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This Article is From Mar 08, 2011

जिम्मेदारी के साथ-साथ पीएम ने जवाबदेही भी स्वीकारी

नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) के पद पर पीजे थॉमस की नियुक्ति के मुद्दे पर लोकसभा में दिए अपने बयान में अपनी चूक स्वीकार कर इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को राज्यसभा में भी बयान दिया और कहा कि इस मसले पर जहां तक जवाबदेही की बात है तो जवाबदेही भी उन्हीं की बनती है। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में दिए अपने बयान में कहा, "सीवीसी की नियुक्ति में मुझसे चूक हुई और मैं इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं।" उन्होंने कहा कि सीवीसी के पद पर थॉमस की नियुक्ति से पहले उनके ऊपर लगे आरोपों की उन्हें जानकारी नहीं थी। बकौल प्रधानमंत्री, "सीवीसी के पद पर थॉमस की नियुक्ति से पहले उन्हें उनके खिलाफ दाखिल आरोपपत्र के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्हें इसकी जानकारी लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के माध्यम से उस समय हुई जब उन्होंने उच्चस्तरीय समिति की बैठक में थॉमस पर लगे आरोपपत्र के बारे में जिक्र किया और उनकी नियुक्ति पर आपत्ति उठाई।" मनमोहन सिंह ने कहा, "सीवीसी के पद पर नियुक्त होने से पहले थॉमस केरल में मुख्य सचिव और सरकार में सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे। इससे मुझे महसूस हुआ कि उनसे सम्बंधित सतर्कता से जुड़े पहलुओं पर पहले ही गौर किया गया होगा।" प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सीवीसी की नियुक्ति को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने जो दिशा निर्देश जारी किए हैं, सरकार उनका पालन करेगी। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने थॉमस की नियुक्ति की जवाबदेही को लेकर प्रश्न किए। उन्होंने कहा कि सीवीसी पद पर थॉमस की नियुक्ति के लिए जवाबदेही किसकी बनती है। उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी जानना चाहा कि सीवीसी पद के लिए थॉमस को ही क्यों चुना गया? और उच्चस्तरीय समिति को जब थॉमस पर लगे आरोपों के बारे में पहले से पता था तो उसने सीवीसी पद के लिए चयनित दो और नामों को नजरअंदाज क्यों किया। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी ने जानना चाहा कि छांटे गए उम्मीदवारों की सूची कार्मिक मंत्रालय द्वारा कहां से तैयार की गई थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा ने सदन में मौजूद सदस्य ही नहीं बल्कि पूरा देश यह जानना चाहता है कि इस फैसले के लिए कौन जिम्मेदार है। सदस्यों की आपत्तियों को सुनने के बाद प्रधानमंत्री अपनी सीट से खड़े हुए और उन्होंने कहा, "कार्मिक मामलों के मंत्रालय का प्रभारी होने के नाते मैं जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं और जवाबदेह भी मैं हूं।" उन्होंने कहा, "थॉमस के खिलाफ आरोप पत्र की मुझे जानकारी थी कि नहीं, इसका ईमानदार उत्तर यह है कि मंत्रालय द्वारा जो नोट तैयार किए गए थे, वह कार्मिक मामलों के राज्यमंत्री के निर्देश के तहत तैयार किए जाते हैं। उस नोट में ऐसी जानकारी नहीं थी।"

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