जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों के वित्त पोषण संबंधी मामले में गिरफ्तार जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक को लेकर कांग्रेस नेता की ओर से एक बड़ा बयान आया है. कांग्रेस नेता पीसी चाको ने भोपाल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर हमला बोलने के क्रम में यासिन मलिक की तारीफ की है और कहा कि यासिन मलिक ने जो साहस दिखाया है, उसकी तारीख की जानी चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह यासिन मलिक के विचारों और कार्यों का समर्थन नहीं करते हैं.
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दरअसल, दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने कहा कि अगर आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर चुनाव लड़ सकती हैं और अलगाववाद के नाम पर दिल्ली यासिन मलिक को गन प्वाइंट पर सरेंडर करने को कह रही है. ऐसे में कोई भी अपने आत्मसम्मान के लिए रिएक्ट करेगा जैसा कि यासिन मलिक ने किया. उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, हम यासिन मलिक की विचारधारा और कार्यों का समर्थन नहीं करते हैं, मगर जिस तरह का साहस उसने दिखाया है, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए. क्योंकि नई दिल्ली किसी को धमका नहीं सकती. भारत एक लोकतंत्र है.
PC Chacko, Congress: Even though we do not support Yasin Malik's ideology or actions, the courage he has shown is something which should be appreciated because New Delhi cannot threaten anybody, India is a democracy. https://t.co/nX57V7VPlZ
— ANI (@ANI) April 27, 2019
बता दें कि वायुसेना के एक कर्मी की गोली मार कर हत्या करने और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के करीब 30 साल पुराने मामलों में बृहस्पतिवार को जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक के खिलाफ मुकदमे का मार्ग प्रशस्त हो गया. दरअसल, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने वर्ष 2008 के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत सुनवाई श्रीनगर स्थानांतरित की गई थी.
न्यायमूर्ति संजय कुमार गुप्ता ने 27 पृष्ठों के अपने फैसले में उच्च न्यायालय की एकल पीठ के उस आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसने 1995 में मलिक के खिलाफ मुकदमे को स्थगित करने के अलावा यह भी कहा था कि 25 अक्टूबर 2008 का जम्मू की विशेष टाडा अदालत का आदेश सही नहीं था.
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दरअसल, टाडा अदालत ने मुकदमे को श्रीनगर स्थानांतरित करने की मलिक की याचिका स्वीकार की थी. मलिक फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में है. उसे एनआईए ने आतंकवाद और अलगाववादी संगठनों को धन मुहैया करने से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया है. मलिक के खिलाफ इन दोनों मामलों में एक मामला श्रीनगर शहर के बाहरी इलाके में 25 जनवरी 1990 को वायुसेना के एक अधिकारी की हत्या करने का है. वहीं, दूसरा मामला 1989 में सईद की बेटी रूबिया के अपहरण से संबद्ध है. सीबीआई ने इस सिलसिले में अगस्त और सितंबर 1990 में दो आरोपपत्र दाखिल किए थे.
बता दें कि दिल्ली की एक अदालत ने जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकी समूहों के वित्त पोषण संबंधी एक मामले में गिरफ्तार किए गए जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक को बुधवार को 24 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश स्याल ने, सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण वीडियो कॉन्फ्रेन्स के जरिए मलिक को पेश करने की मांग कर रही तिहाड़ जेल प्रशासन की एक याचिका पर भी बचाव पक्ष के वकील से जवाब मांगा.
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अदालत ने मलिक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में भेज दिया. कश्मीर की एक अदालत से एनआईए को मलिक के ट्रांजिट रिमांड की मंजूरी मिलने के बाद उन्हें राष्ट्रीय राजधानी लाया गया था. जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने सीबीआई की एक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. याचिका में सीबीआई ने तीन दशक पुराने उन मामलों को फिर से खोलने की अपील की है जिनमें मलिक आरोपी है.
जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख पर 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद को अगवा करने तथा 1990 में भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों को मार डालने के मामले में कथित संलिप्तता का आरोप है. जेकेएलएफ पर गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया गया है.
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