो, हमारी आर्मी हो, हमारी नेवी हो, हमारा स्‍पेस सेक्‍टर हो, आज हमारी महिलाओं का हम दमखम देख रहे हैं, देश के लिए. लेकिन दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं और मैं आज लाल किले से फिर से एक बार अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूँ. एक समाज के नाते, हमे गंभीरता से सोचना होगा कि हमारी माताओं-बहनों बेटियों के प्रति जो अत्‍याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है. जन सामान्‍य का आक्रोश है. इस आक्रोश को मैं महसूस कर रहा हूं. इसको देश को, समाज को, हमारी राज्‍य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा. महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्‍द से जल्‍द जांच हो. राक्षसी कृत्‍य करने वालों को जल्‍द से जल्‍द कड़ी सजा हो, वो समाज में विश्‍वास पैदा करने के लिए जरुरी है.

मैं ये भी बताना चाहूँगा कि जब बलात्‍कार की महिलाओं पर अत्‍याचार की घटनाएं घटती हैं तो उसकी बहुत चर्चा होती है, बहुत प्रचार होता है, मीडिया में छाया रहता है. लेकिन जब ऐसे राक्षसी मनोवृत्ति व्‍यक्‍ति को सजा होती है, तो वो खबरों में कहीं नजर नहीं आती है, एक कोने में कहीं पड़ा रहता है. अब समय की मांग है कि जिनको सजा होती है उसकी व्‍यापक चर्चा हो ताकि ऐसा पाप करने वालों को भी डर पैदा हो कि ये पाप करने की हालत ये होती है कि फांसी पर लटकना पड़ता है और मुझे लगता है कि ये डर पैदा करना बहुत जरुरी है.

हमारे देश में ऐसी एक आदत बन गई थी स्‍वभाव से. हम देश को कम आंकना, देश के प्रति गौरव के भाव का अभाव होना, ये पता नहीं क्‍यों हमारे जेहन में घुस गया था. और हम तो कभी कभी तो लेट आए तो कहते थे Indian Sign, शर्म के साथ हम बोल देते थे. देश को इन चीजों से हमने बाहर लाने में सफलता पाई है. किसी जमाने में कहा जाता था अरे खिलौने भी बाहर से आते थे, वो दिन देखे हमने. आज मैं गर्व से कह सकता हूं कि मेरे देश के खिलौने इस दुनिया के बाजार में अपनी धमक लेकर के पहुंच रहे हैं. खिलौने हमारे एक्‍सपोर्ट होने शुरू हुए हैं. कोई एक जमाना था, हम मोबाइल फोन इम्‍पोर्ट करते थे, आज मोबाइल फोन के Manufacturing का Ecosystem बना है, एक बहुत बड़ा हब बना है और आज हम मोबाइल फोन दुनिया में एक्‍सपोर्ट करने लगे हैं. ये भारत की ताकत है.

भविष्‍य के साथ Semiconductor जुड़ा हुआ है. आधुनिक टेक्‍नोलोजी जुड़ी हुई है, AI जुड़ा हुआ है. हमने Semiconductor मिशन पर काम शुरू किया है और उपकरण में Made in India Cheap क्यूँ न हो, क्‍यों ये सपना मेरे देश का नौजवान न देखे, टेलेंट यहां है. सारे इस प्रकार के रिसर्च के काम हिन्‍दुस्‍तान में होते हैं तो अब प्रोडक्‍शन हिन्‍दुस्‍तान में होगा. Semiconductor का काम भी हिन्‍दुस्‍तान में होगा और हम End to End Solution दुनिया को देने की ताकत रखते हैं.

एक जमाना हमने देखा है, 2जी के लिए हम कैसा संघर्ष करते थे. आज हर उपकरण में हम देख रहे हैं, हम तेजी से आगे बढ़े और 5जी जिस तेजी से पूरे देश में Roll Out हुआ. हिन्‍दुस्‍तान के करीब करीब सभी क्षेत्रों में 5जी पहुंच गया. वो विश्‍व में तेज गति से 5जी पहुंचाने में आगे रहे हैं और साथियों मैंने कहा हम रुकने वाले नहीं हैं, 5जी पर रुक जाना अब हमें मंजूर नहीं है. हम 6जी पर अभी से मिशन मोड में काम कर रहे हैं और विश्‍व में हम उसमें भी अपनी धमक जमाएंगे. ये मैं विश्‍वास से कहता हूं.

