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This Article is From Jun 24, 2014

तीन छात्रों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या : तत्कालीन थाना अध्यक्ष को फांसी, सात अन्य को उम्रकैद

पटना:

पटना जिले की एक अदालत ने 12 वर्ष पूर्व फर्जी मुठभेड़ में तीन छात्रों की हत्या मामले में शास्त्रीनगर थाने के तत्कालीन प्रभारी शम्शे आलम को फांसी तथा एक आरक्षी अरुण कुमार सिंह सहित सात अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

त्वरित अदालत (प्रथम) के न्यायाधीश रविशंकर सिन्हा ने 28 दिसंबर 2002 को शास्त्रीनगर थाना अंतर्गत आशियानानगर इलाके में एक बाजार में फर्जी मुठभेड़ में तीन छात्रों विकास रंजन, प्रशांत सिंह और हिमांशु शेखर की हत्या के मामले में शम्शे आलम को फांसी और अरुण कुमार सिंह को ताउम्र आजीवन कारावास तथा कमलेश कुमार गौतम, राजू रंजन, सोनी रजक, कुमोद कुमार, राकेश कुमार मिश्रा और अनिल को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

इन लोगों पर एक एसटीडी बिल की राशि के भुगतान को लेकर टेलीफोन बूथ आपरेटर और इन छात्रों के बीच हुई झडप के दौरान उक्त मार्केट के अन्य दुकानदारों के साथ मिलकर उनकी बुरी तरह से पिटाई करने का आरोप था।

इस घटना के बारे में जानकारी मिलने पर आरक्षी अरुण कुमार सिंह के साथ घटनास्थल पहुंचे आलम ने इन छात्रों के सिर में गोली मारने के बाद उन्हें डकैत के रुप में पेश किया।

इस मामले के सूचक मृत छात्रों में से एक विकास रंजन के भाई मुकेश रंजन थे और इस मामले की जांच का जिम्मा अपराध अनुसंधान विभाग को दिये जाने के बाद उसे सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया। इस मामले में कुल 33 लोगों ने गवाही दी।

इस मामले में शम्शे आलम वर्ष 2003 से जेल में बंद हैं जबकि बाकी अन्य सात अभियुक्तों को अदालत द्वारा गत 5 जून को दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। सजा सुनाए जाने के समय सभी अभियुक्त अदालत में मौजूद थे।

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पटना फर्जी एनकाउंटर मामला, थानेदार को फांसी, Patna Fake Encounter, SHO Gets Death Sentence