Tahawwur Rana Extradition: तहव्वुर राणा भारत आ रहा है और पाकिस्तान की धड़कनें बढ़ी हुईं हैं. इस बीच कहा जा रहा है कि तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल में रखा जा सकता है. इस बीच पीटीआई ने दावा किया है कि दिल्ली की एक अदालत को 26/11 के मुंबई हमलों के रिकॉर्ड मिल गए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने पाक मीडिया से बात करते हुए कहा, 'राणा पिछले दो दशकों से पाकिस्तानी दस्तावेज़ों का नवीनीकरण नहीं कराया है. उसकी नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट है और वह कनाडाई नागरिक है.'
VIDEO में सुनें क्या कहा
He is a Canadian national, he has not renewed his Pakistani documents, says Pakistan foreign ministry on Tahawwur Rana https://t.co/nu2c1AHVwe pic.twitter.com/rCSzT7piH4
— Sidhant Sibal (@sidhant) April 10, 2025
इस बात से साफ है कि पाकिस्तान तहव्वुर राणा के मामले में भी लीपापोती करने को तैयार है. मगर उसे इस बात का भी पता है कि तहव्वुर राणा कई ऐसे राज खोल सकता है, जिससे उसकी दुनिया भर में किरकिरी होगी. कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए इस बार कसाब की तरह तहव्वुर राणा को लेकर साफ झूठ बोलना भारी पड़ने वाला है.
कौन है तहव्वुर हुसैन राणा ?
तहव्वुर हुसैन राणा अभी 64 साल का है. उसका जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले के चिचावतनी शहर में हुआ था. पाकिस्तान में चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद उसने पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में काम किया. 1990 के दशक के अंत में राणा पाकिस्तानी सेना छोड़कर कनाडा चला गया और बाद में उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई. 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का वो करीबी सहयोगी है.
हेडली के संपर्क में कैसे आया राणा ?
सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि हेडली और राणा बचपन के दोस्त हैं. हेडली के जन्म के कुछ समय बाद हेडली का परिवार पाकिस्तान चला गया. यहां अटक जिले के हसन अब्दल शहर के एक स्कूल में उसकी पढ़ाई हुई. वहीं हेडली की राणा से दोस्ती हुई.
2008 मुंबई हमले में राणा की भूमिका है ?
एनआईए ने 11 नवंबर, 2009 को हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, और आतंकवाद रोधी सार्क संधि अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. शिकागो, इलिनोइस निवासी हेडली और राणा ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के सदस्यों के साथ मिलकर नयी दिल्ली और भारत के अन्य स्थानों पर आतंकवादी हमले की आपराधिक साजिश रची थी. साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे. इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. नवंबर 2012 में, पाकिस्तानी समूह के एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी. जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि राणा ने हेडली को भारत के लिए वीजा दिलाने में मदद की थी. आरोप है कि राणा को हेडली के आतंकी संबंधों की जानकारी थी और उसने मुंबई में लक्ष्यों की टोह लेने तथा नयी दिल्ली में ‘नेशनल डिफेंस कॉलेज' और मुंबई में चबाड हाउस पर हमलों की साजिश रचने में भी मदद की थी. अधिकारियों ने बताया कि हेडली जून 2006 में अमेरिका गया था और राणा से मिला था.
राणा के प्रत्यर्पण के बाद आगे क्या होगा ?
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि 26/11 हमलों के पीछे पाकिस्तानी सरकारी तत्वों की भूमिका का पता लगाने के लिए राणा को आगे की पूछताछ की खातिर उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद एनआईए की हिरासत में रखा जा सकता है. उससे पूछताछ से जांच में कुछ नया खुलासा हो सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि अधिकारी उसे तिहाड़ जेल की अत्यधिक सुरक्षित कोठरी में रखने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं. जाहिर है, राणा जब राज खोलेगा तो पाकिस्तान फंसेगा ही.
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