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This Article is From Sep 08, 2021

हुर्रियत के नए चेयरमैन की नियुक्ति में पाकिस्‍तान का है अहम रोल : सूत्र

मसरत आलम को सैयद अली शाह गिलानी से भी कहीं ज्‍यादा कट्टरपंथी माना जाता है. वह वर्ष 2015 से दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में है और गिलानी के अहम सहयोगियों में रहा है. 

हुर्रियत के नए चेयरमैन की नियुक्ति में पाकिस्‍तान का है अहम रोल : सूत्र
मसरत आलम भट को गिलानी के अहम सहयोगियों में शुमार किया जाता रहा है
नई दिल्‍ली:

अफगानिस्‍तान पर तालिबान के 'कब्‍जे' के बाद पाकिस्‍तान कश्‍मीर में बड़े स्‍तर पर दखल देने की तैयारी में है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. पाकिस्‍तान के समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के एक सप्‍ताह बाद उनके साथी मशरत आलम भट को आल इंडिया हुर्रियत कॉन्‍फ्रेंस का चेयरमैन बनाया गया है. मसरल  इस समय जेल में हैं.  सूत्रों के अनुसार, मसरत आलम को सैयद अली शाह गिलानी से भी कहीं ज्‍यादा कट्टरपंथी माना जाता है. वह वर्ष 2015 से दिल्‍ली के तिहाड़ जेल में है और गिलानी के अहम सहयोगियों में रहा है. 

एक वरिष्‍ठ पुलिस अफसर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'वह (मसरत) पाकिस्‍तान समर्थक कट्टरपंथी है और हुर्रियत में नजर आने वाले चुनिंदा विश्‍वसनीय चेहरों में से है. यह स्‍पष्‍ट है कि पाकिस्‍तान ने अब अपना एजेंडा चलाना शुरू कर दिया है.' अधिकारियों/प्रशासन को आशंका है कि मसरत के पास हुर्रियत की जिम्‍मेदारी आने के बाद अब आने वाले दिनों में कश्‍मीर घाटी में प्रदर्शन बढ़ सकते हैं. इस पुलिस अधिकारी ने कहा, 'पिछले एक सप्‍ताह में ही हुर्रियत ने कई प्रदर्शन किए हैं. शुक्रवार के आसपास ऐसे प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर हमने इंतजाम किए हैं.'  हालांकि जम्‍मू-कश्‍मीर पुलिस ने कहा है कि गिलानी को सुपुर्दे खाक किए जाने के बाद की स्थिति को उसने नियंत्रित कर लिया है लेकिन आशंका है कि कुछ कट्टरपंथी तत्‍व आने वाले दिनों में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं.

कश्‍मीर के हालात पर निगाह जमाए एक अन्‍य अधिकारी ने NDTV को बताया, 'भले ही उनके मुखौटे (mascot) जेल की सलाखों के पीछे हैं लेकिन अफगानिस्‍तान मुद्दा उनके लिए हौसला बढ़ाने का काम करेगा. ' पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि मसरत वर्ष 1996 में अलगाववादी सियासत से जुड़ने के पहले आतंकी था. वह पाकिस्‍तान समर्थित आतंकी संगठन का कमांडर था.  गिरफ्तारी के बाद जेल पहुंचने पर उसने मुस्लिम अलगावादी संगठन  ज्‍वाइन किया और ऊंचाई हासिल करते करते पार्टी प्रमुख बन गया.वर्ष 2003 में जब हुर्रियत का नरमपंथी  और कट्टरपंथी धड़े में विभाजन हुआ जब मसरत, गिलानी की अगुवाई वाले धड़े से जुड़ गया था. कई नेताओं के गिरफ्तार होने के बाद उसे हुर्रियत का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया था. 

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