Defence Sector, हमारी आदत हो गई थी Defence Budget कितना ही क्‍यों न हो, लेकिन कभी कोई सोचता नहीं था कि Defence Budget बढ़ा तो जाता कहां है? Defence Budget विदेशों से खरीदी में चला जाता था. अब हम चाहते हैं हम आत्‍मनिर्भर बनें और मैं हमारी Defence Forces का हृदय से धन्‍यवाद करता हूं, उन्‍होंने हजारों ऐसी चीजें List कर दीं हैं, उन्‍होंने तय किया है कि हम विदेश से नहीं लाएंगे. राष्‍ट्र के लिए जीना क्‍या कहते हैं, ये हमारे सेना के जवानों ने दिखाया है. अब इसके कारण Defence Sector में हम आत्‍मनिर्भर होते चले जा रहे हैं. आज Defence Manufacturing में, भारत की पहचान बनीं है और मैं आज खुशी से कह सकता हूं कि जो देश कभी Defence की हर छोटी मोटी चीज बाहर से लाता था, आज धीरे-धीरे दुनिया के कई देशों में हम जो Defence के Equipment Manufacturing कर रहे हैं, वो हम Export करने लगे हैं. दुनिया में Defence Hub Manufacturing के रूप में हम धीरे-धीरे उभर रहे हैं. हम manufacturing क्षेत्र को बढ़ावा देना चाहते हैं क्योंकि रोजगार के लिए सर्वाधिक आवश्यक है. आज PLI Scheme को बहुत बड़ी सफलता मिली है. FDI Reforms उसने भी हमें बहुत बड़ी ताकत दी है. MSME's को बहुत बड़ा बल मिला है. नई व्यवस्था विकसित हुई है और उसके कारण हमारा manufacturing sector हम दुनिया का एक manufacture hub बनें. जिस देश के पास इतनी नौजवान शक्ति हो, जिस देश के अंदर ये सामर्थ्य हो, हम manufacturing की दुनिया में भी Industry 4.O में हम बहुत बड़ी ताकत के साथ आगे जाना चाहते हैं. और इसके लिए आवश्यक skill development उस पर भी हमने बल दिया है. और skill development में भी हमने नए model तय किए हैं. हमने जनभागीदारी को जोड़ा है ताकि तुरंत requirement के अनुसार skill development हम कर सकें. और मुझे विश्वास है मैं लाल किले की प्राचीर से कह रहा हूं वो दिन दूर नहीं होगा जब भारत Industrial manufacturing का हब होगा, दुनिया उसकी तरफ देखती होगी.

आज विश्व की बहुत बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं. ये चुनाव के बाद मैंने देखा है, मेरे तीसरे कार्यकाल में जितने लोग मुझसे मिलने के लिए मांग कर रहे हैं वो ज्यादातर निवेशक लोग हैं. विश्वभर के निवेशक हैं, वो आना चाहते हैं, भारत में निवेश करना चाहते हैं. ये एक बहुत बड़ी golden opportunity है. मैं राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि आप निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्पष्ट नीति निर्धारित कीजिए. Good Governance का आश्वासन दीजिए, Law & Order situation के लिए उनको भरोसा दीजिए. हर राज्य एक तंदुरुस्त स्पर्धा में आगे आएं. राज्य-राज्य के बीच निवेशकों को खींचने के लिए स्पर्धा होनी चाहिए निवेशकों के लिए, ताकि उनके राज्य में निवेशक आएंगे उनके राज्य के नौजवानों को स्थानीय रूप से अवसर मिलेगा, रोजगार का अवसर मिलेगा.

नीतियों में परिवर्तन लाना चाहिए तो global requirement के अनुसार नीतियों को राज्यों को परिवर्तित करना चाहिए. लैंड की आवश्यकता है तो राज्यों को लैंड बैक बनानी चाहिए. Good Governance single point पर काम करने के लिए राज्य जितने proactive होंगे, जितने ज्यादा प्रयास करेंगे, जो निवेशक आ रहे हैं वो कभी भी वापस नहीं जाएंगे. सिर्फ भारत सरकार से काम ये होता नहीं है. राज्य सरकारों की बहुत बड़ी आवश्यकता होती है. क्योंकि जो भी प्रोजेक्ट लगने वाला है उस राज्य में लगने वाला है. उसको हर राज्य के साथ रोजमर्रा का काम पड़ता है. और इसलिए मैं राज्यों से आग्रह करूंगा कि जब विश्व पूरी तरह भारत की तरफ आकर्षित हो रहा है. पूरा विश्व भारत में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध हो रहा है तब ये हमारा दायित्व बनता है कि हमारी पुरानी आदतें छोड़कर के स्पष्ट नीति के साथ हम आगे आएं. देखिए आपको परिणाम अपने राज्य में दिखाई देगा और आपका राज्य भी चमक उठेगा, ये मैं आपको विश्वास देता हूं.

