नई दिल्ली:
बॉम्बे हाईकोर्ट में गुरुवार को दायर एक जनहित याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह बीजेपी भाजपा को आवंटित ‘कमल’ फूल के चिह्न को रद्द कर दे। याचिका में तर्क दिया गया कि यह राष्ट्रीय फूल है और किसी पार्टी के चिह्न के रूप में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
याचिका में आरोप लगाया गया कि भाजपा चुनावी उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय फूल (कमल) का इस्तेमाल कर रही है और इस तरह से प्रतीक और नाम (अनुपयुक्त प्रयोग निवारण) अधिनियम 1950 का उल्लंघन कर रही है।
कार्यकर्ता हेमंत पाटिल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘कमल पवित्र फूल है और प्राचीन भारत की कला और पौराणिक कथाओं इसका अद्वितीय स्थान है और यह भारतीय संस्कृति की पवित्र निशानी है। कमल देवी लक्ष्मी का फूल है और यह समृद्धि, उर्वरता का प्रतीक हैं।’’
याचिका में तर्क दिया गया है, ‘‘कमल शुद्धता, उपलब्धि, लंबे जीवन और अच्छे भाग्य का प्रतीक है और किसी भी दल द्वारा चुनावी उद्देश्य से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’’ याचिकाकर्ता ने कहा कि भाजपा के कमल चिह्न के प्रतीक को रद्द करने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग के समक्ष आग्रह किया था क्योंकि यह राष्ट्रीय फूल है लेकिन इस पर विचार नहीं किया गया और इसलिए उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
याचिका में कहा गया कि भाजपा को 25 वर्ष पहले कमल फूल को चुनाव चिह्न के रूप में चुनाव आयोग ने आवंटित किया था लेकिन तब किसी भी पार्टी या व्यक्ति ने इस पर आपत्ति नहीं की थी जबकि यह प्रतीक और नाम (अनुपयुक्त प्रयोग निवारण) अधिनियम का उल्लंघन था।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
याचिका में आरोप लगाया गया कि भाजपा चुनावी उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय फूल (कमल) का इस्तेमाल कर रही है और इस तरह से प्रतीक और नाम (अनुपयुक्त प्रयोग निवारण) अधिनियम 1950 का उल्लंघन कर रही है।
कार्यकर्ता हेमंत पाटिल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है, ‘‘कमल पवित्र फूल है और प्राचीन भारत की कला और पौराणिक कथाओं इसका अद्वितीय स्थान है और यह भारतीय संस्कृति की पवित्र निशानी है। कमल देवी लक्ष्मी का फूल है और यह समृद्धि, उर्वरता का प्रतीक हैं।’’
याचिका में तर्क दिया गया है, ‘‘कमल शुद्धता, उपलब्धि, लंबे जीवन और अच्छे भाग्य का प्रतीक है और किसी भी दल द्वारा चुनावी उद्देश्य से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’’ याचिकाकर्ता ने कहा कि भाजपा के कमल चिह्न के प्रतीक को रद्द करने के लिए उन्होंने चुनाव आयोग के समक्ष आग्रह किया था क्योंकि यह राष्ट्रीय फूल है लेकिन इस पर विचार नहीं किया गया और इसलिए उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
याचिका में कहा गया कि भाजपा को 25 वर्ष पहले कमल फूल को चुनाव चिह्न के रूप में चुनाव आयोग ने आवंटित किया था लेकिन तब किसी भी पार्टी या व्यक्ति ने इस पर आपत्ति नहीं की थी जबकि यह प्रतीक और नाम (अनुपयुक्त प्रयोग निवारण) अधिनियम का उल्लंघन था।
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