आनंदी बेन पटेल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं आनंदी बेन पटेल की बतौर सीएम पारी दो वर्ष से कुछ अधिक समय की रही. पेशे से शिक्षक आनंदी बेन ने मई 2014 में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। राज्य में नरेंद्र मोदी की उत्तराधिकारी के रूप में आनंदी बेन ने शुरुआत तो अच्छी की, लेकिन अपने जल्द ही 'रिदम' खो बैठीं. पाटीदार आंदोलन के चलते बीजेपी को सियासी तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ा. आरोप यह भी लगे कि आनंदी बेन इस मसले को अच्छे तरीके से 'हेंडल' नहीं कर पाईं और बीजेपी के खालिस वोट बैंक माने जाने वाले पटेल (पाटीदार) पार्टी से 'छिटकने' लगे. इस दरकते जनाधार का असर गुजरात के निकाय चुनाव के दौरान साफ तौर पर दिखा. शहरों में तो बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन गांवों में कांग्रेस ने उसे बराबरी की टक्कर दी.
पटेल आंदोलन का मुद्दे की आग अभी ठंडी नहीं हो पाई थी कि 'गो रक्षा' के नाम पर दलित उत्पीड़न का मुद्दा गरमा गया. इस मुद्दे की गूंज संसद तक सुनाई दी और विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ आक्रामक होने का अवसर मिल गया. इस मुद्दे को सही तरीके से न सुलझा पाने में कथित नाकामी आनंदी बेन को भारी पड़ी. गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी के लिए 75+ का फार्मूला वरदान बना. यह फार्मूला आनंदी बेन को सीएम पद से हटाने के लिए बीजेपी का 'आधार' बना। आनंदी बेन ने कहा कि उन्होंने करीब दो माह पहले भी इस्तीफे की पेशकश की थी. मुख्यमंत्री पद के लिए आनंदी बेन का उत्तराधिकारी कौन होगा, यह अगले कुछ दिनों में तय हो जाएगा लेकिन दावेदारी की दौड़ में फिलहाल नितिन पटेल का नाम सबसे ऊपर है. इस बीच, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि आगामी 21 नवंबर को 75 वर्ष की आयु पूरी करने जा रही आनंदीबेन के स्थान पर किसी दूसरे नेता को नियुक्त करने के बारे में अंतिम फैसला पार्टी संसदीय दल ही करेगा.
आनंदीबेन पटेल का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले में, 21 नवम्बर 1941 को हुआ था. उनके पिता गांधीवादी नेता थे. विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट आनंदी बेन ने एमएड करने के बाद अध्यापन शुरू किया. उनकी छवि एक अनुशासनप्रिय अध्यापक की रही. उन्हें वर्ष 1987 में वीरता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए वे खुद झील में कूद गई थीं. वर्ष 1988 में आनंदीबेन बीजेपी में शामिल हुईं और जल्द ही नरेंद्र मोदी का विश्वास हासिल करने में सफल रहीं. सीएम बनने से पहले वे राज्य मे शिक्षा और महिला-बाल कल्याण जैसे मंत्रालय संभाल चुकी हैं.
गुजरात में नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मंत्री के तौर पर जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके इसके सौदों में होने वाली धांधली रोकने के काम को उन्होंने बखूबी अंजाम दिया. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत और नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. दुर्भाग्य से इस पद के लिए की गई अपेक्षाओं पर आनंदी बेन पूरी तरह खरी नहीं उतर पाईं और आलोचकों को मुखर होने का मौका मिल गया. गुजरात में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले आनंदी बेन को 'विदा' करके बीजेपी ने 'डेमेज कंट्रोल' की कोशिश की है. यह कोशिश कितनी सफल होगी, आने वाला वक्त ही बताएगा.....
पटेल आंदोलन का मुद्दे की आग अभी ठंडी नहीं हो पाई थी कि 'गो रक्षा' के नाम पर दलित उत्पीड़न का मुद्दा गरमा गया. इस मुद्दे की गूंज संसद तक सुनाई दी और विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ आक्रामक होने का अवसर मिल गया. इस मुद्दे को सही तरीके से न सुलझा पाने में कथित नाकामी आनंदी बेन को भारी पड़ी. गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी के लिए 75+ का फार्मूला वरदान बना. यह फार्मूला आनंदी बेन को सीएम पद से हटाने के लिए बीजेपी का 'आधार' बना। आनंदी बेन ने कहा कि उन्होंने करीब दो माह पहले भी इस्तीफे की पेशकश की थी. मुख्यमंत्री पद के लिए आनंदी बेन का उत्तराधिकारी कौन होगा, यह अगले कुछ दिनों में तय हो जाएगा लेकिन दावेदारी की दौड़ में फिलहाल नितिन पटेल का नाम सबसे ऊपर है. इस बीच, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि आगामी 21 नवंबर को 75 वर्ष की आयु पूरी करने जा रही आनंदीबेन के स्थान पर किसी दूसरे नेता को नियुक्त करने के बारे में अंतिम फैसला पार्टी संसदीय दल ही करेगा.
आनंदीबेन पटेल का जन्म गुजरात के मेहसाणा जिले में, 21 नवम्बर 1941 को हुआ था. उनके पिता गांधीवादी नेता थे. विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट आनंदी बेन ने एमएड करने के बाद अध्यापन शुरू किया. उनकी छवि एक अनुशासनप्रिय अध्यापक की रही. उन्हें वर्ष 1987 में वीरता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है. एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए वे खुद झील में कूद गई थीं. वर्ष 1988 में आनंदीबेन बीजेपी में शामिल हुईं और जल्द ही नरेंद्र मोदी का विश्वास हासिल करने में सफल रहीं. सीएम बनने से पहले वे राज्य मे शिक्षा और महिला-बाल कल्याण जैसे मंत्रालय संभाल चुकी हैं.
गुजरात में नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मंत्री के तौर पर जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके इसके सौदों में होने वाली धांधली रोकने के काम को उन्होंने बखूबी अंजाम दिया. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत और नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. दुर्भाग्य से इस पद के लिए की गई अपेक्षाओं पर आनंदी बेन पूरी तरह खरी नहीं उतर पाईं और आलोचकों को मुखर होने का मौका मिल गया. गुजरात में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले आनंदी बेन को 'विदा' करके बीजेपी ने 'डेमेज कंट्रोल' की कोशिश की है. यह कोशिश कितनी सफल होगी, आने वाला वक्त ही बताएगा.....
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