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Pahalgam Terror Tttack: क्यों याद आ रहा है छत्तीससिंहपुरा नरसंहार, क्या है दोनों में समानता

पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों ने गोलियां बरसाकर 26 पर्यटकों की हत्या कर दी. इस हत्याकांड ने लोगों को मार्च 2000 में हुए छत्तीससिंहपुरा कांड की याद दिला दी है. उस समय अनंतनाग जिले के छत्तीससिंहपुरा में 36 सिखों को अज्ञात हथियारबंद लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

Pahalgam Terror Tttack: क्यों याद आ रहा है छत्तीससिंहपुरा नरसंहार, क्या है दोनों में समानता
नई दिल्ली:

कुछ हथियारबंद आतंकवादियों ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाया. इस हमले 26 लोगों की मौत हो गई. इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा और उसके एक जेबी संगठन टीआरएफ का हाथ बताया जा रहा है. इस हमले के बाद से देश में माहौल गर्म है. लोग सरकार से हमले का कड़ा बदला लेने की अपील कर रहे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार को जम्मू कश्मीर के हालात की समीक्षा की. इसके बाद उन्होंने कहा कि इस हमले को जोरदार जवाब दिया जाएगा. पहलगाम में यह आतंकी हमला ऐसे समय हुआ है, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए हुए हैं. इस हमले के बाद लोगों को मार्च 2000 में हुआ छत्तीससिंहपुरा कांड याद आ रहा है. आइए बताते हैं कि इन दोनों हमले में क्या समानता है और लोग छत्तीससिंहपुरा कांड की याद क्यों कर रहे हैं.

छत्तीससिंहपुरा हत्याकांड 

तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन 21 से 25 मार्च,2000 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर आने वाले थे.उस समय केंद्र में बीजेपी नेता अटल बिहारी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार थी. क्लिंटन की यात्रा से ठीक एक दिन पहले 20 मार्च 2000 को अनंतनाग जिले के छत्तीससिंहपुरा गांव में 36 सिखों की कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.ये हमलावर भी सेना की वर्दी में आए थे.

छत्तीसहिंसपुरा में मारे गए लोगों की याद में लगा एक बोर्ड.

छत्तीसहिंसपुरा में मारे गए लोगों की याद में लगा एक बोर्ड.
Photo Credit: Social Media

उस समय वाजपेयी सरकार ने इस हमले में पाकिस्तान को शामिल बताया था. सरकार ने इस मामले को अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के सामने उठाया था. बिल क्लिंटन भी अपने दौरे पर ठीक उसी तरह जयपुर और आगरा गए थे, जैसे वर्तमान अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने बुधवार और गुरुवार को जयपुर और आगरा की यात्रा की. उस समय क्लिंटन के साथ तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री मैंडलिन अलब्राइट और विदेश उपमंत्री स्ट्रोब टालबॉट भी थे. लेकिन इन दोनों अधिकारियों ने दिल्ली में ही रहना बेहतर समझा था.

जम्मू कश्मीर में एक और बड़ा हमला

क्लिंटन की भारत यात्रा के दो साल बाद 14 मई 2002 को अमेरिका के दक्षिण एशिया मामलों के लिए सहायक विदेश मंत्री क्रिस्टिना बी रोका भारत आई थीं. उस दिन जम्मू कश्मीर के कालूचक में पर्यटकों को निशाना बनाया गया था. आतंकवादियों ने हिमाचल सड़क परिवहन निगम की एक बस को निशाना बनाया था. इसमें सात लोगों की मौत हो गई थी. बस को निशाना बनाने के बाद आतंकवादियों ने एक आवासीय परिसर पर हमला किया. इस हमले में 23 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में दस बच्चे, आठ महिलाएं और सेना के पांच जवान शामिल थे.पहलगाम में हुए हमले से कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी  मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा का अमेरिका से प्रत्यर्पण कराकर भारत लाई है.  ]

पहलगाम में इसी जगह पर मंगलवार को आतंकवादियों ने पर्यटकों पर गोलियां बरसाई थीं.

पहलगाम में इसी जगह पर मंगलवार को आतंकवादियों ने पर्यटकों पर गोलियां बरसाई थीं.

भारत में लश्कर-ए-तैयबा की करतूतें

मंगलवार को जिस पहलगाम में हमला हुआ वह अनंतनाग जिले में ही है,जहां के छत्तीससिंहपुरा में 20 मार्च 2000 को 36 सिखों को गोलियों से भून दिया गया था. उस हमले के लिए भी भारत सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार ठहराया था. अमेरिकी अखबार 'न्यूयार्क टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद सुहैल मलिक ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. उसका कहना था कि हमले को उसने लश्कर-ए-तैयबा के निर्देश पर किया था. मलिक लश्कर के संस्थापक हाफिज मोहम्मद सईद का भतीजा है. भारत की सुरक्षा एजेंसियां 26/11 के मुंबई हमले के लिए भी लश्कर-ए-तैयबा को ही जिम्मेदार बताती हैं. 

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