कांग्रेस सदस्य कुमारी सैलजा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राज्यसभा में बुधवार को कांग्रेस सदस्य कुमारी सैलजा के उस दावे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी हुई, जिसमें उन्होंने कहा है कि गुजरात के एक मंदिर में उनके साथ जातीय आधार पर भेदभाव किया गया था। इस मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्यों की तू-तू, मैं-मैं के कारण लंच ब्रेक से पहले सदन की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी।
राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने बुधवार सुबह संविधान पर चर्चा के दौरान सैलजा के उस दावे का जिक्र किया, जिसके मुताबिक गुजरात के एक मंदिर में उनसे उनकी जाति पूछी गई थी। जेटली ने कहा कि सैलजा ने अपने दावे में जो कुछ भी कहा है, वह मंदिर की आगंतुक पुस्तिका में लिखी उनकी बातों से मेल नहीं खाता, जिसमें उन्होंने मंदिर की प्रशंसा की है। इस पर सैलजा ने कहा कि उन्होंने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट कर दिया है कि मुख्य मंदिर में ऐसा नहीं था, जहां उनसे उनकी जाति पूछी गई।
नकवी ने सैलजा पर लगाया सदन को गुमराह करने का आरोप
उन्होंने कहा, "मैंने इसे स्पष्ट कर दिया है कि यह मुख्य द्वारका मंदिर नहीं था। सदन के नेता को इस तरह की बे-अदबी नहीं दिखानी चाहिए। द्वारका मंदिर में पुजारी बहुत अच्छे थे।" कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने भी सैलजा का समर्थन किया, जबकि सत्तापक्ष के सदस्यों ने गलत टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "यह कृत्रिम भेदभाव है।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सैलजा पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "आपने सदन को गुमराह किया है। यदि आपने इसे गढ़ा है तो आपको माफी मांगनी चाहिए।"
दूसरी ओर प्रदर्शनकारी कांग्रेस सदस्य सभापति की आसंदी के करीब पहुंच गए, जिसके कारण उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी। बाद में भी हंगामा जारी रहा, जिसे देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए और फिर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। गौरलतब है कि सैलजा ने बीआर अम्बेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में सोमवार को संविधान पर चर्चा के दौरान कहा था कि उन्हें गुजरात में द्वारका के एक मंदिर में जाने से रोक दिया गया था।
राज्यसभा में सदन के नेता अरुण जेटली ने बुधवार सुबह संविधान पर चर्चा के दौरान सैलजा के उस दावे का जिक्र किया, जिसके मुताबिक गुजरात के एक मंदिर में उनसे उनकी जाति पूछी गई थी। जेटली ने कहा कि सैलजा ने अपने दावे में जो कुछ भी कहा है, वह मंदिर की आगंतुक पुस्तिका में लिखी उनकी बातों से मेल नहीं खाता, जिसमें उन्होंने मंदिर की प्रशंसा की है। इस पर सैलजा ने कहा कि उन्होंने अपनी टिप्पणी में स्पष्ट कर दिया है कि मुख्य मंदिर में ऐसा नहीं था, जहां उनसे उनकी जाति पूछी गई।
नकवी ने सैलजा पर लगाया सदन को गुमराह करने का आरोप
उन्होंने कहा, "मैंने इसे स्पष्ट कर दिया है कि यह मुख्य द्वारका मंदिर नहीं था। सदन के नेता को इस तरह की बे-अदबी नहीं दिखानी चाहिए। द्वारका मंदिर में पुजारी बहुत अच्छे थे।" कांग्रेस के अन्य सदस्यों ने भी सैलजा का समर्थन किया, जबकि सत्तापक्ष के सदस्यों ने गलत टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "यह कृत्रिम भेदभाव है।"केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सैलजा पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "आपने सदन को गुमराह किया है। यदि आपने इसे गढ़ा है तो आपको माफी मांगनी चाहिए।"
दूसरी ओर प्रदर्शनकारी कांग्रेस सदस्य सभापति की आसंदी के करीब पहुंच गए, जिसके कारण उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी। बाद में भी हंगामा जारी रहा, जिसे देखते हुए सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए और फिर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। गौरलतब है कि सैलजा ने बीआर अम्बेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में सोमवार को संविधान पर चर्चा के दौरान कहा था कि उन्हें गुजरात में द्वारका के एक मंदिर में जाने से रोक दिया गया था।
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