भारत अपनी best quality के लिए पहचानी जाए ये बहुत जरूरी है. अब विश्व के लिए हमें डिजाइन का क्षेत्र design in India इस पर हमें बल देना है. हमें कोशिश करनी है कि Indian Standard International Standard बनने चाहिए. Indian Standard International Standard बनेंगे तब हमारी हर चीज पर सरलता से मुहर लग जाएगी. और ये हमारी production के quality पर निर्भर करेगा. हमारी सेवा की quality पर निर्भर करेगा. हमारे approach की quality पर निर्भर करेगा. और इसलिए हमें quality पर बल देकर के आगे बढ़ना है. हमारे पास टेलेंट है. Design के क्षेत्र में हम दुनिया को बहुत कुछ नया दे सकते हैं. Design in India इस आह्वान को लेकर के हमें आगे चलना है. Design in India and Design for the world इस सपने को लेकर के चलना है.

मैं देख रहा हूं gaming की दुनिया का बहुत बड़ा मार्केट खड़ा हुआ है. लेकिन आज भी gaming की दुनिया पर प्रभाव, खासकर के उन खेलों को बनाने वाले लोग, product करने वाले लोग विदेश से कमाई होती है. भारत के पास बहुत बड़ी विरासत है. हम gaming की दुनिया में बहुत नई talent को लेकर के आ सकते हैं. विश्व के हर बच्चे को हमारे देश की बनी हुई gaming की ओर आकर्षित कर सकते हैं. मैं चाहता हूं कि भारत के बच्चे, भारत के नौजवान, भारत के IT professionals भारत के AI के professionals, वे gaming की दुनिया को लीड करें. खेलने में नहीं, गेमिंग की दुनिया में हमारे प्रोडक्ट पूरे विश्व में पहुंचने चाहिए. और पूरी दुनिया में हमारे animators काम कर सकते हैं. Animation की दुनिया में हम अपनी धाक जमा सकते हैं, हम उसी दिशा में काम करें.

आज विश्व के अंदर global warming, climate change हर क्षेत्र में चिंता और चर्चा का विषय रहता है. भारत ने उस दिशा में काफी कदम उठाए हैं. हम विश्व को आश्वस्त करते रहे हैं और शब्दों से नहीं अपने कार्यों से, प्राप्त परिणामों से हमने विश्व को आश्वस्त भी किया है और विश्व को आश्चर्यचकित भी किया है. हम ही हैं, जिन्होंने single use plastic पर प्रतिबंध लगाया है. हमने renewable energy पर विस्तार किया है, हमने renewable energy को एक नई ताकत दी है. आने वाले कुछ वर्षों में हम net zero future की ओर आगे बढ़ रहे हैं. मुझे याद है Paris Accord में जिन देशों ने अपने लक्ष्य निर्धारित किए थे, आज मैं लाल किले की प्राचीर से मेरे देशवासियों की ताकत दुनिया को बताना चाहता हूं. G-20 देश के समूह जो नहीं कर पाए वो मेरे देश के नागरिकों ने करके दिखाया है, मेरे देशवासियों ने करके दिखाया है, हिन्दुस्तान ने करके दिखाया है. Paris Accord के अंदर जो टारगेट हमने तय किए थे, उन टारगेट को समय से पहले पूरा करने वाला G-20 देशों के समूह में अगर कोई है तो एकमात्र मेरा हिंदुस्तान है, एकमात्र मेरा भारत है. और इसलिए गर्व होता है साथियों renewable energy के टारगेट हमने पूरे किए. हम 2030 तक renewable energy को 500 गीगावॉट तक ले जाने के लिए मकसद से काम कर रहे हैं, आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा लक्ष्य है. दुनिया के लोग सिर्फ 500 गीगावॉट शब्द सुनते हैं ना तो मेरी तरफ ऐसे-ऐसे देखते हैं. लेकिन आज मैं विश्वास से कह रहा हूं देशवासियों को कि इस लक्ष्य को भी हम पूरा करके रहेंगे. और ये मानवजाति की भी सेवा करेगा, हमारे भविष्य की भी सेवा करेगा, हमारे बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बनेगा. हमने 2030 तक हमारी रेलवे को net zero emission का लक्ष्य लेकर के हम चल रहे हैं.

पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना उसको एक नई ताकत देने वाली है और ये बदलाव का फल मेरे देश के सामान्य परिवार को मिला है, विशेषकर के मेरे मध्यमवर्ग को मिलेगा, जब उसका बिजली का बिल मुफ्त हो जाएगा. Electrical vehicle, उसकी मांग बढ़ती जा रही है. जब पीएम सूर्यघर योजना से, कोई बिजली उत्पादन करता है सूर्य से तो उसका व्हीकल का प्रवास का खर्चा भी वो कम कर सकता है.

हम Green Hydrogen Mission लेकर के एक global hub बनना चाहते हैं. बहुत तेजी से नीतियां बनाई गई हैं, बहुत तेजी से उसका implementation का काम हो रहा है और भारत green hydrogen एक new energy की दिशा में हम जाना चाहते हैं. और ये सारे जो प्रयास चल रहे हैं climate की चिंता तो है ही है, global warming की चिंता है. लेकिन इसके अंदर green jobs की बहुत बड़ी संभावना है. और इसलिए आने वाले कालखंड में green jobs का महत्व बढ़ता है तो उसको सबसे पहले कैप्चर करने के लिए, मेरे देश के नौजवानों को अवसर देने के लिए और green jobs के लिए एक बहुत बड़े क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं.

आज हमारे साथ इस तिरंगे झंडे के नीचे वो नौजवान बैठे हैं, जिन्होंने ओलंपिक की दुनिया में भारत का परचम लहराया है. मैं मेरे देश के सभी एथलीट्स को, मैं देश के सभी खिलाड़ियों को 140 करोड़ देशवासियों की तरफ से बधाई देता हूं. और हम नए सपने, नए संकल्प अत्यधिक पुरूषार्थ के साथ नए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आगे बढ़ेंगे, ऐसा मैं विश्वास के साथ उनको शुभकामनाएं भी देता हूं. आने वाले कुछ दिनों में भारत का एक बहुत बड़ा दस्ता पैरालंपिक के लिए, पेरिस जाने के लिए रवाना होगा. मैं, मेरे सभी पैरालंपिक खिलाड़ियों को भी ह्दय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं.

भारत ने जी-20 को ऑर्गेनाइज किया, हिन्दुस्तान के अनेक शहरों में ऑर्गेनाइज किया. 200 से ज्‍यादा event किए, पूरे विश्व में G-20 का इतना बड़ा व्‍यापक कार्यक्रम कभी नहीं हुआ, इस बार हुआ. इसने एक बात सिद्ध कर दी है कि भारत में बड़े से बड़े काम कार्यक्रम को organize करने की ताकत है. भारत को, किसी की भी hospitality का सामर्थ्य सबसे ज्‍यादा है. अगर यह सिद्ध हो चुका है, तो साथियों हिंदुस्‍तान का सपना है कि 2036 में जो Olympic होगा, वो मेरे हिंदुस्‍तान की धरती पर हो, इसके लिए हम तैयारी कर रहे हैं, उसके लिए हम आगे बढ़ रहे हैं.

समाज के आखिरी तबके के जो लोग हैं, यह हमारा सामाजिक दायित्‍व है, अगर कोई पीछे रह जाते हैं, तो यह हमारे आगे बढ़ने की गति कम कर देता है और इसलिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं तो भी सफलता तब मिलती है पीछे वाले को भी साथ-साथ आगे ले आए. और इसलिए हम सबका दायित्‍व बनता है कि हमारे समाज में आज भी जो क्षेत्र पीछे रह गए हैं, जो समाज पीछे रह गए हैं, जो लोग पीछे रह गए हों, हमारे छोटे-छोटे किसान हो, हमारे जंगलों में रहने वाले मेरे आदिवासी भाई-बहन हों, हमारी माताएं-बहनें हों, हमारे मजदूर हों, हमारे श्रमिक साथी हों, हमारे कामगार लोग हों, इन सबको हमें बराबरी में लाने के लिए, हमारे बराबर लाने के लिए भरपूर प्रयास करना है. लेकिन अब गति पकड़ गई है अब लम्‍बे दिन तक हमें वो करना नहीं पड़ेगा, बहुत जल्‍द वो हमारे पास पहुंच जाएंगे, हमारी बराबरी में आ जाएंगे, हमारी ताकत बहुत बढ़ जाएगी. और बड़ी संवेदना के साथ हमें इस काम को करना है. और इसके लिए एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है.

