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लोग किसी को कुछ भी कह देते हैं... अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कार्टूनिस्ट सोशल मीडिया पर कोई और आपत्तिजनक पोस्ट डालता है, तो राज्य उसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. लोग किसी को भी कुछ भी कह देते हैं. हमें इस बारे में कुछ तो करना होगा.

लोग किसी को कुछ भी कह देते हैं... अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
अगर कार्टूनिस्ट सोशल मीडिया पर कोई और आपत्तिजनक पोस्ट डालता है...
  • सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट के मामले में संरक्षण प्रदान किया है, लेकिन भविष्य में कार्रवाई की अनुमति दी है.
  • मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मालवीय को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया था, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
  • शिकायतकर्ता आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी ने मालवीय पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया था.
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नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री और आरएसएस कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून ऑनलाइन साझा करने के आरोपी कार्टूनिस्ट को सुप्रीम कोर्ट का संरक्षण मिला है. कोर्ट ने कार्टूनिस्ट को संरक्षण प्रदान करते हुए कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट आपत्तिजनक, सभी तरह के दंडनीय प्रावधान लागू हो सकते हैं. अगर कार्टूनिस्ट सोशल मीडिया पर कोई और आपत्तिजनक पोस्ट डालता है, तो राज्य उसके खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है. लोग किसी को भी कुछ भी कह देते हैं. हमें इस बारे में कुछ तो करना होगा.

कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने तीन जुलाई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी. वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी द्वारा दायर एक शिकायत पर मई में इंदौर के लसूड़िया थाने में मालवीय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. जोशी ने आरोप लगाया कि मालवीय ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा. 

मालवीय की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने 14 जुलाई को कोविड-19 महामारी के दौरान 2021 में बनाए गए एक कार्टून से संबंधित मामले पर दलील पेश कीं. उन्होंने कहा, 'यह अरुचिकर हो सकता है. मैं कहना चाहूंगी कि यह अशोभनीय है. मैं यह भी कहने को तैयार हूं, लेकिन क्या यह अपराध है? माननीय न्यायाधीश ने कहा है, यह आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है. मैं सिर्फ कानून की बात कर रही हूं. मैं किसी भी चीज़ को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं.'

ग्रोवर ने कथित आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने पर सहमति जताई. न्यायमूर्ति धूलिया ने तब कहा, 'हम इस मामले में चाहे जो भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है.' मध्य प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि ऐसी ‘चीजें' बार-बार की जाती हैं. जब ग्रोवर ने कहा कि कुछ परिपक्वता होनी चाहिए, तो नटराज ने कहा, ‘यह केवल परिपक्वता का सवाल नहीं है। यह इससे कहीं अधिक है.'

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299 और 352 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए के तहत मामला दर्ज किया था.

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