नई दिल्ली/मुजफ्फरनगर/लखनऊ:
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार को उत्तर प्रदेश के हिंसा प्रभावित मुजफ्फरनगर जिले का दौरा करेंगे। हिंसा शांत होते देख शनिवार को वहां कर्फ्यू में ढील दी गई। शहरी इलाके में शांति बहाल हो चुकी है, लेकिन जिले के ग्रामीण इलाकों में तनाव अभी भी बरकरार है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया, "प्रधानमंत्री 16 सितंबर को मुजफ्फरनगर के दौरे पर जाएंगे।" अधिकारी ने आगे बताया कि दौरे का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में तीन दिनों तक चली हिंसा में 47 लोग मारे गए, जबकि 43,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं। मुजफ्फरनगर में 27 अगस्त को एक युवती के साथ हुई छेड़खानी की घटना को लेकर पिछले सप्ताह हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा में लोगों की जान जाने पर प्रधानमंत्री ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने हर मृतक के आश्रितों को 2,00000 रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।
मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में हिंसा भड़कने के पीछे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर आरोप लगाया है।
शनिवार को मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार पांचवें दिन शांति रही। शहरी इलाकों में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी जा रही है।
गावों में अमन-चैन की बहाली के लिए सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाकर ग्रामीणों के बीच सुरक्षा का माहौल तैयार किया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर के शहरी इलाके में शुक्रवार को कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी गई थी और इस दौरान हिंसा की नई घटना सामने नहीं आई। सुबह सात बजे से शाम सात बजे के बीच यह ढील शनिवार को भी जारी रहेगी।
मुजफ्फरनगर और शामली जिले में बनाए गए 30 से अधिक राहत शिविरों में करीब 40 हजार लोगों ने शरण ली है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण इलाकों से आए इन लोगों को पुन: घर वापस भेजना है। लोग अभी भी दहशत के साए में जी रहे हैं और घर लौटने को तैयार नहीं हैं।
प्रशासन की ओर से हालांकि राहत शिविरों में दवाइयां, खाने के पैकेट और दूध जैसी जरूरी चीजों के इंतजाम करवाए जा रहे हैं। प्रभावितों की संख्या बढ़ने की वजह से प्रशासन को टेंट लगवाने पड़े हैं।
विशेष कार्यबल के महानिदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि मुफ्फरनगर में स्थिति तेजी शांतिपूर्ण हो रही है।
जिले के ग्रामीण इलाकों में दोबारा हिंसा न भड़के इसके लिए करीब 500 अति संवेदनशील गांवों की पहचान की गई है और उन गावों में 500 से अधिक पुलिस चौकियां स्थापित की गई हैं और मोबाइल वैन तैनात किए गए हैं।
अभी तक 11000 लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया जा चुका है, जबकि 187 को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से 11 के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।
मुजफ्फरनगर की हिंसा के कारण उत्तर प्रदेश के अकोला कस्बे में रविवार को होने वाली लालकृष्ण आडवाणी की सभा 29 सितंबर तक टाल दी गई है।
आगरा के संभागायुक्त प्रदीप भटनागर और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं और स्थानीय सांसद राम शंकर कटारिया के साथ बातचीत की।
अधिकारी आगरा से 18 किलोमीटर दूर अकोला में 29 सितंबर को सभा आयोजन की अनुमति देने पर सहमत हुए।
उधर, उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने राज्य पुलिस को राज्य में तनाव पैदा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया, "प्रधानमंत्री 16 सितंबर को मुजफ्फरनगर के दौरे पर जाएंगे।" अधिकारी ने आगे बताया कि दौरे का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में तीन दिनों तक चली हिंसा में 47 लोग मारे गए, जबकि 43,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं। मुजफ्फरनगर में 27 अगस्त को एक युवती के साथ हुई छेड़खानी की घटना को लेकर पिछले सप्ताह हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा में लोगों की जान जाने पर प्रधानमंत्री ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने हर मृतक के आश्रितों को 2,00000 रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।
मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में हिंसा भड़कने के पीछे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने प्रतिद्वंद्वी पार्टियों पर आरोप लगाया है।
शनिवार को मुजफ्फरनगर और आसपास के क्षेत्रों में लगातार पांचवें दिन शांति रही। शहरी इलाकों में सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी जा रही है।
गावों में अमन-चैन की बहाली के लिए सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाकर ग्रामीणों के बीच सुरक्षा का माहौल तैयार किया जा रहा है।
मुजफ्फरनगर के शहरी इलाके में शुक्रवार को कर्फ्यू में 12 घंटे की ढील दी गई थी और इस दौरान हिंसा की नई घटना सामने नहीं आई। सुबह सात बजे से शाम सात बजे के बीच यह ढील शनिवार को भी जारी रहेगी।
मुजफ्फरनगर और शामली जिले में बनाए गए 30 से अधिक राहत शिविरों में करीब 40 हजार लोगों ने शरण ली है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण इलाकों से आए इन लोगों को पुन: घर वापस भेजना है। लोग अभी भी दहशत के साए में जी रहे हैं और घर लौटने को तैयार नहीं हैं।
प्रशासन की ओर से हालांकि राहत शिविरों में दवाइयां, खाने के पैकेट और दूध जैसी जरूरी चीजों के इंतजाम करवाए जा रहे हैं। प्रभावितों की संख्या बढ़ने की वजह से प्रशासन को टेंट लगवाने पड़े हैं।
विशेष कार्यबल के महानिदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि मुफ्फरनगर में स्थिति तेजी शांतिपूर्ण हो रही है।
जिले के ग्रामीण इलाकों में दोबारा हिंसा न भड़के इसके लिए करीब 500 अति संवेदनशील गांवों की पहचान की गई है और उन गावों में 500 से अधिक पुलिस चौकियां स्थापित की गई हैं और मोबाइल वैन तैनात किए गए हैं।
अभी तक 11000 लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया जा चुका है, जबकि 187 को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से 11 के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।
मुजफ्फरनगर की हिंसा के कारण उत्तर प्रदेश के अकोला कस्बे में रविवार को होने वाली लालकृष्ण आडवाणी की सभा 29 सितंबर तक टाल दी गई है।
आगरा के संभागायुक्त प्रदीप भटनागर और जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं और स्थानीय सांसद राम शंकर कटारिया के साथ बातचीत की।
अधिकारी आगरा से 18 किलोमीटर दूर अकोला में 29 सितंबर को सभा आयोजन की अनुमति देने पर सहमत हुए।
उधर, उत्तर प्रदेश से सटे बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने राज्य पुलिस को राज्य में तनाव पैदा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है।
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