मैं मानता हूं संवेदनशीलता की दृष्टि से इससे बड़ा अवसर और क्‍या हो सकता है. हमें पता है 1857 के स्‍वतंत्रता संग्राम के पहले भी अंग्रेजों की नाक में दम करने वाला हमारे देश का एक आदिवासी युवक था. 20-22 साल की उम्र में उसने अंग्रेजों के नाको में दम ला दिया था, जिसको आज भगवान बिरसा मुंडा के रूप में लोग पूजा करते हैं. भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती आ रही है. यह हम सबके लिए प्रेरणा का कारण बनें. समाज के प्रति छोटा सा छोटा व्‍यक्ति भी देश के लिए कैसे जज्‍़बात रखता है उससे बड़ी प्रेरणा भगवान बिरसा मुंडा से कौन अधिक हो सकता है. आइये, हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती जब मनाएं, संवेदनशीलता का हमारा व्‍याप बढ़े, समाज के प्रति हमारा मनोभाव बढ़े, हम समाज के हर व्‍यक्ति को गरीबों को, दलितों को, पिछड़ों को, आदिवासियों को, हरेक को हम अपने साथ ले करके चले, इस संकल्‍प को ले करके चलना है.

हम संकल्‍प के साथ बढ़ तो रहे हैं, बहुत आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग होते हैं जो प्रगति देख नहीं सकते हैं, कुछ लोग होते हैं जो भारत का भला सोच नहीं सकते हैं जब तक खुद क भला न हो, तब तक उनको किसी का भला अच्‍छा नहीं लगता है. ऐसे विकृत मानसिकता से भरे हुए लोगों की कमी नहीं होती है. देश को ऐसे लोगों से बचना होगा. वे निराशा की गर्त में डूबे हुए लोग हैं. ऐसे मुट्ठीभर निराशा की गर्त में डूबे हुए लोग जब उनके गोद में विकृति पलती है, तब वो विनाश का कारण बन जाती है, सर्वनाश का कारण बन जाती है, anarchy का मार्ग ले लेती है और तब देश को इतनी बड़ी हानि हो जाती है, जिसकी भरपाई करने में हमें नये सिरे से मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए ऐसे जो छुट-पुट निराशावादी तत्‍व होते हैं, वो सिर्फ निराश हैं इतना ही नहीं है, उनकी गोद में विकृति पल रही है. यह विकृति विनाश के सर्वनाश के सपनें देख रही है, ताने-बाने जोड़ने के प्रयास में लगी है. देश को इसे समझना होगा. लेकिन मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कि हम हमारी नेक नियत से, हमारी ईमानादारी से, राष्‍ट्र के प्रति समर्पण से, हम सारी परिस्‍थितियों के बावजूद भी विपरीत मार्ग पर जाने वालों के लिए भी उनके भी दिल जीत करके, हम देश को आगे बढ़ाने के संकल्‍प में कभी भी पीछे नहीं हटेंगे, यह मैं विश्‍वास देना चाहता हूं.

चुनौतियां हैं, अनगिनत चुनौतियां हैं, चुनौतियां भीतर भी हैं, चुनौतियां बाहर भी हैं और जैसे-जैसे हम ताकतवर बनेंगे, जैसे-जैसे हमारा तवज्‍जो बढ़ेगा तो चुनौतियां भी बढ़ने वाली हैं. बाहर की चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं और मुझे उसका भलीभांति अंदाज है. लेकिन मैं ऐसी शक्तियों को कहना चाहता हूं भारत का विकास किसी के लिए संकट ले करके नहीं आता है. हम विश्‍व में समृद्ध थे तब भी, हमने कभी दुनिया को युद्ध में नहीं झोंका है. हम बुद्ध का देश हैं, युद्ध हमारी राह नहीं है. और इसलिए विश्‍व चिंतित न हो, भारत के आगे बढ़ने से मैं विश्‍व समुदाय को विश्‍वास दिलाता हूं कि आप भारत के संस्‍कारों को समझिए, भारत के हजारों साल के इतिहास को समझिए, आप हमें संकट मत मानिए, आप उन तरकीबों से न जुड़िए, जिसके कारण पूरी मानव जाति का कल्‍याण करने का सामर्थ्‍य जिस भूमि में है, उस भूमि को ज्‍यादा मेहनत करनी पड़े. लेकिन फिर भी मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं, चुनौतियां कितनी ही क्‍यों न हों, चुनौती को चुनौती देना, ये हिन्‍दुस्‍तान की फितरत में है. न हम डिगेंगे, न हम थकेंगे, न हम रुकेंगे, न हम झुकेंगे. हम संकल्‍पों की पूर्ति के लिए 140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए, भाग्‍य सुनिश्चित करने के लिए, राष्‍ट्र के सपनों को साकार करने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे. हर बदनीयत वालों को हम हमारी नेकनीयत से जीतेंगे, ये मैं विश्‍वास देता हूं.

