- लाल किले ब्लास्ट मामले में पाकिस्तानी आतंकी संगठन का हाथ होने की पुष्टि एक नए प्रपोगैंडा वीडियो से हुई है.
- यह वीडियो एजेंसियों ने मंगलवार रात डार्क वेब चैनल से रिकवर किया है जो पाकिस्तान स्थित संगठन द्वारा संचालित है.
- वीडियो में उस्ताद फरहतुल्लाह गौरी के स्वर की पहचान हुई है और असल में शाहिद फैसल ही है.
10 नवंबर को हुए दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. अब इस पूरे मामले में एक नया चौंकाने प्रपोगैंडा वीडियो NDTV के हाथ लगा है. इस वीडियो को भारतीय एजेंसियों ने मंगलवार रात रिकवर किया है. यह वीडियो इस बात की पुष्टि कर देता है कि दिल्ली में हुए ब्लास्ट के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. यह नया वीडियो डार्क वेब चैनल से रिकवर किया गया है. जो नया वीडियो एजेंसियों के हाथ लगा है, उसे भारतीय इंटेलीजेंस एजेंसियों मंगलवार रात रिकवर किया और यह जिस चैनल से रिकवर किया गया है वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन की तरफ संचालित किया जाता है.
लगातार हमलों की धमकी
वीडियो में जिस आवाज की पहचान हुई है वह 41 साल के उस्ताद फरहतुल्लाह गौरी की है. एजेंसियों का मानना है कि वह असल में शाहिद फैसल है. शाहिद फैसल बेंगलुरु के मशहूर रामेश्वरम कैफे में हुए ब्लास्ट को अंजाम देने वाले मॉड्यूल का ऑपरेटर है. वह साल 2012 में सऊदी अरब भाग गया था और अब पाकिस्तान से अपनी गतिविधियां चला रहा है. और उस पर 10 लाख रुपये का इनाम है. जो प्रपोगैंडा वीडियो एनडीटीवी के हाथ लगी है, उसमें गुजरात, कश्मीर, असम और भागलपुर का बदला लेने के लिए 'मुजाहिदीन' की तरफ से लगातार हमले जारी रखने की धमकी दी गई है. साथ ही चेतावनी दी गई है, 'जवाब दुश्मन की समझ में आने वाली भाषा में दिया जाएगा.'
कोर्ट में पेश हुआ दानिश
इससे अलग राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार को कार ब्लास्ट मामले में आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी के 'सक्रिय सह-साजिशकर्ता' जसीर बिलाल को दिल्ली की एक कोर्ट में पेश किया. इस विस्फोट में 15 लोगों की जान चली गई थी. एजेंसी ने एक बयान में बताया कि अनंतनाग के काजीगुंड निवासी वानी को सोमवार को श्रीनगर में ड्रोन में बदलाव करके और बम विस्फोट से पहले रॉकेट बनाने की कोशिश करके आतंकी हमले करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वानी को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना की अदालत में पेश किया गया.
बिलाल को 10 दिनों की हिरासत
कोर्ट ने बिलाल को 10 दिनों की एनआईए कस्टडी में भेज दिया. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना ने आरोपियों से हिरासत में पूछताछ की एनआईए की याचिका स्वीकार कर ली. मीडिया को कोर्ट में दाखिल होने की इजाजत नहीं थी और कार्यवाही करीब 'बंद कमरे में' ही चल पाई. कोर्ट में पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स की भारी तैनाती की गई थी. साथ ही दंगा-रोधी उपकरणों से लैस कई पुलिसकर्मी तैनात थे. एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि आमिर ने एक सुरक्षित ठिकाने की व्यवस्था की और नबी को लॉजिस्टिक्स मुहैया कराए थे.
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