- NIA की जांच में सामने आया कि PFI नेता पड़ोसी देशों से हथियारों की खरीद और फरोख्त की कोशिश में जुटे थे.
- जांच में सामने आया कि PFI फिजिकल फिटनेस के नाम पर युवाओं को मार्शल आर्ट और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देता था.
- जांच में पता चला कि PFI की ओर से युवाओं को भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए भड़काऊ वीडियो दिखाए जाते थे.
पीएफआई यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को लेकर एनआईए की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. जांच में सामने आया है कि पीएफआई नेता पड़ोसी देशों से हथियारों की डील कर रहे थे. दिल्ली में एनआईए की विशेष अदालत में जांच एजेंसी ने यह दलील दी है. साथ ही अदालत को बताया है कि हथियारों की ट्रेनिंग के साथ हथियारों की खरीद फरोख्त की भी कोशिश की गई. एनआईए ने अप्रैल में जयपुर में पीएफआई मॉड्यूल का खुलासा किया था और उस वक्त कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे. अब इस मामले में पीएफआई ने 20 नेताओं पर आरोप लगाए हैं.
एनआईए ने जयपुर के PFI मॉड्यूल में कुछ आरोपियों को पकड़ा था. इनमें से एक मोहम्मद आसिफ के मोबाइल से एक फाइल बरामद हुई थी. इस फाइल में लिखा था "फिजीकल फिटनेस प्रोग्राम-नवजवानों को सेहतमंद रखने के लिए पीएफपी के तहत योग, मार्शल आर्ट, गेम्स, संगीत प्रोग्राम व अखाड़ा प्रोग्राम, इसके अलावा भी कई एनजीओ व संस्थान की ओर से कई तरह के प्रोग्राम किए जाएंगे. साथ ही PFI से जुड़े मेंबर्स को अपने ही शहर में कैम्प चलाने की हिदायत दी गई थी, लेकिन योगशाला और अखाड़ों की आड़ में नौजवानों को हथियार चलाने और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग करवाई जा रही थी.
नौजवानों को भड़काने की थी साजिश
साथ ही एनआईए ने बताया था कि आरोपियों के फोन से कई और फोटो और वीडियो भी बरामद हुए थे, जिसमें पुरुष और महिलाएं एयरगन पकड़े नजर आए थे. इसके अलावा एक और फोटो बरामद हुई थी, जिसमें पुरुषों और महिलाओं को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग दी जा रही थी और बैकग्राउंड में पीएफआई का झंडा और आजादी महोत्सव का पोस्टर भी नजर आ रहा था.
एनआईए जांच में खुलासा हुआ था कि PFI की पाठशाला में नौजवानों को भड़काऊ वीडियो दिखाए जाते थे और भारत को 2047 तक मुस्लिम राष्ट्र बनाने पर जोर दिया जाता था और इसके लिए जान देने तक के लिए लोगों को तैयार किया जाता था.
दो हिस्सों में दी जाती थी फिजिकल ट्रेनिंग
ब्रेनवाश के बाद कैडर को दो हिस्सों में फिजिकल ट्रेनिंग होती थी, जिसमें पहली बेसिक ट्रेनिंग में सदस्यों को मार्शल आर्ट, मुक्केबाजी, एयरगन से शूटिंग आदि सिखाई जाती थी. इसका उद्देश्य शारीरिक रूप से फिट व्यक्तियों की पहचान करना होता था, जो उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरने में सक्षम हो, जिसे उन्नत कुल्हाड़ी॥ भी कहा जाता था.
ट्रेनिंग के दूसरे हिस्से यानी कुल्हाड़ी॥ में तलवार, चाकू या हथियार का उपयोग और व्यक्ति के सिर, छाती, कंधे और अन्य कमजोर हिस्सों पर हमला करने की तकनीक सिखाई जाती थी. इस तरह का प्रशिक्षण देने का उद्देश्य पीएफआई कैडरों को भारत सरकार, हिन्दु संगठनों और अन्य धार्मिक संगठनों के खिलाफ लड़ने के लिए प्रशिक्षित करना था, जिससे 2047 तक भारत में मुस्लिम शासन स्थापित किया जा सके.
राजस्थान की 120 जगहों पर सर्च अभियान
एनआईए की जांच में पीएफआई के सदस्यों के जयपुर, कोटा, सवाई माधोपुर, भीलवाडा, बूंदी समेत 120 स्थानों पर सर्च अभियान चलाया गया था और चाकू, एयरगन, कुल्हाडी, आपत्तिजनक डिजीटल डिवाइस और अन्य दस्तावेजों को जब्त किया गया था और सीएफएसएल नई दिल्ली में सी-डेक तिरुवनंतपुरम डाटा एक्सटेशन एवं रिपोर्ट के लिए भेजा गया था.
इस मामले में चार्जशीट के मुताबिक, PFI ने जयपुर के पंजाब नेशनल बैंक में खोले गए बैंक अकाउंट को भी खंगाला था, जिसमें पता चला कि साल 2011 से 2022 के दौरान 2,98,47,916.99 रूपये जमा हुए, जिसमें से रूपये 2,96,12,429.50 रूपये निकाल गए थे.
चार्जशीट के मुताबिक, यह राशि देश के मुसलमानों से जकरात के नाम पर एकत्रित किए गए थे और जिन्हें बाद में हथियारों की खरीद, हथियारों के ट्रेनिंग कैम्प चलाने और चुनिंदा लोगों को टारगेट करने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
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