समाज की मनोरचना में भी बदलाव कभी-कभी बहुत बड़ी चुनौती का कारण बन जाता है. हमारा हर देशवासी भ्रष्‍टाचार की दीमक से परेशान रहा है. हर स्‍तर के भ्रष्‍टाचार ने सामान्‍य मानवी का व्‍यवस्‍थाओं के प्रति विश्‍वास तोड़ दिया है. उसको अपनी योग्‍यता, क्षमता के प्रति अन्‍याय का जो गुस्‍सा होता है, वो राष्‍ट्र की प्रगति में नुकसान करता है. और इसलिए मैंने व्‍यापक रूप से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक जंग छेड़ी है. मैं जानता हूं, इसकी कीमत मुझे चुकानी पड़ती है, मेरी प्रतिष्‍ठा को चुकानी पड़ती है, लेकिन राष्‍ट्र से बड़ी मेरी प्रतिष्‍ठा नहीं हो सकती है, राष्‍ट्र के सपनों से बड़ा मेरा सपना नहीं हो सकता है. और इसलिए ईमानदारी के साथ भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी, तीव्र गति से जारी रहेगी और भ्रष्‍टाचारियों पर कार्रवाई जरूर होगी. मैं भ्रष्‍टाचारियों के लिए भय का वातावरण पैदा करना चाहता हूं ताकि देश के सामान्‍य नागरिक को लूटने की जो परम्‍परा रही है, उस परम्‍परा को मुझे रोकना है. लेकिन सबसे बड़ी नई चुनौती आई है, भ्रष्‍टाचारियों से निपटना तो है ही, लेकिन समाज जीवन में उच्‍च स्‍तर पर एक जो परिवर्तन आया है वो सबसे बड़ी चुनौती भी है और एक समाज के लिए सबसे बड़ी चिंता भी है. क्‍या कोई कल्‍पना कर सकता है कि मेरे ही देश में, इतना महान संविधान हमारे पास होने के बावजूद भी कुछ ऐसे लोग निकल रहे हैं जो भ्रष्‍टाचार का महिमामंडन कर रहे हैं. खुलेआम भ्रष्‍टाचार का जय-जयकार कर रहे हैं. समाज में इस प्रकार के बीज बोने का जो प्रयास हो रहा है, भ्रष्‍टाचार का जो महिमामंडन हो रहा है, भ्रष्‍टाचारियों की स्‍वीकार्यता बढ़ाने का जो निरंतर प्रयास चल रहा है, वो स्‍वस्‍थ समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है, बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है, बहुत बड़ी चुनौती का विषय बन गया है. भ्रष्‍टाचारियों के प्रति, समाज में दूरी बना रखने से ही किसी भी भ्रष्‍टाचारी को उस रास्‍ते पर जाने से डर लगेगा. अगर उसका महिमामंडन होगा, तो जो आज भ्रष्‍टाचार नहीं करता है, उसको भी लगता है कि ये तो समाज में प्रतिष्‍ठा का रंग बन जाता है, उस रास्‍ते पर जाने में बुरा नहीं है.

बांग्‍लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना, मैं इसको समझ सकता हूं. मैं आशा करता हूं कि वहां पर हालात जल्‍द ही सामान्‍य होंगे. खासकर के 140 करोड़ देशवासियों की चिंता कि वहां हिंदू, वहां के अल्‍पसंख्‍यक, उस समुदाय की सुरक्षा सुनिश्‍चित हो. भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें. शांति के प्रति हमारा Commitment है, हमारे संस्‍कार हैं. हम आने वाले दिनों में बांग्‍लादेश की विकास यात्रा में हमेशा हमारा शुभ चिंतन ही रहेगा क्‍योंकि हम मानव जाति की भलाई सोचने वाले लोग हैं.

