पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित मेघालय की वरिष्ठ पत्रकार और शिलॉन्ग टाइम्स (Shilong Times) की एडिटर पट्रीशिया मुखिम (Patricia Mukhim) ने ए़डिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (Editor's Guild of India) में अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उनका आरोप है कि पत्रकारों की यह बड़ी संस्था बस 'सेलेब्रिटी पत्रकारों का बचाव करती है.' अपने इस्तीफे में, जिसकी एक कॉपी NDTV के पास है, पट्रीशिया मुखिम ने टीवी एंकर अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे संस्था ने उस केस में फुर्ती से बयान जारी कर निंदा की थीजबकि उनके केस में पूरी तरह से चुप्पी साध ली गई है.
पिछले हफ्ते मेघालय हाईकोर्ट ने जुलाई में उनके एक फेसबुक पोस्ट को लेकर पुलिस में दाखिल की गई शिकायत पर कोई टिप्पणी करने या आदेश देने से इनकार कर दिया था.
मुखिम ने दावा किया कि उन्होंने एडिटर्स गिल्ड को इस केस के बारे में डिटेल में जानकारी दी थी. उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'मैं अपनी सदस्यता से इस्तीफा देना चाहती हूं. इसके पीछे कई कारण हैं. पहला, एक पत्रकार के तौर पर मैं उन सेलेब्रिटी पत्रकारों की श्रेणी में नहीं आती हूं, जिनके अखबार खूब पढ़े जाते हैं, या फिर जिनकी वेबसाइटें बहुत पॉपुलर हैं. मैं भौगोलिक तौर पर और संस्था की हायरार्की में भी अलग-थलग पड़े जगह से आती हूं. मैंने हाईकोर्ट के इस आदेश को गिल्ड के साथ साझा किया था इस उम्मीद के साथ कि वो कम से कम इसकी निंदा करते हुए बयान जारी करेंगे लेकिन अधिकारियों की ओर से इसपर पूरी तरह से चुप्पी है.'
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उन्होंने गिल्ड की नई नियुक्त हुई अध्यक्ष सीमा मुस्तफा के नाम लिखे इस पत्र में कहा है कि 'विडंबना है कि गिल्ड ने अर्नब गोस्वामी (जोकि गिल्ड के सदस्य भी नहीं हैं) की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए बयान जारी किया था, वो भी उस केस में जिसका पत्रकारिता से कुछ लेना-देना नहीं था, बल्कि खुदकुशी के लिए उकसाए जाने का आरोप था. मेरे हिसाब से गिल्ड सेलेब्रिटी एडिटरों/एंकरों' को बचाने और जानबूझकर अपने ही एक सदस्य की आवाज को नजरअंदाज करने का का काम कर रही है.'
बता दें कि 4 जुलाई को पट्रीशिया मुखिम ने एक फेसबुक पोस्ट में लॉशोतुन विलेज काउंसिल की उस घटना को लेकर आलोचना की थी, जिसमें बास्केटबॉल कोर्ट में पांच लड़कों पर चेहरा ढंके हुए कुछ लोगों ने हमला किया था. इस केस में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी. मुखिम ने मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा और स्थानीय प्रशासन दॉरबार श्नोंग से आरोपियों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की की थी. इसपर विलेज काउंसिल ने उनपर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाया था. इसके आधार पर पुलिस ने उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया था. उनपर मानहानि का केस भी दर्ज था.
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इसके खिलाफ वो हाईकोर्ट पहुंची थीं. हालांकि, हाईकोर्ट ने उनके केस को खारिज करने से इनकार कर दिया था. अब वो हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही हैं.
पट्रीशिया मुखिम ने अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'जाहिर तौर पर यह हाशिए से आने वाले लोगों के खिलाफ भेदभाव और उन्हें और दूर धकेलने की कोशिश का मामला है ताकि वो राष्ट्र की मुख्यधारा से बिल्कुल अलग हो जाएं और अपनी मुश्किलों का सामना अपनी क्षमता से करने को मजबूर हो जाएं.'
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