बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग से उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राज्य विधान परिषद की सदस्यता इस आधार पर रद्द करने की मांग की गई है कि उन्होंने अपने खिलाफ लंबित एक आपराधिक मामले से संबंधित जानकारी कथित तौर पर छिपाई. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सोमवार को चुनाव आयोग से चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा. यह जनहित याचिका अधिवक्ता एमएल शर्मा ने दाखिल की है.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने शर्मा से संशोधित याचिका की एक प्रति चुनाव आयोग को देने को कहा था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जदयू नेता के खिलाफ एक आपराधिक मामला चल रहा है जिसमें उन पर कांग्रेस के स्थानीय नेता सीताराम सिंह की हत्या और चार अन्य को घायल करने का आरोप है.
मामला वर्ष 1991 में लोकसभा उप चुनाव का है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि इस मामले में सीबीआई को नीतीश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इससे पहले शीर्ष अदालत ने शर्मा से संशोधित याचिका की एक प्रति चुनाव आयोग को देने को कहा था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जदयू नेता के खिलाफ एक आपराधिक मामला चल रहा है जिसमें उन पर कांग्रेस के स्थानीय नेता सीताराम सिंह की हत्या और चार अन्य को घायल करने का आरोप है.
मामला वर्ष 1991 में लोकसभा उप चुनाव का है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि इस मामले में सीबीआई को नीतीश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए.
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