हमारे संविधान को 75 वर्ष हो रहे हैं. भारत के संविधान की 75 वर्ष यात्रा, देश के एक बनाना, देश को श्रेष्‍ठ बनाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है. भारत के लोकतंत्र को मजबूती देने में हमारे देश के संविधान की बहुत बड़ी भुमिका रही है. हमारे देश के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित को सुरक्षा देने का बहुत बड़ा काम हमारे संविधान ने किया है. अब जब संविधान के 75 वर्ष हम मनाने जा रहे हैं तब हम देशवासियों ने संविधान में निर्दिष्‍ट कर्तव्‍य के भाव पर बल देना बहुत जरुरी है और जब मैं कर्तव्‍य की बात करता हूं तब मैं सिर्फ नागरिकों पर बोझ बनाना नहीं चाहता. कर्तव्‍य केंद्र सरकार के भी हैं, कर्तव्‍य केंद्र सरकार के हर मुलाजिम के भी हैं, कर्तव्‍य राज्‍य सरकारों के भी हैं, राज्‍य सरकार के मुलाजिम के हैं. कर्तव्‍य हर स्‍थानीय स्‍वाराज संस्‍था के हैं चाहें पंचायत हो, नगरपालिका हों, महानगरपालिका हों, तहसिल हो, जिला हो, हर किसी के कर्तव्‍य हैं. लेकिन साथ साथ 140 करोड़ देशवासियों के कर्तव्‍य हैं. अगर हम सब मिलकर के अपने कर्तव्‍यों का निर्वाह करेंगे तो हम अपने आप औरों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए निमित्त बनेंगे और जब कर्तव्‍य का पालन होता है, तब अधिकारों की रक्षा निहित होती है, उसके लिए कोई अलग से प्रयास करने की जरुरत नहीं पड़ जाती है. मैं चाहता हूं कि हमारे इस भाव को लेकर के हम चलेंगे. हमारा लोकतंत्र भी मजबूत होगा. हमारा सामर्थ्य और बढ़ेगा और हम एक नई शक्‍ति के साथ आगे बढ़ेंगे.

हमारे देश में Supreme Court में बार बार Uniform Civil Code को लेकर के चर्चा की है. अनेक बार आदेश दिए हैं क्‍योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है और इसमें सच्‍चाई भी है कि जिस Civil Code को हम लेकर के जी रहे हैं वो Civil Code सचमुच में तो एक प्रकार का Communal Civil Code है, भेदभाव करने वाला Civil Code है. ऐसे Civil Code जब संविधान के 75 वर्ष मना रहे हैं और संविधान की भावना भी जो हमें कहती है करने के लिए, देश की Supreme Court भी हमें कहती है करने के लिए और तब जो संविधान निर्माताओं का सपना था, उस सपने को पूरा करना हम सब का दायित्‍व है और मैं मानता हूं कि इस विषय पर देश में चर्चा हो, व्‍यापक चर्चा हो. हर कोई अपने विचारों को लेकर के आए और कानूनों को जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्‍थान नहीं सकता है और इसलिए मैं तो कहूंगा, अब देश की मांग है, अब देश में एक Secular Civil Code हो, हमने Communal Civil Code में 75 साल बिताएं हैं. अब हमें Secular Civil Code की तरफ जाना होगा, और तब जाकर के देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहें, सामान्‍य नागरिकों को दूरी महसूस होती है, उसमें हमें मुक्‍ति मिलेगी.

जब मैं देश में एक चिंता के बारे में हमेशा कहता हूं परिवारवाद, जातिवाद भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान कर रहा है. देश को, राजनीति को हमें परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति दिलानी होगी. आज हमने, मैं देख रहा हूं मेरे सामने जो नौजवान हैं उसमें लिखा हुआ है My Bharat जिस संगठन का नाम है उसकी चर्चा लिखी है. बहुत बढ़िया तरीके से लिखा हुआ है. My Bharat के अनेक मिशन हैं. एक मिशन ये भी है कि हम जल्द से जल्द देश में राजनीतिक जीवन में जनप्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं शुरूआत में, एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक background न हो. जिसके माता-पिता, भाई-बहन, चाचा, मामा–मामी कभी भी राजनीति में नहीं रहे. किसी भी पीढ़ी में नहीं रहे ऐसे होनहार नौजवानों को fresh blood एक लाख चाहे वो पंचायत में आए, चाहे नगर पालिका में आए, चाहे जिला परिषदों में आए, चाहे विधानसभा में आए, लोकसभा में आए. एक लाख नए नौजवान कोई भी प्रकार का पूर्व का राजनीतिक इतिहास उनके परिवार का न हो ऐसे fresh लोग राजनीति में आए ताकि जातिवाद से मुक्ति मिले, परिवारवाद से मुक्ति मिले, लोकतंत्र को समृद्धि मिले और जरूरी नहीं है कि एक दल में जाए, उनको जो पसंद हो उस दल में जाए. उस दल में जाकर के वो जनप्रतिनिधि बनकर के आगे आए.

