
- एनडीटीवी से बातचीत में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता का दर्द छलका
- पहलगाम आतंकी हमले में आतंकियों के हाथों मारे गए थे विनय नरवाल
- नरवाल के पिता ने टीआरएफ पर अमेरिकी पाबंदी का स्वागत किया
पहलगाम आतंकी हमले में अपने बेटे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को खोने वाले राजेश नरवाल का दर्द आज फिर उभर आया. हमले के जिम्मेदार आतंकी संगठन टीआरएफ पर अमेरिकी प्रतिबंध को लेकर एनडीटीवी से बातचीत के दौरान एक पिता के सीने में दबी पीड़ा बाहर आ गई. नरवाल ने कहा, परिवार का हौसला नहीं टूटे, इसलिए मैं ठीक से रो तक नहीं पाता हूं. विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने कहा, उन्हें बिना सोए कई रातें बिताई हैं. उन्होंने भारत सरकार की आतंकवाद पर कार्रवाई की सराहना भी की.
हमेशा हीरो की तरह रहा मेरा बेटा
पहलगाम हमले के तीन महीने बाद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की याद के सवाल पर उन्होंने कहा, वो बचपन से ही सैन्य गाड़ियों को देखकर उछल जाता था. वो एक हीरो की तरह जीता था. उसके अंदर डर नाम की चीज नहीं थी. हमने हमेशा उसे यही सिखाया है कि कभी वो काम नहीं करना है, जिसकी आपकी आत्मा गवाही न दे. वो जितने साल भी जिया, एक नायक की तरह रहा.
कहीं भी हों, आतंकी संगठन का खात्मा किया जाए
लेफ्टिनेंट विजय नरवाल ने कहा कि ऐसे आतंकी संगठन दुनिया में कहीं भी हों, उन पर प्रतिबंध ही नहीं, बल्कि सभी को लामबंद होकर कठोर कदम उठाना चाहिए. ये हम जानते हैं कि हम जिंदगी भर कैसे उस दर्द के साथ जिएंगे. इन लोगों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. दुनिया में उनके लिए कोई जगह नहीं है. हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक स्तर पर जो पहल की, उसका परिणाम दिख रहा है. ये प्रतिबंध तो एक शुरुआत है. ये मेरी निजी राय है कि आतंकी संगठन को खत्म करने दुनिया में तमाम प्रावधान हैं, लेकिन ऐसे संगठनों की पहचान के बाद ये कहीं भी हों, भारत, पाकिस्तान बांग्लादेश हों या कहीं और, उन्हें तुरंत खात्मा किया जाना चाहिए.
आसिम मुनीर के बेटे-बेटी मारे जाएं तो दर्द का पता चले
लश्कर ए तैयबा पर प्रतिबंध के 25 साल भी उसके चीफ हाफिज सईद के खुलेआम घूमने और पाकिस्तान सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर के ट्रंप के साथ डिनर के सवाल पर नरवाल ने कहा, मैं उस लेवल पर नहीं जाना चाहता. लेकिन आसिम मुनीर और उस लेवल के नेताओं की आंख तब खुलेगी, जब उनके साथ कुछ ऐसा होगा.जब उसका बेटा या बेटी आतंकवाद या उसकी गोली का शिकार होगा तो उसे उस दर्द का पता चलेगा, जो हम झेल रहे हैं. या मुझे हथियार दें, जब मैं उसकी बेटी या बेटे को मारूं तो वो उसे पीड़ा झेलनी पड़ेगी.
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