देश तय करके चले कि आने वाले दिनों में एक लाख ऐसे नौजवान जिनका परिवार राजनीति से दूर-दूर का संबध नहीं है ऐसे fresh blood आएंगे, तो सोच भी नई आएगी, सामर्थ्य भी नया आएगा. लोकतंत्र समृद्ध होगा और इसलिए हमें इस दिशा में आगे होना है और मैं चाहूंगा कि देश में बार-बार चुनाव, इस देश की प्रगति में रूकावट बन रहे हैं, गतिरोध पैदा कर रहे हैं. आज कोई भी योजना को चुनाव के साथ जोड़ देना आसान हो गया है. क्योंकि हर तीन महीने छह महीने कहीं न कहीं चुनाव चल रहा है. कोई भी योजना जाहिर करोगे आप तो मीडिया में देखेंगे चुनाव आया तो फलाना हो गया, चुनाव आया तो फलाना हो गया. हर काम को चुनाव के रंग से रंग दिया गया है. और इसलिए देश में व्यापक चर्चा हुई है. सभी राजनीति दलों ने अपने विचार रखे हैं. एक committee ने बहुत बढ़िया अपना रिपोर्ट तैयार किया है. One Nation One Election के लिए देश को आगे आना होगा. मैं लाल किले से तिरंगे की साक्षी में देश के राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं, देश के संविधान को समझने वाले लोगों से आग्रह करता हूं कि भारत की प्रगति के लिए भारत के संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग जनसामान्य के लिए हो उसके लिए One Nation One Election के सपने को साकार करने के लिए हमें आगे आना चाहिए.

भारत का स्वणिर्म कालखंड है 2047 विकसित भारत ये हमारी प्रतीक्षा कर रहा है. बाधाएं, रूकावटें, चुनौतियां, उसको परास्त करके एक दृढ़संकल्प के साथ ये देश चलने के लिए प्रतिबद्ध है. और साथियों, मैं साफ देख रहा हूं, मेरे विचारों में कोई झिझक नहीं है. मेरे सपनों के सामने कोई पर्दा नहीं है. मैं साफ–साफ देख सकता हूं कि ये देश 140 करोड़ देशवासियों के परिश्रम से हमारे पूर्वजों का खून हमारी रगों में है. अगर वो 40 करोड़ लोग आजादी के सपनों को पूर्ण कर सकते हैं तो 140 करोड़ देशवासी समृद्ध भारत के सपने को साकार कर सकते हैं. 140 करोड़ देशवासी विकसित भारत के सपने को साकार कर सकते हैं. और मैंने पहले भी कहा था कि मेरे तीसरे term में देश तीसरी Economy तो बनेगा ही, लेकिन मैं तीन गुना काम करूंगा, तीन गुना तेज गति से काम करूंगा, तीन गुना व्‍यापकता से काम करूंगा, ताकि देश के लिए जो सपने हैं वो बहुत निकट में पूरे हो, मेरा हर पल देश के लिए है, मेरा हर क्षण देश के लिए है, मेरा कण-कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है और इसलिए 24x7 और 2047 इस प्रतिबद्धता के साथ आइये मैं देशवासियों को आह्वान करता हूं, हमारे पूर्वजों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को हम संकल्‍प बनाएं, अपने सपनों को जोड़े, अपने पुरूषार्थ को जोड़े और 21वीं सदी जो भारत की सदी है, उस सदी में स्‍वर्णिम भारत बना करके रहें, उसी सदी में हम विकसित भारत बना करके रहें और उन सपनों को पूरा करते हुए आगे बढ़े और स्‍वतंत्र भारत 75 साल की यात्रा के बाद एक नये मुकाम पर बढ़ रहा है, तब हम कोई कोर-कसर न छोड़े. और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, आपने जो मुझे दायित्‍व दिया है मैं कोई कोर-कसर नहीं छोडूंगा, मैं मेहनत में कभी पीछे नहीं रहूंगा, मैं साहस में कभी कतराता नहीं हूं, मैं चुनौतियों से कभी टकराते डरता नहीं हूं, क्‍यों? क्‍योंकि मैं आपके लिए जीता हूं, मैं आपके भविष्‍य के लिए जीता हूं, मैं भारत माता के उज्ज्वल भविष्‍य के लिए जी रहा हूं और उन सपनों को पूरा करने के लिए आज राष्‍ट्रध्‍वज की छाया में, तिरंगे की छाया में दृढ़ संकल्‍प के साथ हम आगे बढ़े, इसी के साथ मेंरे साथ बोलिए–जय हिंद

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